Jharkhand Election 2019: तब 2014 के चुनाव में अर्श से फर्श पर पहुंच गए थे सभी पूर्व मुख्यमंत्री Flashback
Jharkhand Assembly Election 2019 जनता कब किसे नजरों से गिरा दे धक्का देकर बाहर कर दे कोई नहीं जानता। विधानसभा चुनाव-2014 में इसका ट्रेलर दिख चुका है। पढ़ें खास रिपोर्ट...
खास बातें
- 2014 में अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन को देखना पड़ा था हार का मुंह
- झाविमो सुप्रीमो को तो दो सीटों पर झेलनी पड़ी थी पराजय, पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो भी हार गए थे चुनाव में
- 12 हजार मतों से हराया था झामुमो के दशरथ गगरई ने अर्जुन मुंडा को खरसावां में
- 2 सीटों धनवार और गिरिडीह से पराजित हुए थे राज्य के पहले सीएम बाबूलाल मरांडी
- 1 सीट से हारे थे हेमंत सोरेन, दूसरी सीट बरहेट से जीत कर बचाई थी इज्जत
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी, इसका निर्णय जनता बखूबी करती है। कब किसे नजरों से गिरा दे, धक्का देकर बाहर कर दे कोई नहीं जानता। विधानसभा चुनाव-2014 में इसका ट्रेलर दिख चुका है। तब बड़े-बड़े सूरमा धाराशायी हो गए थे। सभी पूर्व मुख्यमंत्री व एक डिप्टी सीएम को भी हार का सामना करना पड़ा था।
हारने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन (दो सीट के प्रत्याशी थे, एक पर हारे) शामिल थे तो पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो को हार का स्वाद चखना पड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन तब चुनाव मैदान से बाहर थे।
जिन्हें हार का करना पड़ा था सामना
- अर्जुन मुंडा : भाजपा से विधायक बनकर तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री का ताज पहन चुके आदिवासियों के बड़े नेता अर्जुन मुंडा को 2014 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। वे अपनी पारंपरिक सीट खरसांवा से हारे थे और उन्हें तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी दशरथ गगरई ने 12 हजार वोट से हराया था। खरसांवा वहीं सीट है, जहां से संयुक्त बिहार के वक्त अर्जुन मुंडा सबसे पहले 1995 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव जीते। वर्ष 2005 व 2010 के विधानसभा चुनाव में भी अर्जुन मुंडा खरसांवा सीट जीते। 2014 के विधानसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा का हारना चौकाने वाला था, क्योंकि तब भाजपा के विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में गोते लगा रहे थे।
- बाबूलाल मरांडी : झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना झेलना पड़ा था। कभी भाजपा में रहे बाबूलाल मरांडी अलग होकर अपनी नई पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया और वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में दो सीट गिरिडीह व धनवार से अपने प्रत्याशी उतारे थे। बाबूलाल मरांडी को दोनों सीट गंवाने पड़े थे। गिरिडीह सीट से भाजपा के निर्भय कुमार शाहाबादी और धनवार से सीपीआइ माले के राजकुमार जीते थे।
- हेमंत सोरेन : मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने 2014 का विधानसभा चुनाव दो सीटों पर लड़ा। एक सीट बरहेट व दूसरी सीट दुमका थी। बरहेट से जीतकर उन्होंने अपनी इज्जत बचाई, लेकिन उन्हें दुमका सीट गंवाना पड़ा। इस सीट पर भाजपा की लुईस मरांडी ने जीत हासिल की। दुमका वह सीट है, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की पारंपरिक सीट है।
- मधु कोड़ा : पूर्व मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा को भी 2014 के विस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। वे अपने पारंपरिक सीट मझगांव से अपनी पार्टी जय भारत समानता पार्टी की टिकट पर खड़ा हुए थे। उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के नीरल पूर्ति के हाथों पराजय मिला था।
- सुदेश महतो : पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके सुदेश महतो को भी वर्ष 2014 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार अमित महतो के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा था।