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Jharkhand Election Result 2019: पहले छिटकी, फिर चिपकी बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM

Jharkhand Election Result 2019. विधानसभा चुनाव में बाबूलाल पहले अकेले चले अब नई सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया। अच्छे दिन की आस में तीन सीटों पर सिमट गया झाविमो।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 07:11 AM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: पहले छिटकी, फिर चिपकी बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM
Jharkhand Election Result 2019: पहले छिटकी, फिर चिपकी बाबूलाल मरांडी की पार्टी JVM

रांची, [विनोद श्रीवास्तव]। Jharkhand Election Result 2019 - लोकसभा चुनाव के बाद से ही महागठबंधन की कवायद में जुटे झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन से दूरी बना ली। अच्छे दिन की आस में उन्होंने सभी 81 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी भी उतारा, परंतु परिणाम अपेक्षित नहीं रहा। 2014 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों के अलावा पिछले दो लोकसभा चुनावों में प्रतिद्वंद्वियों के हाथों मात खाते आ रहे बाबूलाल मरांडी इस बार धनवार से अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे।

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इनके अलावा प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट और बंधु तिर्की मांडर में अपने प्रतिद्वंद्वी को मात देने में सफल रहे। अब जबकि झारखंड की राजनीति में झाविमो अलग-थलग पड़ गया, उसने एक नई रणनीति के तहत हेमंत सोरेन की सरकार को बिना शर्त समर्थन देने में भलाई समझी। अब यह झामुमो नीत गठबंधन सरकार पर निर्भर है कि वह झाविमो को किस नजरिए से देखता है, उसे किस हद तक तवज्जो देता है।

कार्यकर्ताओं को नहीं पच रही एकला चलो की नीति

विधानसभा चुनाव 2019 में बाबूलाल मरांडी की एकला चलो की नीति कार्यकर्ताओं को नहीं पच नहीं रही। झाविमो के भीतरखाने यह चर्चा आम है। कार्यकर्ताओं को इस बात का मलाल है कि अगर झाविमो भी महागठबंधन का हिस्सा होता तो उसे कहीं अधिक सीटें आती और हेमंत सोरेन की सरकार में उसकी सीधी भागीदारी होती। अति विश्वास में झाविमो ने यह मौका गंवाया है। अब वह गठबंधन सरकार की रहमोकरम पर ही रहेगा। अलबत्ता कार्यकर्ता नई सरकार में एक मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सिंगल मैन शो की बात पर बिखरता रहा है कुनबा

भाजपा से अलग होकर बाबूलाल मरांडी ने 2006 में जब अलग पार्टी झाविमो प्रजातांत्रिक का गठन किया, रवींद्र राय, समरेश सिंह सरीखे कई दर्जन भाजपाई उनके साथ हो लिए थे। बाद में उनका कुनबा बिखरता चला गया। पार्टी छोड़कर जाने वालों की यह आम शिकायत थी कि झाविमो सिंगल मैन शो का पर्याय बन चुका है। 2014 के चुनाव के बाद झाविमो के जिन छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था, उनका भी यही आरोप था। उन्होंने पार्टी के प्रधान सचिव प्रदीप यादव पर संगठन को कमजोर करने का आरोप मढ़ा था।


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