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Jharkhand Assembly Election 2019: जुगसलाई में लोगों के बीच बढ़ाई पैठ, पर गांवों की नहीं बदली तस्वीर

Jharkhand Assembly Election 2019. जुगसलाई विविधता वाला क्षेत्र है। सभी इलाके के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरना आसान नहीं होता। यही बात रामचंद्र सहिस के साथ भी लागू होती है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 03:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 03:29 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: जुगसलाई में लोगों के बीच बढ़ाई पैठ, पर गांवों की नहीं बदली तस्वीर
Jharkhand Assembly Election 2019: जुगसलाई में लोगों के बीच बढ़ाई पैठ, पर गांवों की नहीं बदली तस्वीर

जमशेदपुर, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 - जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र झारखंड के बड़े क्षेत्रफल वाले चुनाव क्षेत्रों में शुमार है। इसका एक छोर जमशेदपुर का मैनचेस्टर कहा जाने वाला जुगसलाई है, तो एक बड़ा इलाका बोड़ाम व पटमदा जैसा ग्रामीण क्षेत्र हैं। जुगसलाई कारोबार पर निर्भर है, जबकि बोड़ाम व पटमदा खेती-किसानी बहुल इलाके हैं। इसी विधानसभा का एक इलाका गोविंदपुर का है, जहां टाटा मोटर्स, टाटा पावर, न्युवोको सीमेंट प्लांट के कर्मचारी रहते हैं।

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इतनी विविधता वाला विधानसभा क्षेत्र होने की वजह से किसी भी विधायक के लिए सभी इलाके के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतर पाना आसान नहीं होता। यही बात रामचंद्र सहिस के साथ भी लागू होती है। उनकी सबसे ज्यादा सक्रियता बोड़ाम व पटमदा इलाके में रहती है, तो उसके बाद गोविंदपुर क्षेत्र में दिखती है। जुगसलाई के कारोबारियों की शिकायत रहती है कि विधायक उनके क्षेत्र में आते ही नहीं। जुगसलाई के लोग सांसद विद्युत वरण महतो से फरियाद करते हैं।

विधायक का निवास मानगो में है, जो जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। उनके घर के पास सुबह से देर शाम तक बोड़ाम-पटमदा के लोगों की भीड़ लगी रहती है, जहां उनके विधायक के पीए लोगों की शिकायत सुनते हैं। गांव में सर्वाधिक सक्रियता रहने की वजह से उनकी वहां खासी लोकप्रियता भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम व फुटबॉल मैच में अवश्य भाग लेते हैं, तो सुख-दुख में भी शामिल होते हैं। सरल-सहज स्वभाव व मृदुभाषी होने की वजह से ग्रामीण इन्हें पसंद करते हैं।

यही वजह है कि रामचंद्र सहिस दो बार से ना केवल विधायक चुने जा रहे है। हाल ही में झारखंड सरकार में पेयजल व स्वच्छता विभाग का मंत्री बनने के बाद रामचंद्र सहिस की व्यस्तता पूरे राज्य में हो गई है। इसकी वजह से ये अपने क्षेत्र में कम समय दे पा रहे हैं। इन्होंने पटमदा के जल्ला कॉलेज में 18 विषयों में पढ़ाई की स्थानीय मान्यता दिलाई है, जिसे यहां के लोग बड़ी उपलब्धि बताते हैं। जल्ला कॉलेज इलाके का एकमात्र डिग्री कॉलेज भी है।

बोड़ाम में डिग्री, पटमदा में खुलेगा आइटीआइ कॉलेज

विधायक रामचंद्र सहिस का कहना है कि शिक्षा, कृषि व रोजगार उनकी प्राथमिकता रही है। इसके तहत जल्ला कालेज को स्नातक व इंटर कालेज की स्थायी मान्यता दिलाई, तो बोड़ाम में डिग्री कॉलेज और पटमदा में आइटीआइ कालेज खुलवा रहा हूं। दर्जनों मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कराया। बोड़ाम में लड़कों व लड़कियों के लिए छात्रावास का निर्माण हो रहा है।

कोल्ड स्टोरेज के लिए मैं शुरू से संघर्ष कर रहा था, अब सांसद निधि से ही सही, निर्माण शुरू हो गया है। इससे क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। इसके अलावा कुमीर व बोड़ाम में दो विद्युत सब-स्टेशन बनवाए, जबकि पटमदा का निर्माणाधीन है। सिंचाई के लिए मैंने सैकड़ों तालाब व चेकडैम का निर्माण व जीर्णोद्धार कराया। बंगाल सीमा तक दो सड़क बनाई। -रामचंद्र सहिस, विधायक (आजसू)।

विधायक से मिलने में ही छूट जाता है पसीना

रामचंद्र सहिस लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। अब इन्हें कौन चुनता है, यह रहस्य है। क्षेत्र के लोगों से उन्हें यही सुनने में मिलता है कि विधायक से मुलाकात नहीं होती। एक तो वे पटमदा-बोड़ाम से काफी दूर मानगो में रहते हैं। वहां जाने पर भी पीए व समर्थक मिलने नहीं देते। विधायक 12 बजे नींद से जागते हैं, तो सीधे बोड़ाम-पटमदा के किसी कार्यक्रम या मीटिंग में चले जाते हैं। हां कोई रसूखदार व्यक्ति चाहे तो दो मिनट में मिल सकता है।

जो विधायक 10 साल के कार्यकाल में जुगसलाई नहीं गया हो, उससे वहां के लोग क्या उम्मीद कर सकते हैं। पटमदा-बोड़ाम में ना सिंचाई की व्यवस्था है, ना स्वास्थ्य या रोजगार की। आजादी के बाद से अब तक यहां कोई कल-कारखाना नहीं लगा। यहां के युवक कमाने के लिए मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, सूरत आदि शहर जाते हैं। खेती के लिए ना सिंचाई की व्यवस्था है, ना बाजार की। पटमदा सब्जी का हब है, लेकिन कोल्ड स्टोरेज नहीं होने से इनके उत्पाद औने-पौने भाव में बिकते हैं। सब्जी बेचने के लिए इन्हें पड़ोस के प. बंगाल के बड़ाबाजार या जमशेदपुर जाना पड़ता है।  -मंगल कालिंदी, प्रमुख प्रतिद्वंद्वी (झामुमो)।


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