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Jharkhand Election 2019: सरयू राय और सुदेश महतो पर पहली बार खुलकर बोले रघुवर दास, दिया यह जवाब

Jharkhand Assembly Election 2019 5 साल तक भाजपा और आजसू के सरकार चलाने के बाद गठबंधन टूटने पर सीएम रघुवर दास की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:08 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 11:16 PM (IST)
Jharkhand Election 2019: सरयू राय और सुदेश महतो पर पहली बार खुलकर बोले रघुवर दास, दिया यह जवाब
Jharkhand Election 2019: सरयू राय और सुदेश महतो पर पहली बार खुलकर बोले रघुवर दास, दिया यह जवाब

रांची। झारखंड के मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने दैनिक जागरण के साथ विशेष साक्षात्‍कार में कई चुभते सवालों के बेबाक जवाब दिए। झारखंड में साथ मिलकर पांच साल तक भाजपा और आजसू के सरकार चलाने के बाद  गठबंधन टूटने पर भी सीएम की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। रघुवर दास ने चुनाव में दोनों दलों के बीच तालमेल नहीं होने और चुनाव के बाद तालमेल के विकल्प खुले रहने के सवाल पर कहा कि भाजपा पूरी तरह गठबंधन धर्म का पालन करती है।

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सीएम रघुवर दास ने कहा कि हमने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की, लेकिन सहयोगी आजसू की इच्छा ज्यादा सीटों पर चुनाव लडऩे की थी। इसलिए उन्होंने यह रास्ता चुना। चुनाव के बाद के तमाम विकल्‍प खुले होने पर कहा कि राजनीति में सारे दल अपने विकल्प खुले रखते हैैं। बीजेपी 65 प्लस सीटों का अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेगी। भाजपा को विकल्‍प तलाशने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

बागी सरयू राय के उनके खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ने के सवाल पर सीएम रघुवर दास ने पहली बार कुछ कहा है। रघुवर दास ने कहा कि सरयू राय का नाम तो चुनाव समिति के तीन-तीन दावेदारों के पैनल में ही नहीं था। लोकतंत्र में सबको अधिकार है चुनाव लडऩे का। दिल्ली का रहने वाला भी आकर चुनाव लड़ रहा है मेरे क्षेत्र से। अब, जनता इस पर निर्णय लेगी। लोकतंत्र में जनता ही असली मालिक है।

इस चुनाव में अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर टिकट बांटने और मंत्री सरयू राय का टिकट काटने के सवाल पर कहा कि यह आरोप सरासर गलत है। भाजपा बहुत बड़ी पार्टी है। भाजपा में एक व्यक्ति निर्णय नहीं लेता। चुनाव समिति को तीन-तीन नाम का पैनल बनाकर यहां से भेजा गया था। एक-एक नाम पर चुनाव समिति ने चर्चा की। समीकरण पर बात हुई। बहुत सीट पर प्रत्याशियों का नाम पेंडिंग था। कई स्तर पर सर्वे कराया गया। पूरी तरह से जीत को लेकर निश्चिंत होने के बाद ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई।

यहां विस्‍तार से पढ़ें सीएम से हमारे चुभते सवालों के बेबाक जवाब

सवाल : क्या आपने अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर टिकट बांटे? मंत्री सरयू राय का टिकट काट दिया गया, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि सरयू राय का नाम सबसे उपर था।

सीएम रघुवर दास का जवाब: यह सरासर गलत आरोप है। देखिए, भाजपा बहुत बड़ी पार्टी है। संगठन सबके निर्णय से फैसले लेती है। भाजपा में एक व्यक्ति निर्णय नहीं लेता। चुनाव समिति को तीन नाम का पैनल बनाकर यहां से भेजा गया था। एक-एक नाम पर चुनाव समिति ने चर्चा की। समीकरण पर बात हुई। आपने देखा होगा कि बहुत सीट पर प्रत्याशियों का नाम पेंडिंग था। कई स्तर पर सर्वे कराया गया। पूरी तरह से जीत को लेकर निश्चिंत होने के बाद ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई। सरयू राय का नाम तो पैनल में ही नहीं था। कोई बोल रहा है कि उनका नाम था, तो यह गलत है। उनका नाम चुनाव समिति को अनुशंसित नहीं किया गया। लोकतंत्र में सबको अधिकार है चुनाव लडऩे का। दिल्ली का रहने वाला भी आकर चुनाव लड़ रहा है मेरे क्षेत्र से। इससे किसी को रोका नहीं जा सकता है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है भैया।

सवाल : आजसू से दोस्ती टूट गई? आगे क्या संभावनाएं हैं?

