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Jharkhand Assembly Election 2019: बरही में सड़कों की हालत में सुधार, पानी-रोजगार की समस्या बरकरार

Jharkhand Assembly Election 2019. बरही में विधायक के प्रयासों से सूरत कुछ बदली है लेकिन अभी बहुत कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 09:08 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 09:08 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बरही में सड़कों की हालत में सुधार, पानी-रोजगार की समस्या बरकरार
Jharkhand Assembly Election 2019: बरही में सड़कों की हालत में सुधार, पानी-रोजगार की समस्या बरकरार

बरही/हजारीबाग, जेएनएन। Jharkhand Assembly Election 2019 - बरही विधानसभा में कांग्रेस विधायक मनोज यादव का यह चौथा कार्यकाल है। मनोज ने अपने क्षेत्र की सड़कों का संजाल मजबूत किया है। चौपारण व बरही में विधायक के प्रयास से गांवों को सड़क से जोड़ा गया। वहीं सभी प्रमुख पथ बनाए गए। लाइफ लाइन चौपारण-चतरा रोड चौड़ीकरण, चौपारण तिलैया भायाब सरिया, चौपारण चंदवारा भाया सेलहरा प्रमुख पथ रहे, जिन्हें स्टेट हाइवे घोषित किया गया। वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में पांच विद्यालयों का प्लस टू में उत्क्रमण प्रशंसनीय रहा लेकिन महिला कॉलेज का सपना आज भी पूरा नहीं हो पाया है।

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पेयजल और बिजली की समस्या क्षेत्र की जनता को सबसे अखरती है। चौपारण बाजार में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए बराकर नदी से पाइप लाइन आपूर्ति की योजना पूरी नहीं हो पाई। बिजली की व्यवस्था के लिए संसाधन बढ़ाए गए, पर आपूर्ति कम रहती है। बरही को औद्योगिक नगरी में बदलने का प्रयास तो विधायक ने किया लेकिन रियाडा की भूमि पर बड़े औद्योगिक घरानों के आने की आस धरी रह गई। परिणाम, रोजगार के लिए लोगों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। बरही को नगर पंचायत का दर्जा नहीं दिला पाना भी लोगों को अखरता है।

इधर, किसानों की दशकों की मांग बक्शा डैम जलाशय जीर्णोद्धार से दर्जनों गांवों के किसान खुश हैं। लराही पुल विधायक की बड़ी उपलब्धि रही। इससे दो दर्जन गांवों के लोग जीटी रोड से सीधे जुड़ गए। चौपारण में सामुदायिक अस्पताल, करमा सहित तीन स्थलों पर उपकेंद्र निर्माण भी हुआ। मनोज यादव का सर्वसुलभ होना उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

चार बार चुने जा चुके हैं मनोज

बरही विधानसभा क्षेत्र से मनोज कुमार यादव चार बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। मनोज यादव ने भाजपा के उमाशंकर अकेला को वर्ष 2014 में 7085 मतों से हराया था। बरही में यादव, दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोटर अधिक हैं। यहां की राजनीति में मनोज यादव व उमाशंकर अकेला करीब दो दशक से राजनीति के केंद्र में रहे हैं। 1995 में मनोज कुमार यादव भले ही पहली बार बरही में विधायक निर्वाचित हुए लेकिन, उस समय उमाशंकर अकेला ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर उन्हें खुली चुनौती दी थी। 1995 से 2009 तक मनोज यादव चुनाव जीतते रहे। 2009 में उमाशंकर अकेला ने भाजपा उम्मीदवार बनकर उन्हें शिकस्त दी थी।

आमने-सामने

विकास की लिखी गई नई गाथा : मनोज यादव

सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि क्षेत्र में बेहतर काम हुए हैं। कई मध्य विद्यालय व हाई स्कूल को उत्क्रमित कराया गया। सड़क के क्षेत्र अन्य विधानसभा की तुलना में सबसे अधिक काम हुआ। चौपारण के लाराही गांव बरसात में कट जाता था, वहां सड़क और पुल निर्माण हुआ। बरही में जलापूर्ति योजना पर जल्दी कार्य प्रारंभ हो जाएगा। तिलैया डैम डीवीसी से विस्थापित 56 मौजा के लोगों को प्राप्त जमीन का स्वामित्व 60 सालों तक नहीं दिया गया था, मेरे द्वारा आवाज उठाने के बाद लोगों को अब जमीन का मालिकाना हक मिलना प्रारंभ हो गया है।

जनता का काम कम, खुद का किया विकास : उमाशंकर

वर्तमान विधायक ने सिर्फ स्वार्थ की राजनीति की है। जनता का काम कम और खुद का विकास अधिक किया है। केंद्र व राज्य सरकार समेत मुखिया तक की योजनाओं का श्रेय खुदलेना चाहते हैं। बरही में अब तक जलापूर्ति योजना पूर्ण नहीं हुई। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना धरातल पर नहीं उतरी। ट्रॉमा सेंटर शुरू नहीं हुआ। महिला कॉलेज स्थापित नहीं हुआ। बहुत सी सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं। अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

बरही में विकास की रफ्तार को और गति मिलनी चाहिए। बेहतर शैक्षणिक संस्थान स्थापित होने चाहिए। फुटकर दुकानदारों के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। विधायक का कार्यकाल संतोषजनक रहा है। -कारु चंद्रवंशी, गया रोड, बरही। अंक 6/10

