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Jharkhand Election 2019: समर्थकों की मानें या दिल की सुनें, ऊहापोह में बाबूलाल; झाविमो की दो सीटें होल्ड

Jharkhand Assembly Election 2019 बीते विधानसभा चुनाव 2014 में दोराहे पर चलकर बाबूलाल मरांडी फिसल चुके हैं। बहरहाल यहां चर्चाओं का बाजार गर्म है। -

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 07:59 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 02:19 PM (IST)
Jharkhand Election 2019: समर्थकों की मानें या दिल की सुनें, ऊहापोह में बाबूलाल; झाविमो की दो सीटें होल्ड
Jharkhand Election 2019: समर्थकों की मानें या दिल की सुनें, ऊहापोह में बाबूलाल; झाविमो की दो सीटें होल्ड

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड के 81 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 79 पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुका झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) दो सीटों पाकुड़ और जामा को होल्ड पर रखा है। जामा को लेकर बहरहाल चर्चाओं का बाजार गर्म है। जामा के कुछ समर्थकों की पुरजोर मांग है कि झामुमो के कब्जे वाली इस सीट पर पार्टी सुप्रीमो खुद किस्मत आजमाएं। बहरहाल, इस मामले में वे समर्थकों की सुनें या दिल की करें, बाबूलाल ऊहापोह में है। हालांकि, इस प्रकरण में न तो बाबूलाल और न ही पार्टी के कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार हैं। अब जब तक होल्ड दोनों सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर दी जाती, यह राज ही रहेगा।

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बताते चलें कि बाबूलाल ने विधानसभा चुनाव 2014 में गिरिडीह और धनवार दोनों ही विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों से अपनी किस्मत आजमाई थी। दुर्भाग्य से दोनों ही जगह वे प्रतिद्वंद्वियों से मात खा गए थे। गिरिडीह में मरांडी जहां तीसरे पायदान पर थे, वहीं धनवार में वे उप विजेता थे। गिरिडीह की बात करें, तो निर्भय कुमार शाहाबादी ने यहां भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 57,450 मत प्राप्त हुए थे, जबकि उप विजेता झामुमो के सुदिव्य कुमार को 47,517 मत मिले थे। इससे इतर मरांडी को महज 26,665 मतों से ही संतोष करना पड़ा था।

जहां तक धनवार की बात है, मरांडी सीपीआइ (एमएल) के राजकुमार यादव से परास्त हुए थे। यादव को जहां 50,634 मत हासिल हुए थे, वहीं बाबूलाल मरांडी 39,922 मतों पर सिमट आए थे। बाबूलाल ने इस बार फिर धनवार से नामांकन दाखिल किया है। इससे इतर, जामा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पर झामुमो का कब्जा रहा है। दिशोम गुरु शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन पिछले दो विधानसभा चुनावों से इस सीट पर लगातार जीत दर्ज कराती आई हैं। ऐसे में मरांडी अगर यहां से भी किस्मत आजमाते हैं, तो उन्हें धनवार के ही समानांतर यहां भी अपनी ताकत झोंकनी होगी। ऐसे में वे इस चुनौती को स्वीकारेंगे, असंभव जान पड़ता है।


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