Move to Jagran APP

Jharkhand Election Result 2019: पुलिस की रणनीति के आगे नक्सलियों का हर दांव रहा फेल, शांतिपूर्ण ढंग से हुआ चुनाव

चुनाव से लेकर अब राज्य सरकार के गठन की चल रही प्रक्रिया के शांतिपूर्ण ढंग से निपटने पर पक्ष-विपक्ष सहित राज्य की जनता भी राहत महसूस कर रही है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 09:13 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 09:13 AM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: पुलिस की रणनीति के आगे नक्सलियों का हर दांव रहा फेल, शांतिपूर्ण ढंग से हुआ चुनाव
Jharkhand Election Result 2019: पुलिस की रणनीति के आगे नक्सलियों का हर दांव रहा फेल, शांतिपूर्ण ढंग से हुआ चुनाव

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड गठन के बाद यह पहली बार है जब चुनाव में पुलिस का दामन बेदाग रहा है। यह भी पहली बार ही हुआ है, जब नक्सली तमाम कोशिशों के बावजूद कोई व्यवधान डालने में कामयाब नहीं हो सके। पुलिस की सटीक रणनीति के आगे नक्सलियों का हर दांव विफल रहा और मतदाता बेखौफ होकर मतदान केंद्रों तक पहुंचे। चुनाव से लेकर अब राज्य सरकार के गठन की चल रही प्रक्रिया के शांतिपूर्ण ढंग से निपटने पर पक्ष-विपक्ष सहित राज्य की जनता भी राहत महसूस कर रही है। इसके पीछे ठोस कारण भी हैं, क्योंकि पूर्व में हुए चुनावों में नक्सिलयों ने आमजन से लेकर सुरक्षा बलों को निशाना बनाया ही था, पुलिस पर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं।

loksabha election banner

ज्यादा पीछे न जाएं तो सात महीने पहले ही हुए लोकसभा चुनाव में मतदान कराकर लौट रही पोलिंग पार्टी को शिकारीपाड़ा में नक्सलियों ने उड़ा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में इवीएम बदलने को लेकर तत्कालीन प्रत्याशी अमिताभ चौधरी ने खूब बवेला मचाया था। और भी तमाम मतदान केंद्रों पर पुलिस पर ऐसे आरोप लगे थे और काफी हो-हल्ला हुआ था। पुलिस-प्रशासन ने पूर्व की घटनाओं से सीख लेते हुए इस बार काफी ठोस रणनीति बनाई थी और उसे कड़ाई से अमल में लाए।

चुनाव के पूर्व नक्सलियों ने लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र में अपनी धमक दिखाने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन पुलिस रणनीति से वह पार नहीं पा सके। नक्सलियों की गतिविधियों का मतदान प्रक्रिया में कोई प्रभाव नहीं पड़ा और न ही जनता को यह महसूस हुआ कि पुलिस कोई बड़ी कार्रवाई कर रही है। इससे इस क्षेत्र में भी मतदाता बेखौफ होकर निकले। लगभग पूरे राज्य में ऐसा ही हुआ। यह भी शंका जताई जा रही थी कि मतदान खत्म होने के बाद पुलिसिया मुस्तैदी खत्म होते ही नक्सली हरकत कर सकते हैं, लेकिन ऐसी आशंकाएं भी पुलिस की सख्ती से अब तक निर्मूल ही साबित हुई हैं।

पूर्व के चुनावों में यहां-यहां हो चुकी हैं नक्सली वारदातें

  • वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में दुमका के शिकारीपाड़ा में नक्सलियों ने बीएसएफ के दो जवानों की हत्या कर उनके हथियार लूट लिए थे।
  • वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में दुमका के शिकारीपाड़ा में नक्सलियों ने चुनाव संपन्न कराकर लौट रही पोलिंग पार्टी की गाड़ी को उड़ा दिया था। इसमें पांच पुलिसकर्मी व तीन अन्य नक्सलियों के हमले में मारे गए थे।
  • लोकसभा चुनाव-2019 में नक्सलियों ने सरायकेला-खरसांवा में भाजपा के चुनावी कार्यालय को उड़ा दिया था।
  • लोकसभा चुनाव -2019 में पलामू के हरिहरगंज में माओवादियों ने भाजपा के चुनावी कार्यालय को उड़ा दिया था।

पुलिस मुख्यालय ने इस रणनीति से पाई सफलता

  • -सभी एसपी व थानेदार को निर्देश दिया कि वे कार्यालय में बैठने की संस्कृति से बाहर निकलकर फील्ड में रहें और बल का नेतृत्व करें।
  • केंद्रीय बल के कमांडेंट को भी अपने बल का नेतृत्व करने का निर्देश दिया गया था।
  • जो बल पहले से नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चला रहा था, उसे नक्सल विरोधी अभियान चलाते रहने का निर्देश दिया गया। उसे चुनाव कार्य से दूर रखा गया।
  • केंद्र से मिले बल का उपयोग चुनाव कार्य, हाइवे पेट्रोलिंग, कलस्टर व बूथ की सुरक्षा आदि में लगाया गया।
  • पूरे राज्य को नक्सल व गैर नक्सल क्षेत्र में बांटा गया और वहां के संवेदनशील, अति संवेदनशील बूथ की समीक्षा कर उसके अनुसार बल को प्रतिनियुक्त किया गया।
  • छोटी-बड़ी सभी गोपनीय सूचनाओं का सत्यापन कराया गया।
  • सभी बल को पार्टी का एजेंट नहीं, बल्कि निष्पक्ष चुनाव कराने का निर्देश दिया गया।

डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा

  • मुख्यालय के वरीय अधिकारी जैसे एडीजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा, आइजी मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह, आइजी ऑपरेशन साकेत कुमार सिंह, आइजी मुख्यालय विपुल शुक्ला, डीआइजी अमोल वी. होमकर व कुलदीप द्विवेदी तथा एसपी विजयालक्ष्मी, मोहम्मद अर्शी ने बेहतर नेतृत्व दिया।
  • 37 हजार से 57 हजार फोर्स के मूवमेंट को अनुशासन में बांधे रखा, उनके लिए पूरी व्यवस्था की।
  • सीआरपीएफ के आइजी संजय आनंद लाटकर व अन्य बल का पूरा समन्वय मिला, जिससे यह जीत हासिल हुई।
  • जमीनी स्तर पर बेहतर नेतृत्व मिला, बेहतर समन्वय, समय की प्रतिबद्धता, हेलीड्रापिंग आदि का लाभ मिला।
  • यह सुरक्षा बलों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है और इसके लिए सभी को बधाई।

ये हैं 13 जिले जो अति नक्सल प्रभावित हैं

- गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लातेहार, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो, हजारीबाग, चतरा, रांची, गढ़वा, लोहरदगा व सिमडेगा।

अन्य नक्सल प्रभावित जिले

दुमका, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, गोड्डा,  पाकुड़ व धनबाद।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.