बरही में पेयजल की व्यवस्था और महिला कॉलेज की स्थापना जरूरी है। विधायक ने कई कार्य किए हैं। कई सपने अब भी अधूरे हैं। अधूरे कार्य को पूर्ण करने की दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए। -योगेश केशरी, व्यवसायी। अंक 7/10

छोटी समस्याओं के समाधान का नाम है मनोज यादव। वहीं बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए भी पहल की गई। विधायक सर्वसुलभ रहे हैं और अपने काम को इमानदारी पूर्वक किया है। -अरविंद कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता। अंक 9/10

एक दो मुद्दों को छोड़कर करीब-करीब विधायक का कार्यकाल सही रहा है। किंतु तीन राजमार्गों का संगम स्थल बरही व्यवसायिक दृष्टिकोण से अब तक पिछड़ा है। इस दिशा में गंभीर पहल होनी चाहिए। -कपिल केशरी, अध्यक्ष, बरही व्यवसायी संघ। अंक 7/10

मनोज यादव का कार्यकाल काफी शानदार रहा है। पांच वर्षों के दौरान उन्होंने विरोधियों को भी विरोध करने का कोई मौका नहीं दिया। लगातार क्षेत्र में विकास कार्य हुए। बरही प्रगति की ओर अग्रसर रहा। -अमित कुमार सिंह, चंदवारा, बरही। अंक 9/10

कितने खरे उतरे विधायक

पेयजल की समस्या

1. बरही विधानसभा क्षेत्र में पेयजल की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। तीन वर्षों सेजलापूर्ति योजना ठपहै।

मनोज यादव : चौपारण बाजार में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए बराकर नदी से पाइप लाइन आपूर्ति की योजना पर काम जारी है। चंदवारा में एक तिहाई गांवों में पाइप बिछाया जा चुका है।

उमाशंकर अकेला : बरही विधानसभा के लोग भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं। इस क्षेत्र में योजना को समय पर पूरा करने के लिए भी कोई काम नहीं किया गया। क्षेत्र की जनता परेशान है।

2. बिजली संकट

बिजली की आधारभूत संरचना में बदलाव हुए हैं। लेकिन बिजली कटौती की समस्या अब भी यहां बनी हुई है।

मनोज यादव : सेलहारा में पावर सबस्टेशन बना है। गांव-गांव में ट्रांसफार्मर लगाए गए। पहले एक ट्रांसफार्मर को बदलने में महीनों लग जाते थे। मेरे प्रयास से यह अब एक दिन में संभव हो जाता है।

उमाशंकर अकेला : बिजली आपूर्ति की व्यवस्था पूरी चौपट होगई है। पांच सालों में कोई काम नहीं हुआ। क्षेत्र और पीछे चला गया है। मैंने अपने कार्यकाल में बिजली को लेकर कई कार्य किए थे।

3. शिक्षा में बदलाव

बरही विधानसभा में शिक्षा के क्षेत्र में काम हुए हैं। कई सरकारी विद्यालय उत्क्रमित हुए हैं।

मनोज यादव : कई सरकारी विद्यालयों को उत्क्रमित किया गया। बच्चों के लिए काउंसलिंग जैसे कार्यक्रम भी कराए गए। चंदवारा में डिग्री कॉलेज का निर्माण हुआ। बरही में आइटीआइ प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ हुआ।

अकेला यादव : क्षेत्र को एक महिला कॉलेज नहीं मिल सका। आज भी यहां के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए बाहर जा रहे हैं। विधायक ने क्षेत्र में शिक्षा के विकास के लिए काम नहीं किया।

4. नही मिला व्यवहार न्यायालय

1994 में बरही को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त हो गया था। लेकिन अब तक व्यवहार न्यायालय नहीं मिला।

मनोज यादव : व्यवहार न्यायालय लाने के लिए मैंने लगातार प्रयास किया है। इसका परिणाम है कि सरकार से अब इसकी स्वीकृति मिल चुकी है। बड़े कार्यों के क्रियान्वयन में समय तो लगता है।

अकेला यादव : अनुमंडल का दर्जा मिलने के बाद भी इसके विकास के लिए काम नहीं हुआ। कई जरूरी संसाधन अब भी क्षेत्र में मौजूद नहीं है। लोगों को काफीपरेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

5. पलायन की समस्या

रियाडा क्षेत्र का विकास नहींहोने से पलायन की समस्या बनी है। रोजगार की तलाश में लोग बाहर जाते हैं।

मनोज यादव : छोटे व मंझोले उद्योग स्थापित हो रहे हैं। बड़े उद्योगों के भी आने की पूरी संभावना है। हमने डीवीसी के विस्थापितों के जमीन का मालिकाना हक दिलाने का काम किया है।

अकेला यादव : उद्योग लगाने को लेकर कोई काम नहीं हुआ है। रियाडा की भूमि को उद्योगों का इंतजार है। लोग रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं। इसे देखने की फुर्सत विधायक को नहीं है।

विधायक निधि

वर्ष        खर्च

2014-15 -  100

2015-16 -  100

2016-17-   100

2017-18-   100

2018-19    90

कुल मतदाता : 281286

पुरुष मतदाता : 149104

महिला मतदाता : 132180


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