Move to Jagran APP

Jharkhand Election 2019: झारखंड की सियासत में परचम लहराती रही हैं आदिवासी महिलाएं, पढ़ें यह खास रिपोर्ट

Jharkhand Assembly Election 2019. झारखंड में चुनाव में आदिवासी महिलाओं का सक्सेस रेट बेहतर है। 2005 में दो 2009 में पांच और 2014 में सात महिलाएं विधानसभा पहुंचीं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:13 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:30 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: झारखंड की सियासत में परचम लहराती रही हैं आदिवासी महिलाएं, पढ़ें यह खास रिपोर्ट
Jharkhand Election 2019: झारखंड की सियासत में परचम लहराती रही हैं आदिवासी महिलाएं, पढ़ें यह खास रिपोर्ट

रांची, विनोद श्रीवास्तव। झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो यहां की आदिवासी महिलाओं में नेतृत्व करने क्षमता सामान्य महिलाओं की अपेक्षा कहीं अधिक है। चुनावी जंग में वह न सिर्फ नामांकन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती रही हैं, बल्कि जीत का परचम भी लहराती रही हैं। राज्य गठन के बाद अबतक हुए तीन विधानसभा चुनावों और उप चुनावों के आंकड़े इसे प्रमाणित करते हैं।

loksabha election banner

विधानसभा की कुल 81 सीटों में से 2005 में जहां दो आदिवासी महिलाएं विजयी हुईं, वहीं 2009 में यह आंकड़ा बढ़कर पांच हो गया। 2014 के सामान्य और उपचुनावों को जोड़ दें तो आदिवासी समुदाय से आने वाली सात महिलाएं विधानसभा तक पहुंचीं। विधानसभा चुनाव 2005 में जहां सामान्य वर्ग की 39 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं, उनके सापेक्ष आदिवासी समुदाय की 44 महिलाएं चुनाव लड़ रहीं थीं। 2009 में यह अनुपात क्रमश: 45 और 47 तथा 2014 में यह 49 एवं 52 था।

इन तीन विधानसभा चुनावों में क्रमश: 50, 52 और 58 आदिवासी महिलाओं ने चुनाव लडऩे के लिए पर्चा दाखिल किया था। स्क्रूटनी के बाद क्रमश: 44, 47 और 52 आदिवासी महिलाएं चुनावी मैदान में बची रहीं। संबंधित चुनावों में किस्मत आजमाने वाली अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) तथा सामान्य वर्ग की कुल महिलाओं की बात करें तो इनकी संख्या क्रमश: 94, 107 और 111 रही।

कुल प्रत्याशियों की तुलना में बढ़ी में महिलाओं की उम्मीदवारी

2005 के विधानसभा चुनाव में कुल 1390 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इनमें 6.76 फीसद महिलाएं थीं। 2009 के चुनाव में 1491 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिनमें महिला प्रत्याशियों का प्रतिशत 7.73 था। 2014 में 1136 प्रत्याशियों में से 9.77 फीसद महिलाएं थीं।

चार एसटी महिलाओं ने लगातार लहराया परचम

अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पदों में से जामा विधानसभा क्षेत्र सीता सोरेन, पोटका से मेनका सरदार, सिमडेगा से विमला प्रधान और जगरनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से गीता कोड़ा पिछले दो बार (2009 और 2014) से लगातार जीत हासिल करती रहीं हैं। गीता कोड़ा चाईबासा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से फिलहाल सांसद हैं। गत लोकसभा चुनाव में उन्होंने यह जीत हासिल की थी। इससे इतर, भाजपा ने इस बार सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र से विमला प्रधान को टिकट नहीं दिया है।

आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने चुनाव में मारी बाजी

नाम - विधानसभा

2005

सुशीला हांसदा -  लिट्टीपाड़ा

जोबा मांझी  - मनोहरपुर

2009

सीता सोरेन -  जामा

मेनका सरदार - पोटका

गीता कोड़ा - जगरनाथपुर

गीता श्री उरांव -  सिसई

विमला प्रधान - सिमडेगा

2014

लुइस मरांडी - दुमका

सीता सोरेन -  जामा

मेनका सरदार - पोटका

गीता कोड़ा - जगरनाथपुर

गंगोत्री कुजूर - मांडर

विमला प्रधान - सिमडेगा

जोबा मांझी - मनोहरपुर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.