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Jharkhand Assembly Election 2019: हेमंत सोरेन अकेले झेल रहे वार, अन्य विपक्षी नेता निशाने से दूर

Jharkhand Assembly Election 2019. चुनाव की घोषणा के पहले ही भाजपा और झामुमो के बीच खुली जंग छिड़ी है। हर मोर्चे पर भिडऩे की तैयारी छोटे सोरेन सधे कदमों से अपने दांव चल रहे हैैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 08:01 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 07:00 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: हेमंत सोरेन अकेले झेल रहे वार, अन्य विपक्षी नेता निशाने से दूर
Jharkhand Assembly Election 2019: हेमंत सोरेन अकेले झेल रहे वार, अन्य विपक्षी नेता निशाने से दूर

रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand Assembly Election 2019 - झारखंड में चुनाव की आधिकारिक घोषणा भले ही नहीं हुई हो लेकिन योद्धा आमने-सामने दिख रहे हैैं। सत्ताधारी भाजपा के कुनबे के सीधे निशाने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्‍यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन हैैं। एक मायने में शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत संभाल रहे छोटे सोरेन इस महासमर में अकेले ही सारे वार भी झेल रहे हैैं। उनके कुनबे की सीटों पर जहां सत्तापक्ष की निगाहें हैैं वहीं जमीन की जांच को लेकर हेमंत सोरेन सरकार के निशाने पर भी हैैं।

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भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने तीन जिलों रांची, जमशेदपुर और बोकारो के उपायुक्त को आदेश जारी किया है कि भाजपा की ओर से सौंपी गई शिकायत के आधार पर जमीनों की जांच रिपोर्ट सौंपी जाए। यह दीगर है कि लगातार आरोपों के क्रम में भी हेमंत सोरेन यह कहते रहे हैैं कि सरकार जांच को स्वतंत्र है। वे आदिवासी जमीन की बड़े पैमाने पर हुई हेरफेर के सिलसिले में बने विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के पक्ष में हैैं।

पूर्व विकास आयुक्त देवाशीष गुप्ता इस प्रकरण की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप चुके हैैं। इससे इतर अन्य विपक्षी दलों के नेता सीधे सत्तापक्ष के निशाने पर नहीं हैैं। हेमंत सोरेन ने चुनावी तैयारियां अपने स्तर से की है। वे झामुमो के प्रमुख रणनीतिकार भी हैैं और स्टार प्रचारक भी। तमाम जिला मुख्यालयों में बड़ी रैलियां करने के अलावा वे रांची में भी रैली कर चुके हैैं। झामुमो के लिए सीटें भी उन्होंने चिन्हित कर रखी हैैं।

वे अपने आधार वोट बैैंक को केंद्र में रख तैयारियों में जुटे हैैं। यही वजह है अटकलों के बावजूद बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ नहीं छोड़ा। हेमंत सोरेन तमाड़ से आजसू के विधायक विकास सिंह मुंडा को साथ लाने में सफल रहे। हालिया राजनीतिक उथलपुथल में भाजपा के कुछ विधायक भी उनके दल की ओर देख रहे हैैं।

पैने कर रहे हथियार, लुभावने वादों की बौछार

हेमंत सोरेन आदिवासी-मूलवासी मुद्दों पर लगातार मुखर हैैं। वे रोज इसकी माॅनिटरिंग अपने विश्वस्तों संग करते हैैं। सोशल प्लेटफार्म पर उनकी सक्रियता लगातार है। वे अपनी बातों को समझाने की कोशिश करने के साथ-साथ पलटवार से भी परहेज नहीं करते।

अपने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए वे खास विशेषण और उपमा का भी प्रयोग करते हैैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी राय रखते हैैं। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उनका उत्साह बढ़ाया है। रोजाना वे लोगों से मिलकर फीडबैक भी लेते हैैं और इसी आधार पर आगे की रणनीति तय करते हैैं।


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