कर्नाटक: आधी आबादी का हाल, सात महिलाएं ही लांघ सकी विधानसभा की दहलीज
विधानसभा की 221 सीटों में मात्र सात महिला विधायक हैं। यानी कुल सीटों का महज तीन फीसद ही महिलाओं की हिस्सेदारी है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। भारतीय राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी पर बहस लंबे अरसे चली आ रही है। नब्बे के दशक में आधी आबादी अपने हक के लिए खड़ी हुई। महिला भागीदारी को लेकर सड़क से शुरू हुआ आंदाेलन संसद के गलियारे तक पहुंचा, लेकिन अाज भी राजनीति में महिलाओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसकी एक बानगी कर्नाटक के नवनिर्वाचित विधानसभा में भी देखी जा सकती है।
कर्नाटक विधानसभा में महज तीन फीसद महिलाएं
एक बार फिर वर्ष 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में महिलाअों का प्रतिनिधित्व बहुत कम रहा है। विधानसभा की 221 सीटों में मात्र सात महिला विधायक हैं। यानी कुल सीटों का महज तीन फीसद ही महिलाओं की हिस्सेदारी है।
हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में महिलाओं की संख्या में एक फीसद की बढ़त हुई है, लेकिन यह नाकाफी है। वर्ष 2013 में कुल पांच महिलाएं ही विधानसभा पहुंच सकी थीं। यानी दो फीसद महिलाओं को हिस्सेदारी मिली। इस तरह अगर दो विधानसभा चुनाव से तुलना किया जाए तो मात्र एक फीसद का इजाफा हुआ है।
सदन में 80 साल के तीन विधायक
नवनिर्वाचित कर्नाटक विधानसभा में तीन विधायक ऐसे हैं, जिनकी उम्र 80 वर्ष से ऊपर है। नई विधानसभा में सात फीसद विधायकों की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच है। यानी ऐसे कुल 16 विधायक हैं, जो युवा की श्रेणी में हैं। सबसे बड़ी हिस्सेदारी 41 से 60 साल के उम्र वालों विधायकों की है। सदन में इनकी संख्या 138 है। करीब 62 फीसद विधायक ऐसे हैं। 64 बुजुर्ग विधायक है। इन निर्वाचित विधायकों की उम्र 61 से 80 वर्ष के बीच है। सदन में इनकी हिस्सेदारी 29 फीसद है।
महज एक निर्वाचित विधायक हैं साक्षर
शिक्षा के मामले में कर्नाटक के नव निर्वाचित विधानसभा की तस्वीर काफी उजली है। महज एक विधायक ने अपने को साक्षर बताया हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विधायकों का प्रतिशत सबसे अधिक है। सबसे अधिक संख्या निर्वाचित स्नातक विधायकों की है। 135 विधायकों की शिक्षा स्नातक स्तर की है। यानी 61 फीसद विधायक वेल एजुकेटेड हैं। विधानसभा में महज एक निर्वाचित प्रत्याशी ने अपने को साक्षर घोषित किया है। 80 विधायक पांचवीं कक्षा से लेकर 12वीं तक पास है।