सीएम रघुवर दास का जवाब: गठबंधन धर्म का पालन भाजपा गंभीरता से करती है। हमने तो बहुत कोशिश की, गठबंधन के तहत चुनाव लडऩे की। कई बार बातचीत हुई। वे ज्यादा सीटों पर लडऩा चाहते थे। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। सभी अपना विस्तार करना चाहते हैैं। ठीक है, जनता इसपर निर्णय लेगी। लोकतंत्र में जनता ही असली मालिक है। फैसला उसी को लेना है। रही बात चुनाव के बाद के विकल्प की, तो राजनीति में सारे दल अपने विकल्प खुले रखते हैैं। भाजपा को इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

सवाल : सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करने का आरोप विपक्ष लगाता है? कहा जाता है कि सरकार आदिवासियों की जमीन छीनना चाहती है।

सीएम रघुवर दास का जवाब: कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा भ्रम फैलाती है सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उल्लंघन का। 2014 में इनके झूठ को जनता ने नकार दिया था। अब इनकी दाल नहीं गलने वाली है। ये बताएं कि सरकार ने किस आदिवासी की जमीन छीनी? हम तो हर चौपाल में यही सवाल सबसे पहले करते हैैं। पूछते हैैं कि किसी की जमीन छीनी गई तो वह बताए। पांच साल में किसी की जमीन सरकार ने नहीं छीनी। विपक्ष को झूठ और भ्रम फैलाने से बाज आना चाहिए। उनको बताना चाहिए कि सरकार ने किसकी जमीन छीनी है? किसी के पास इसका सबूत है तो आकर मुझे बताए।

वह खुद सवाल दागते हैं, कहते हैं, गोला का रहने वाला सोरेन परिवार दुमका, साहिबगंज, गोड्डा में कैसे जमीन का मालिक बन गया? रांची में दारू पिलाकर एक आदिवासी लालू उरांव की जमीन हेमंत सोरेन ने ले लिया। उसपर सोहराय भवन बना दिया। सबकी जांच चल रही है। मेरे पास सिर्फ एक मकान है जमशेदपुर में, आप लोग भी जाकर देख लीजिए। इसके अलावा कहीं एक इंच जमीन नहीं है। खुली चुनौती देता हूं सबको। खुद को झारखंड के आदिवासियों का मसीहा बताने वाले नेता भी अपनी संपत्ति सार्वजनिक करें।

सवाल : एनडीए के गठबंधन दल जदयू से प्रत्याशी मैदान में हैैं। अन्य दल भी चुनाव लड़ रहे हैैं। जदयू से तालमेल नहीं होने का असर गठबंधन पर पड़ेगा?

सीएम रघुवर दास का जवाब: झारखंड की राजनीति बिहार से अलग है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कह चुके हैैं कि 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेंगे। यहां हमारा जदयू से कोई एलायंस नहीं है। लोजपा से भी नहीं है। जहां एलायंस नहीं है, वहां हर पार्टी चुनाव लडऩे के लिए स्वतंत्र है।

सवाल : आपकी स्पष्टतवादिता को कार्यकर्ता गुस्से के रूप में ले लेते हैं। आरोप लगाया जाता है कि कार्यकर्ता इससे नाराज हैं?

