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Jharkhand Assembly Election 2019: भाड़ फोड़ने के लिए यह अकेला चना ही काफी...जानें सत्ता के गलियारे का हाल

भाजपा जहां अपने चुनाव प्रभारी की अगुआई में फिर से सत्तासीन होने की जुगत तलाश रही है वहीं विपक्षी दल झामुमो झाविमो भी बीजेपी को रोकने की राह ढूंढ़ रहे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 09:31 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: भाड़ फोड़ने के लिए यह अकेला चना ही काफी...जानें सत्ता के गलियारे का हाल
Jharkhand Assembly Election 2019: भाड़ फोड़ने के लिए यह अकेला चना ही काफी...जानें सत्ता के गलियारे का हाल

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्‍ता पक्ष-विपक्ष के नेताओं की कसरत तेज हो गई है। धड़ाधड़ बैठकें ली जा रही हैं। नई-नई रणनीतियों पर तेजी से काम चल रहा है। जोर-आजमाइश के इस सियासी खेल में छुटभैये भी कद्दावर बनने की ताक में लगे हैं। बड़ा कद दिखाते हुए पार्टियाें में टिकट की दावेदारी भी पेश की जा रही है। भाजपा जहां अपने चुनाव प्रभारी की अगुआई में फिर से सत्तासीन होने की जुगत तलाश रही है, वहीं विपक्षी दल झामुमो, झाविमो भी बीजेपी को रोकने की राह ढूंढ़ रहे हैं। आइए जानते हैं झारखंड की सत्ता के गलियारे का हाल...

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अकेला चना ही भारी
सरयू सी गहराई रखने वाले अपने नेता भाड़ फोडऩे के लिए अकेले ही काफी हैं। कोई बिगाड़ सके तो बिगाड़ ले परंतु ईमान की बात कह कर रहेंगे। कहीं छेद भर दिख जाए, पत्थर मारकर गड्ढा करने में उन्हें महारत हासिल है। बगलगीर कहते हैं जब शेर-ए-बिहार को झारखंड में लाकर पटक दिया तो और की क्या बिसात? बस धुआं दिख जाए, आग की जड़ तक पहुंच कर रहेंगे। और जब आग अपने घर में लगी हो तो भला तपिश कैसे सहे? अपने ही मोहल्ले में उज्ज्वलाओं की भीड़ में खुद को अकेला पाकर फट पड़े। छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां से भी जवाब तलब कर डाला। अब जाने क्या होगा रामा रे...।

इलाज करने आए थे, इलाज करा गए
हाथवाली पार्टी विरोधियों से अधिक अपनों से परेशान है। पार्टी ने अंदर की बीमारी को दुरुस्त करने का जिम्मा एक डॉक्टर को सौंपा। उनका राजनीतिक अनुभव भी था, जो पार्टी के सेहत को दुरुस्त करने के लिए काम आता, लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत। डॉक्टर ने मर्ज तो पकड़ ली और इलाज शुरू भी कर दिया लेकिन पुराने रोगियों को दुरुस्त करने में उन्हें कई पापड़ बेलने पड़े। एक दिन अचानक उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि गलत रास्ते पर आगे बढ़ गए हैं। जिनका इलाज करने वे आए थे वही सब डॉक्टर के इलाज की योजना को अमल में ले आए हैं। फिर क्या था। डॉक्टर उल्टे पांव निकल गए। कहां गए किसी को पता भी नहीं चल रहा। हाथवाली पार्टी फिर बीमार है और नए डॉक्टर के इंतजार में है। अब हालत यह है कि पार्टी की अम्मा भी कोई सुध नहीं ले रही। दवा न दुआ, भगवान भरोसे चल रही पार्टी की जान कैसे बचती है, यह देखने की बात होगी। 

अब काटती है रांची
पहले माननीय को रांची में ही मन लगता था। मौसम के अलावा यहां सत्ता सुख का पूरा आनंद जो मिलता था। लेकिन अब फिर से समय जनता की अदालत का आ गया है। सो, माननीय अब यदा-कदा ही रांची में दिख रहे हैं। ज्यादा समय क्षेत्र में ही बिता रहे हैं। आते भी हैं तो उल्टे पांव वापस अपना क्षेत्र चले आते हैं। खुलकर कहते भी हैं, 'चुनाव तक क्षेत्र से टसके भी नहीं। माननीय की चिंता भी वाजिब है। अगले पांच साल फिर से ठसक बनाए रखना है तो अब रांची तो काटेगी ही।


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