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Jharkhand Election Result 2019: हरियाणा में डेंट, महाराष्ट्र में डैमेज और झारखंड में डिफीट; जानें भाजपा की हार के 5 बड़े कारण

Jharkhand Election Result 2019 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नौ और अमित शाह की एक दर्जन जनसभाओं के साथ झारखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगाई थी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 07:13 PM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 09:23 PM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: हरियाणा में डेंट, महाराष्ट्र में डैमेज और झारखंड में डिफीट; जानें भाजपा की हार के 5 बड़े कारण
Jharkhand Election Result 2019: हरियाणा में डेंट, महाराष्ट्र में डैमेज और झारखंड में डिफीट; जानें भाजपा की हार के 5 बड़े कारण

खास बातें

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  • बेल पर रिहा होने के बाद चिदंबरम ने झारखंड में की थी घोषणा, सच साबित हुई
  • महज दो माह में भाजपा को तीसरा बड़ा झटका
  • विकास बनाम बदलाव की लड़ाई में जनता ने बदलाव को चुना 

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Election Result 2019 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम में बेल पर रिहा होने के बाद झारखंड में मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि हरियाणा में हमने डेंट दिया, महाराष्ट्र में डैमेज किया और झारखंड में निश्चित तौर पर भाजपा को डिफीट कर देंगे। चुनाव परिणामों ने चिदंबरम की इस बड़ी भविष्यवाणी को सच साबित कर दिया। हरियाणा में भाजपा ने सरकार जरूर बना ली, लेकिन इस सच से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पिछले दो माह में तीन राज्यों में हुए चुनाव परिणामों ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। झारखंड के चुनाव परिणामों का झटका दिल्ली तक महसूस किया गया और अब यह माना जाने लगा है कि दिल्ली में अगले वर्ष होने वाले चुनाव परिणाम पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

झारखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नौ और अमित शाह की एक दर्जन जनसभाओं के साथ-साथ तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले एक माह के दौरान झारखंड को अपना कैंप कार्यालय भी बनाया लेकिन परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आए। पांच चरणों में हुए चुनावों में भाजपा ने लगभग हर मंच से अनुच्छेद 370, तीन तलाक, अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का जिक्र करने के साथ-साथ अंतिम दो चरणों में नागरिकता संशोधन कानून को मुद्दा बनाया लेकिन वह काम नहीं आया। इसका उलट यह हुआ कि इन भारी-भरकम मुद्दों ने झारखंड के स्थानीय मुद्दों को दबा दिया। विकास के एजेंडे से शुरू हुई लड़ाई का विषय परिवर्तन परिवर्तन होने का नकारात्मक असर देखा गया। विकास बनाम बदलाव की लड़ाई में जनता ने बदलाव को चुना।

भाजपा की हार के कारण

  1. घर-घर रघुवर अभियान से चुनाव का शुभारंभ पड़ा भारी। हालांकि चुनाव रौ में आने के बाद भाजपा ने इस नारे को चुपचाप, बगैर किसी चर्चा के वापस ले लिया था।
  2. सरयू राय का टिकट कटने से भी प्रदेश मेें नहीं गया अच्छा संदेश। मुख्यमंत्री की खुद की सीट भी फंसी।
  3. आदिवासी वोटरों को नहीं साध सकी भाजपा। योजनाएं तो बनीं लेकिन आदिवासियों का विश्वास हासिल करने में रही नाकाम।
  4. बड़े पैमाने पर विधायकों के टिकट कटने का भी नहीं गया अच्छा संदेश। भाजपा ने अपने 13 वर्तमान विधायकों के टिकट काटे थे।
  5. दूसरे दलों से तोड़कर लाए गए विधायक व अन्य नेता भी नहीं दिखा  सके कमाल। ज्यादातर सीटों पर हारे।
  6. भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दों को उछाला इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और स्थानीय मुद्दे दब गए।
  7. कार्यकर्ताओं की नाराजगी का भी भाजपा ने भुगता खामियाजा।

मिथ जो इस बार भी नहीं टूटा

यहां सीटिंग स्पीकर कभी चुनाव नहीं जीतते। इस बार भी सीटिंग स्पीकर डा. दिनेश उरांव चुनाव हार गए। पिछले चुनाव में शशांक शेखर भोक्ता की हार हुई। वर्ष 2009 में तत्कालीन स्पीकर आलमगीर आलम की हार हुई थी। इससे पहले वर्ष 2005 में कार्यकारी स्पीकर रहे सबा अहमद की हार हुई थी।

यह मिथक टूट गया

यहां यह मिथक था कि यहां कांग्रेस विधायक दल के नेता चुनाव नहीं जीतते। 2005 में राजेंद्र सिंह व 2009 में मनोज यादव चुनाव हार गए थे। वर्ष 2014 में विधायक दल के नेता रहे राजेंद्र सिंह चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बार आलमगीर आलम चुनाव जीत गए।


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