Move to Jagran APP

Jharkhand Election 2019: हर चुनाव में संताल की राजनीति ने बदली है करवट, एक बार फिर निर्णायक जंग; समझें समीकरण

Jharkhand Assembly election 2019 अलग राज्य बनने के बाद पहले चुनाव में भाजपा ने यहां जीत हासिल की थी झामुमो ने उसके बाद के चुनाव में बीजेपी से बदला लिया था...

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 19 Dec 2019 08:24 AM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 08:24 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: हर चुनाव में संताल की राजनीति ने बदली है करवट, एक बार फिर निर्णायक जंग; समझें समीकरण
Jharkhand Election 2019: हर चुनाव में संताल की राजनीति ने बदली है करवट, एक बार फिर निर्णायक जंग; समझें समीकरण

रांची, [आशीष झा]। संताल परगना के मतदाताओं ने हर चुनाव में करवट बदलते हुए विपक्षी दलों को आगे बढ़ाया है और इस बार एक बार फिर निर्णायक लड़ाई के लिए संताल की जनता तैयार है। झारखंड विधानसभा चुनाव का आखिरी दौर संताल परगना में है और कई मायनों में यहां के लोगों का फैसला राज्य के लिए निर्णायक बढ़त का आधार होगा। इसके पूर्व चार चरणों की लड़ाई विधायकों और प्रत्याशियों की मेरिट पर ही लड़ी गई लेकिन अंतिम चरण में जीत-हार के बहुत मायने हैं।

loksabha election banner

यही एक इलाका है जहां दोनों दलों को मतदाताओं से निर्णायक बढ़त मिलने के आसार हैं। यही कारण है कि कोई भी दल कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। सत्तापक्ष और विपक्ष यहां एक भी सीट गंवाने का मतलब साफ तौर पर समझ रहा है और दोनों की कोशिशें हैं कि अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा हो। अलग राज्य बनने के बाद तीन बार हुए चुनावों में पहली बार भाजपा को झामुमो से एक सीट अधिक मिली थी लेकिन अगले ही चुनाव में झामुमो ने बड़ी बढ़त हासिल कर ली।

इस चुनाव में कांग्रेस को भी नुकसान हुआ था। इसके बाद हुए तीसरे चुनाव में झामुमो को छह और भाजपा को पांच सीटें हासिल हुई लेकिन झाविमो के एक विधायक को चुनाव के ठीक बाद मिलाकर भाजपा ने झामुमो की बढ़त को बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर चुनाव में करवट बदलनेवाली संताल परगना की जनता के लिए यह चुनाव अहम है। इस चुनाव में जिस पार्टी को बढ़त मिलेगा उसके बारे मेें राजनीतिक विशेषज्ञ भी बता रहे हैं कि राज्य में बढ़त का यह बड़ा आधार साबित हो सकता है।

अंतिम लड़ाई ही निर्णायक होगी। इसे मानते हुए झामुमो और भाजपा ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दोनों दलों के शीर्ष नेता तमाम इलाकों में कैंप कर प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार कर चुके हैं। सत्तापक्ष के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, झारखंड सीएम रघुवर दास, केंद्र के कई मंत्रियों से लेकर राज्य के मंत्री तक प्रचार कर चुके हैं तो विपक्ष के लिए शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल समेत दोनों पक्षों के स्टार प्रचारकों जमावड़ा संताल परगना क्षेत्र में अंतिम समय तक दिखा।

यहां स्थानीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक पर चर्चा हुई और नेताओं ने एक-दूसरे को घेरा भी। एक-दूसरे को घेरने में किसे कितनी सफलता मिली यह तो परिणाम ही बताएगा लेकिन फिलहाल संताल की लड़ाई रोचक परिणाम देती दिख रही है।

भाजपा के लिए विकास और राष्ट्रवाद तो झामुमो स्थानीय सीएम को मुद्दा बना रहा

संताल परगना में भाजपा विकास और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर लोगों को लुभाने में लगी है तो झामुमो अंतिम तौर पर स्थानीय सीएम बनने की बात को उठा रहा है। कांग्रेस का साथ मिलने से उनको मजबूती मिल रही है लेकिन दोनों दलों की बात से यह तो स्पष्ट होता दिख रहा है कि दोनों यह मान रहे हैं कि संताल परगना का विकास नहीं हो पाया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.