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Jharkhand Assembly Election 2019: यहां सेनापतियों ने ही बदल लिए अपने खेमे Barhi Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. बरही में कांग्रेस के वर्तमान विधायक भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा से प्रबल दावेदार को कांग्रेस ने अपना लिया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:54 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:54 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: यहां सेनापतियों ने ही बदल लिए अपने खेमे Barhi Ground Report

बरही से प्रदीप सिंह। Jharkhand Assembly Election 2019 - राजनीति में विचारधारा कोई मायने नहीं रखती। बस कुर्सी पाने की ललक लिए तथाकथित नेता ऐसी उछलकूद मचाते और रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी एक पल को कंफ्यूजन में पड़ जाए। झारखंड की चुनावी राजनीति में भी बस 'अवसरवाद' पराकाष्ठा पर है। यहां भगवा धारण करने वाले भाजपाई जहां रातोंरात कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं, वहीं सालों कांग्रेसी रहे एक अदद कुर्सी बचाए रखने के लिए भाजपाई।

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मशहूर जीटी रोड पर झारखंड का एंट्री प्वाइंट बरही भी इसी राजनीतिक चौराहे पर है। बरही से तीन राष्ट्रीय उच्च पथ (एनएच 2, 31 और 32) अलग-अलग दिशाओं में जाती है। लेकिन, यहां की राजनीतिक दिशा बस किसी तरह राजनीतिक मुकाम यानी विधानसभा की दहलीज को छूना चाहती है। कांग्रेसी से भाजपाई हुए वर्तमान विधायक मनोज कुमार यादव कभी एकीकृत बिहार की लालू सरकार में मंत्री हुआ करते थे। कांग्रेस विधायक दल के नेता रह चुके हैं।

राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। गाड़ी पर भाजपा का झंडा और गले में भगवा पट्टा लिए ये अपनी जीत दोहराने के लिए भटक रहे हैं। यह पूछने पर कि भाजपा के लोग आपका कितना साथ देंगे, वे तपाक से कहते हैं- उनसे पूछिए जो अभी-अभी कांग्रेस में गए हैं भाजपा छोड़कर। मेरी राजनीति विकास की है। सभी लोग मेरे साथ हैं। उनके फोन की घंटी लगातार घनघना रही है। साथ चल रहे लोग बार-बार बता रहे कि फलां गांव के लोग भेंट करना चाहते हैं। बहुत देर से वेट (इंतजार) कर रहे हैं।

उधर, चंद दिन पहले कांग्रेसी बने उमाशंकर अकेला दिल्ली में कैंप कर रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हो चुकी है। अकेला पूर्व में यहीं से विधायक रह चुके हैं। जब उन्हें इसका आभास हो गया कि भाजपा टिकट नहीं थमाएगी, तो आननफानन में उन्होंने दल-दिल बदल लिया। वे अब कांग्रेसी हो चुके हैं। अब असली परेशानी कैडरों के साथ है। हालिया उलटफेर ने दोनों प्रमुख दलों के लिए झंडा ढोने वालों को मुश्किल में डाल दिया है।

वैसे, इनमें विभाजन और आस्था बदलने का सिलसिला भी तेज हुआ है, लेकिन कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। चुनाव प्रक्रिया जब परवान पर होगा, तभी असली खेमेबंदी होगी। तबतक कैडरों को साधने के लिए सारे दांवपेंच भी आजमाए जाएंगे। इससे इतर, भाजपा की सहयोगी रही आजसू से भी प्रबल दावेदारी है। तिलेश्वर साहू की पत्नी यहां चुनावी समीकरण को त्रिकोणीय बनाएंगी। वैसे, विपक्षी गठबंधन का सहयोगी होने के नाते इस सीट पर कांग्रेस को झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद का साथ मिलेगा।

सड़क से बदली इलाके की सूरत

जीटी रोड के महत्वपूर्ण जंक्शन के तौर पर बरही का अभूतपूर्व विकास हुआ है। रोजमर्रा का व्यवसाय भी बढ़ा है। स्थानीय व्यवसायी विकास कुमार के मुताबिक ऐसा कुछ सालों में हुआ है। जीटी रोड की फोरलेनिंग से व्यवसाय में जबरदस्त उछाल आया है। अब इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित होने से इसमें और तेजी आएगी। बरही से गुजरने के दौरान सैकड़ों  जेसीबी-पोकलेन मशीनें सड़क के किनारे दिखती हैं। निर्माण कार्यों में आई तेजी इसकी वजह है।


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