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Jharkhand Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा में जनता ने दलबदलुओं को किया खारिज, झारखंड में इनका क्‍या होगा?

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दलों को कुछ संदेश भी दे रहे हैं। संदेश स्पष्ट है जनता दलबलदुओं को सिर माथे पर नहीं बैठाती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 07:22 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 07:23 PM (IST)
Jharkhand Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा में जनता ने दलबदलुओं को किया खारिज, झारखंड में इनका क्‍या होगा?
Jharkhand Election 2019: महाराष्ट्र-हरियाणा में जनता ने दलबदलुओं को किया खारिज, झारखंड में इनका क्‍या होगा?

रांची, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दलों को कुछ संदेश भी दे रहे हैं। संदेश स्पष्ट है जनता दलबलदुओं को सिर माथे पर नहीं बैठाती है। दोनों ही राज्यों में जनता ने बड़े पैमाने पर दलबलदुओं को नकार दिया है। झारखंड विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में राज्य के राजनीतिक दलों को इससे सबक लेना होगा। झारखंड में दलबदलुओं की सबसे अधिक संख्या भाजपा में है लेकिन ऐसा नहीं है कि अन्य दल इससे अछूते हैं।

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हाल ही में विभिन्न दलों को छोड़कर पांच विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, विधायक मनोज यादव, झामुमो के विधायक कुणाल षाडंगी और जेपी पटेल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। नौजवान संघर्ष मोर्चा के विधायक भानु प्रताप शाही ने तो अपने दल तक का विलय कर दिया। कुछ दिन पूर्व झाविमो के प्रकाश राम भाजपा में शामिल हुए। पाला बदलने वाले ये तमाम विधायक अपने-अपने क्षेत्रों से निश्चित टिकट की गारंटी पर भाजपा में शामिल हुए हैं।

पूर्व में झाविमो के छह विधायक पाला बदल भाजपाई हो चुके हैं। इनमें एक नवीन जायसवाल को छोड़कर सरकार में सभी को कुछ न कुछ हासिल हुआ है। रणधीर सिंह और अमर बाउरी को मंत्री पद तो जानकी यादव आवास बोर्ड, गणेश गंझू मार्केटिंग बोर्ड और आलोक चौरसिया को वन विकास निगम का सर्वोच्च पद हासिल हुआ। भाजपा में दल बदलने वाले कुछ विधायकों की संख्या पिछले चुनाव से अब तक 12 हो चुकी है। विपक्षी खेमे की बात करें तो आजसू विधायक विकास मुंडा पाला बदलकर झामुमो में शामिल हो चुके हैं।

दलबदलुओं की बढ़ सकती है मुश्किलें

भाजपा सरीखे दल चुनाव परिणामों से मिली सीख पर तत्काल अमल करते हैं। राजस्थान, हरियाणा और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों से सीख लेते हुए सरकार ने किसानों के लिए अपनी झोली खोल दी। किसान भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर आ गया। परिणाम लोकसभा चुनावों बंपर जीत के रूप में दिखा। अब हरियाणा और महाराष्ट्र में दलबदलुओं के नकारे जाने को देखते हुए इसकी संभावना कम ही दिखती है कि झारखंड सरीखे राज्य में पाला बदलकर आने वाले सभी विधायकों को टिकट मिल ही जाए।

कुछ के टिकट कटेंगे तो कुछ की सीट बदली जा सकती हैं। पूर्व में झाविमो छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले छह विधायकों में तीन के टिकट मौजूदा परिस्थिति को देखकर कट सकते हैं। वहीं, हाल ही में विभिन्न दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कुछ विधायकों की सीट बदली जा सकती है। इन तमाम पहलुओं पर प्रदेश भाजपा में मंथन शुरू हो चुका है।


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