Move to Jagran APP

येद्दयुरप्पा बने कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री, अब सदन में बहुमत साबित करने की है चुनौती

बीएस येद्दयुरप्पा को राज्‍यपाल ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई। बतौर मुख्‍यमंत्री येद्दयुरप्पा की यह तीसरी पारी है।

By Arti YadavEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 08:20 AM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 04:38 PM (IST)
येद्दयुरप्पा बने कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री, अब सदन में बहुमत साबित करने की है चुनौती
येद्दयुरप्पा बने कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री, अब सदन में बहुमत साबित करने की है चुनौती

नई दिल्ली [ जागरण ब्यूरो ]। कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच गुरुवार की सुबह बीएस येद्दयुरप्पा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान और प्रकाश जावड़ेकर राजभवन में मौजूद रहे। बतौर मुख्‍यमंत्री येद्दयुरप्पा की यह तीसरी पारी है। हालांकि, येद्दयुरप्पा ने आज अकेले ही शपथ ली। माना जा रहा है कि सदन में बहुमत साबित होने के बाद अन्‍य मंत्री भी शपथ लेंगे।

loksabha election banner

राजभवन के बाहर सु‍बह से ही भाजपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता राजभवन पहुंचे। शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी और अमित शाह मौजूद नहीं रहे। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पूर्व येद्दयुरप्पा ने राधा-कृष्ण मंदिर में पूजा-पाठ की और इसके बाद वह राजभवन पहुंचे।

मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब येद्दयुरप्पा के समक्ष सदन में बहुमत साबित करने की चुनौती होगी। अगले 15 दिनों में उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अभी कर्नाटक में सियासी ड्रामे का खात्‍मा नहीं हुआ है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय के बाद राज्यपाल ने लिया फैसला

बता दें कि मंगलवार को त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनने के साथ ही बेंगलुरु में शह-मात का खेल शुरू हो गया था। दूसरे नंबर पर खड़ी कांग्रेस ने तत्काल तीसरे नंबर की पार्टी जदएस के नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का न्योता देकर भाजपा की राह रोकने की कोशिश की थी।

भाजपा की ओर से भी राज्यपाल के समक्ष दावा किया गया था। बताते हैं कि मंगलवार की शाम से बुधवार की शाम तक राज्यपाल ने कई कानूनी विशेषज्ञों से राय-मशविरा किया। जमीनी स्तर से आ रही खबरों के हवाले से यह परखने की कोशिश भी की कि कौन-सा धड़ा स्थायी सरकार दे सकता है।

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस और जदएस के संयुक्त दावे से पहले राज्यपाल ने भाजपा को बुलावा देने का मन इसलिए भी बनाया, क्योंकि उनका चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं था। चूंकि कर्नाटक में राजनीतिक तेवर गरम है। इस आशंका से भी इनकार नहीं है कि जदएस व कांग्रेस कार्यकर्ता की नाराजगी से अशांति फैल सकती है। लिहाजा भाजपा नेतृत्व ने गुरुवार की सुबह ही नौ बजे शपथ ग्रहण का फैसला लिया गया था।

देर रात तक चलता रहा ड्रामा, सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस

इधर, कांग्रेस-जदएस को सरकार बनाने का मौका न देकर येद्दयुरप्पा को बुलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कांग्रेस रात में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा से समर्थक विधायकों की लिस्ट भी मांगी है। साथ ही राज्यपाल को दिए गए समर्थन पत्र की भी मांग की है। मामले में अब कोर्ट शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे दोबारा सुनवाई करेगी। भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 15 दिन का समय मिला है। 

रात एक बजे मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच गठित की और 2.10 बजे से सुनवाई शुरू हुई। तड़के 5.30 बजे तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस द्वारा येद्दयुरप्पा का शपथ रोकने की मांग को ठुकरा दिया। 

कर्नाटक कांग्रेस और जदएस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने संयुक्त याचिका दाखिल कर 116 विधायकों का बहुमत होने के बावजूद कुमारस्वामी को सरकार बनाने का निमंत्रण न दिए जाने और मात्र 104 विधायकों वाली भाजपा को न्योता देने पर सवाल उठाया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि राज्यपाल ने गोवा को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर येद्दयुरप्पा को न्योता दिया है। गोवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस गठबंधन के पास ज्यादा संख्या है, उसे ही सरकार बनाने का अधिकार है।

जानिए क्या है चुनावी आंकड़ा

दरअसल, मंगलवार को त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनने के साथ ही बेंगलुरु में शह-मात का खेल शुरू हो गया था। दूसरे नंबर पर खड़ी कांग्रेस ने तत्काल तीसरे नंबर की पार्टी जदएस के नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का न्योता देकर भाजपा की राह रोकने की कोशिश की थी। भाजपा की ओर से भी राज्यपाल के समक्ष दावा किया गया था। गौरतलब है कि विधानसभा की कुल 224 में से 222 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78, सहयोगी बसपा के साथ जदएस को 38 और अन्य को दो सीटें मिली हैं। ऐसे में बहुमत के लिए जरूरी 112 के आंकड़े के सबसे करीब भाजपा ही रही।

जदएस-कांग्रेस ने 117 विधायकों की सूची सौंपी 

बुधवार शाम जदएस नेता कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता जी. परमेश्वरन ने राज्यपाल से मुलाकात कर 117 विधायकों की सूची सौंपी थी। इसमें एक निर्दलीय विधायक का भी नाम था।

कांग्रेस-जदएस ने विधायकों को रिजॉर्ट पहुंचाया

कांग्रेस और जदएस ने अपने-अपने विधायकों को पार्टी विधायक डीके शिवकुमार के ईगलटन रिजॉर्ट में पहुंचा दिया है, ताकि भाजपा इनसे संपर्क न कर सके। लेकिन कांग्रेस विधायक आनंद सिंह रिजॉर्ट नहीं पहुंचे हैं। बता दें कि गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी क्रॉस वोटिंग के डर से कांग्रेस ने अपने विधायकों को इसी रिजॉर्ट में रखा था। हालांकि सूत्र बताते हैं कि बुधवार दिन में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 78 में से 66 विधायक ही पहुंचे थे। वहीं जदएस के भी दो विधायकों के गायब होने की खबर है। हालांकि दोनों दलों ने दावा किया है कि ये विधायक पार्टी के संपर्क में हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.