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Jharkhand Election Result 2019: राजनीतिक विरासत को संवार सफलता के शिखर पर पहुंचे हेमंत सोरेन

Jharkhand Election Result 2019. इंजीनियरिंग करने के लिए बीआइटी मेसरा में एडमिशन भी लिया लेकिन जल्द ही उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़कर राजनीति में कूदना पड़ा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 03:20 PM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: राजनीतिक विरासत को संवार सफलता के शिखर पर पहुंचे हेमंत सोरेन
Jharkhand Election Result 2019: राजनीतिक विरासत को संवार सफलता के शिखर पर पहुंचे हेमंत सोरेन

रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand Election Result 2019 - भाजपा के स्टार प्रचारकों की फौज को अकेले पस्त करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को उनके करीबी 'वन मैन आर्मी कहते हैैं। यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि आज झारखंड की राजनीति की शीर्ष पर पहुंचने वाले हेमंत सोरेन मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहते थे। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पटना हाई स्कूल से पूरा करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग करने के लिए बीआइटी, मेसरा में एडमिशन भी लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़कर राजनीति में कूदना पड़ा।

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पिता शिबू सोरेन की बढ़ती उम्र के कारण इनपर राजनीति में आने का दबाव था। शुरुआत में बड़े भाई दुर्गा सोरेन के सान्निध्य में राजनीति का ककहरा सीखा, लेकिन उनके असामयिक निधन के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की पूरी जवाबदेही हेमंत सोरेन के कंधे पर आ गई। तब संगठन के भीतर भी उनके योग्यता को लेकर वरीय नेता दबे मुंह सवाल उठाते थे, लेकिन लगातार झारखंड मुक्ति मोर्चा का विस्तार कर उन्होंने विरोधियों का मुंह बंद किया। 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के गोला प्रखंड के नेमरा में जन्मे हेमंत शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र हैैं।

पत्नी कल्पना सोरेन स्कूल चलाती हैैं और घर भी संभालती हैैं। राजनीतिक व्यस्तता के कारण घर को ज्यादा समय नहीं दे पाना इन्हें खलता है, लेकिन जब भी मौका मिलता है, वे परिवार के साथ समय गुजारना नहीं भूलते। उनके गंवई अंदाज को राजनीतिक विरोधी पॉलिटिकल स्टंट कहते हैैं, लेकिन वे अक्सर अपने पैतृक गांव नेमरा के कच्चे घर में खटिया पर बैठे नजर आते हैैं।

राजनीतिक दौरे के क्रम में भी गांवों में कार्यकर्ताओं के घरों में ठहरना, भोजन करना उनकी आदत में शुमार है। हेमंत सोरेन पूरी तरह शाकाहारी है। खुद को फिट रखने के लिए कुछ खास नहीं करते। उनके मुताबिक राजनीति की भागदौड़ में इतनी कसरत हो जाती है कि कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं। हेमंत सोरेन की खासियत उनकी सादगी है। वे गर्मजोशी से लोगों से मुलाकात करते हैैं और किसी को निराश नहीं करते। उन्हें चित्रकारी और फोटोग्राफी का शौक हैै और खाली वक्त में इसे पूरा करने का मौका भी नहीं छोड़ते। क्रिकेट में भी उनकी काफी रुचि है।

खास बातें

  • राजनीति में सक्रियता के कारण मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ी बीच में
  • आरंभ में योग्यता पर उठते थे सवाल, लेकिन झामुमो का विस्तार कर बंद किया विरोधियों का मुंह
  • गंवई अंदाज है झारखंड के भावी मुख्यमंत्री का, पूरी तरह हैं शाकाहारी
  • चित्रकारी और फोटोग्राफी का है रखते हैैं शौक

हार गए थे पहला चुनाव

हेमंत सोरेन 2005 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। उन्हें दुमका विधानसभा सीट से स्टीफन मरांडी ने हराया था। बाद में उन्होंने यह सीट 2009 में जीती। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वे छोटे अरसे तक 29 जून 2009 से 04 जून 2010 तक राज्यसभा के भी सदस्य रहे। 18 जनवरी 2013 को उन्होंने पहली बार झारखंड की बागडोर संभाली थी। वे लगभग 14 माह सत्ता में रहे। वे इससे पहले अर्जुन मुंडा के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री के पद पर भी रहे।


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