Jharkhand Assembly Election 2019: सांसद तो नहीं बने, अब है विधायकी बचाने की चुनौती
Jharkhand Election 2019. लोकसभा चुनाव हारने वाले कई दिग्गज अब विधानसभा पहुंचने के प्रयास में हैं। इसमें बाबूलाल सुखदेव भगत मनोज यादव चंपई सोरेन सहित कई नाम हैं।
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। नेताजी को संसद में जगह नहीं मिल पाई तो अब विधानसभा के लिए भाग्य आजमाने चुनाव मैदान में उतर आए हैं। इसी साल संपन्न लोकसभा चुनाव में हार का सामने करनेवाले लगभग एक दर्जन दिग्गज इस बार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। कई अपनी विधायकी बचाने के भी प्रयास में हैं। लगभग सभी बड़े दलों में ऐसे उम्मीदवार हैं, जो लोकसभा चुनाव में असफल रहने के बाद विधानसभा चुनाव के मैदान में हैं।
अब तो परिणाम ही बताएगा कि इनमें से कितने को सफलता मिलती है और कितने फिर से औंधे मुंह गिरते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सह झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कोडरमा सीट से इसी साल लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसमें उनकी करार हुई। इस बार वे राजधनवार विधानसभा सीट से चुनाव लडऩेवाले हैं। इसी पार्टी के दिग्गज नेता सह विधायक प्रदीप यादव गोड्डा संसदीय सीट से चुनाव हारने के बाद पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधायकी बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसी तरह, पूर्व मंत्री तथा झामुमो नेता चंपई सोरेन भी लोकसभा चुनाव में हार के बाद सरायकेला सीट से अपनी विधायकी बचाने के प्रयास में हैं। झामुमो के ही जगन्नाथ महतो ने लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से भाग्य आजमाया था। इसमें उनकी हार हुई। अब ये अपनी परंपरागत सीट डुमरी से विधानसभा सदस्य बने रहने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक मनोज कुमार यादव ने कांग्रेस के टिकट पर चतरा से संसदीय चुनाव लड़ा था। वे लोकसभा तो नहीं पहुंच पाए लेकिन अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होकर विधानसभा सदस्य बने रहने के लिए बरही से चुनाव मैदान में होंगे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत ने भी लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट से भाग्य आजमाया था, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। इस बाद भाजपा में शामिल होकर लोहरदगा विस सीट से अपनी विधायकी बचाने के प्रयास में हैं। भाजपा के टिकट पर मांडर से चुनाव लडऩेवाले देवकुमार धान ने भी पिछले लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के टिकट पर लोहरदगा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी हार हो गई थी।
लोकसभा चुनाव हारे, विधायकी बचाई
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर गिरिडीह संसदीय सीट से चुनाव लडऩेवाले जगरनाथ महतो ने डुमरी विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल कर विधायकी बचा ली थी। इस बार भी जगन्नाथ महतो के सामने वही चुनौती है। वहीं, टीएमसी के प्रत्याशी के रूप में संसदीय सीट पर चुनाव लडऩेवाले चमरा लिंडा ने भी झामुमो के टिकट पर विशुनपुर से जीत हासिल की थी।
विधानसभा चुनाव में भी औंधे मुंह गिरते हैं दिग्गज
कई नेता लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी औंधे मुंह गिरते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में तो ऐसा ही हुआ था। बाबूलाल मरांडी ने वर्ष 2014 में दुमका संसदीय सीट से चुनाव हारने के बाद राजधनवार विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाया था। लोकसभा चुनाव, 2014 में राजमहल से चुनाव लडऩेवाले हेमलाल मुर्मू बरहेट से तथा गोड्डा संसदीय सीट से चुनाव लडऩेवाले फुरकान अंसारी मधुपुर विधानसभा से भाग्य आजमा रहे थे।
लेकिन दोनों औंधे मुंह गिरे थे। इसी तरह, उस लोस चुनाव में गिरिडीह सीट से चुनाव लडऩेवाले तत्कालीन प्रदेश जदयू अध्यक्ष जलेश्वर महतो बाघमारा से भाग्य आजमा रहे थे, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। पहली बार लोकसभा चुनाव लडऩेवाले सुदेश महतो अपनी विधानसभा सीट सिल्ली को भी गंवा दिया था।