सीएम रघुवर दास का जवाब: देखिए भैया, मैैं राजनीति में झूठ बोलने के लिए नहीं आया। कार्यकर्ता मेरा नेचर जानते हैैं। मैैं स्पष्ट बोलता हूं। मैैं किसी से झूठ नहीं बोलता। मेरे कार्यकर्ता मुझे अच्छी तरह जानते और समझते हैैं। वे मुझसे प्यार करते हैैं। वे संगठन की पूंजी हैैं। कार्यकर्ताओं के बल पर ही भाजपा खड़ी हुई है। यहां कोई वंशवाद नहीं चलता। मैैं मजदूर था, मेरे पिता मजदूर थे। मैने कभी नहीं सोचा था कि एमएलए बनूंगा। आज मुख्यमंत्री के पद पर हूं तो संगठन की बदौलत। संगठन से बढ़कर कुछ नहीं है। सही है कि कुछ लोग मेरा विरोध करते हैैं, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जो मेरा विरोध करते हैैं उनकी दुकानें बंद हो गई। जिनकी दलाली नहीं चलती, वे मेरा विरोध करते हैैं। मैने राज्य में बिचौलियों और दलालों को खत्म कर दिया।

सवाल : आपको लोग झारखंड से बाहर का बताते हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जब यहां के दौरे पर आए थे तो उन्होंने कहा कि आप छत्तीसगढ़ के हैं। अपशब्दों का उपयोग का भी आरोप लगाया।

सीएम रघुवर दास का जवाब: मैं अपशब्दों का प्रयोग नहीं करता। कोई प्रमाण है इसका। लोकतंत्र में आलोचना करना विपक्ष का काम है लेकिन बगैर तथ्य के कोई बात नहीं करना चाहिए। और जो लोग मुझे झारखंड से बाहर का बताते हैं तो मैं उनका कहना चाहता हूं कि जाकर जमशेदपुर में टीएमएच का रिकार्ड देख लें। मेरे पिता टिस्को में खलासी थे। मजदूर का बेटा हूं। जमशेदपुर के टीएमएच में पैदा हुआ हूं। जाकर मेरी जन्मकुडली देखे। और जो लोग आदिवासी-आदिवासी चिल्लाते हैं वे बताएं कि आदिवासियों के लिए उन्होंने क्या किया। मैने तो आदिवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू की है। उनका जीवन स्तर ऊपर उठाया है। आगे भी काम करता रहूंगा। आदिवासी को सिर्फ वोट बैंक बनाए रखने वालों ने उनका सिर्फ शोषण किया।

सवाल : आपका दावा है कि आप फिर से सत्ता में आएंगे। अगर ऐसा हुआ तो आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

सीएम रघुवर दास का जवाब:  विकास, सुशासन और भरोसा। यही है हमारा मुद्दा। एक ही जिद्द है मेरी, अमीर राज्य की गोद से गरीबी को खत्म करना। पर्यटन विकास, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा, कृषि क्षेत्र को मजबूत करना हमारा एजेंडा है। पर्यटन का काफी स्कोप है झारखंड में। संताल परगना से लेकर पूरे राज्य में ढेरों पर्यटन स्थल हैैं। टूरिज्म को विकसित करना हमारे एजेंडे में होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य पर हम केंद्रित करेंगे। फोकस होगा कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले। अस्पतालों में बहालियां होंगी। एएनएम की बहाली हमने बड़े पैमाने पर की। अस्पतालों में हम मैनपावर बढ़ाएंगे। सभी हॉस्पिटल को हम कारपोरेट अस्पतालों की तर्ज पर विकसित करेंगे। प्रबंधन अलग होगा और डाक्टर अलग, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।

सवाल : किसानों की आय बढ़ाना बड़ा मुद्दा है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कैसे करेंगे?

सीएम रघुवर दास का जवाब: किसानों की आय बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। कृषि के तीन क्षेत्र हैैं- खेती, पशुपालन और वन उत्पाद। तीनों सेक्टर में हमने काम किया है। गरीब महिलाओं को 90 फीसद सब्सिडी पर हम दो गाय दे रहे हैैं। 400 करोड़ का दूध राज्य में बाहर से आता है। सुधा डेयरी की तर्ज पर मेधा डेयरी की स्थापना की गई है। डेयरी फार्म से सखी मंडलों को जोड़ा जाएगा। डेयरी में गाय की खरीदारी के लिए 50 फीसद सब्सिडी देंगे। दूध से लोगों की आमदनी बढ़ेगी और खाद भी बिकेगा। वन उत्पादन बांस और बेंत के लिए हमने आइका नामक संगठन से एमओयू किया है। जामा में 300 महिलाओं को इससे जुड़े उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। जलकुंभी से मैट बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।


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