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Hemant Oath Ceremony: बहुत दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रही कांग्रेस, हेमंत को हर तरफ से मदद

Hemant Oath Ceremony झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अबतक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 30 सीटें हासिल की जबकि उसके सहयोगी दलों कांग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट पर कब्जा जमाया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 08:52 AM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 08:03 PM (IST)
Hemant Oath Ceremony: बहुत दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रही कांग्रेस, हेमंत को हर तरफ से मदद
Hemant Oath Ceremony: बहुत दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रही कांग्रेस, हेमंत को हर तरफ से मदद

रांची, राज्य ब्यूरो। Hemant Oath Ceremony राजनीति में दोस्ती-दुश्मनी स्थायी नहीं होती। मौका पाकर दिल और दल दोनों बदलते हैैं। महाराष्ट्र का हालिया राजनीति घटनाक्रम इसका ताजा उदाहरण है जब धुर विरोधी शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार बनाई। बिहार में भी कभी एक-दूसरे के खिलाफ राजनीति करने वाले नीतीश कुमार और लालू प्रसाद एक साथ आए थे। वक्त बदला तो आज फिर दोनों एक-दूसरे पर तंज कसने का कोई मौका नहीं चूकते। ये तमाम उदाहरण झारखंड के परिप्रेक्ष्य में भी हैैं। यहां समर्थन लेने-देने और सरकार गिराने का लंबा इतिहास है।

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विधानसभा चुनाव के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अबतक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 30 सीटें हासिल की जबकि उसके सहयोगी दलों कांग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट पर कब्जा जमाया। इन तीनों दलों का आंकड़ा बहुमत के जादुई 41 के आंकड़े से ज्यादा होता है। इसके अलावा बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली झाविमो के तीन सदस्य भी सरकार को समर्थन देंगे। भाकपा माले, एनसीपी के साथ-साथ निर्दलीय सरयू राय भी समर्थन देने को आगे आए हैैं।

इस लिहाज से हेमंत सोरेन की सरकार को फिलहाल 53 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यह परिस्थिति इस मामले में भविष्य के लिए अच्छा है कि कांग्रेस सरकार को ज्यादा दबाव में नहीं ले पाएगी। अगर कभी इसकी नौबत भी आई तो अन्य दल और विधायकों का साथ सरकार को संकट से बचाएगा। झामुमो के रणनीतिकार इसी मुताबिक काम कर रहे हैैं ताकि प्रतिकूल परिस्थिति में भी कोई आंच सरकार पर नहीं आए।

भाजपा को भी सकारात्मक संदेश

चुनाव प्रचार के दौरान झारखंड में भले ही नेताओं के बोल बिगड़ रहे थे, लेकिन परिणाम आने के बाद माहौल बदलता दिख रहा है। भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी पहल की है। उन्होंने रघुवर दास के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट को तहत थाने मेें का गई शिकायत वापस ले ली है। इससे तल्खी का माहौल समाप्त खत्म होता दिख रहा है।  हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा है कि वे दुर्भावना में या प्रतिक्रिया में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। यह संकेत कांग्रेस के लिए भी हो सकता है। भाजपा और झामुमो पूर्व में राजनीतिक साझेदारी से सरकारें चला चुके हैैं।

बहुमत के लिए चाहिए - 41 विधायकों का साथ

  1. झामुमो के पास हैैं 30 विधायक
  2. कांग्रेस के पास हैैं 16 विधायक
  3. राजद के एक विधायक भी साथ में
  4. झाविमो के तीन विधायकों का समर्थन
  5. भाकपा माले, एनसीपी का समर्थन
  6. निर्दलीय सरयू राय ने भी की है समर्थन की घोषणा
  7. फिलहाल हेमंत सोरेन को है 53 विधायकों का समर्थन यानी सामान्य बहुमत से 12 विधायक ज्यादा
  8. भविष्य में कांग्रेस ने तेवर दिखाए तब भी फर्क नहीं पड़ेगा झामुमो को

अंदर की बात

  1. उम्मीद से ज्यादा विधायकों को समर्थन मिल रहा हेमंत सोरेन को
  2. कुछ इस प्रकार बन रही झामुमो की रणनीति, ज्यादा निर्भरता नहीं होगी कांग्रेस पर
  3. सामान्य बहुमत से ज्यादा समर्थन हासिल हो रहा हेमंत सोरेन को 

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