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Jharkhand Assembly Election 2019: सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने से लोहदरदगा में पार्टी को मिला बड़ा चेहरा

Jharkhand Election 2019. सधनू भगत के बाद भाजपा के पास विधायक पद के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं था। भाजपा के ग्राउंड लेवल कार्यकर्ताओं को समेटना भगत के लिए बड़ी चुनौती होगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 08:31 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने से लोहदरदगा में पार्टी को मिला बड़ा चेहरा
Jharkhand Assembly Election 2019: सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने से लोहदरदगा में पार्टी को मिला बड़ा चेहरा

लोहरदगा, [राकेश कुमार सिन्हा]। Jharkhand Assembly Election 2019 - झारखंड राज्य के गठन के बाद भाजपा से सधनू भगत लोहरदगा के विधायक थे। एक मजबूत चेहरा, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में पकड़ रखने वाले आदिवासी नेता और आम लोगों के बीच काफी सरलता से घुल मिल जाने वाले जमीनी नेता को हराना कांग्रेस के लिए आसान नहीं था। ऐसे वक्त में डिप्टी कलेक्टर का पद छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए सुखदेव भगत ने वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में परचम लहराते हुए इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दिया था।

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इस घटनाक्रम के 14 साल बाद सुखदेव भगत अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। साल 2005 के बाद से लेकर 2 विधानसभा चुनाव और एक उप-चुनाव में भाजपा लोहरदगा विधानसभा सीट के लिए एक बड़ा चेहरा तलाश नहीं पाई थी। परिणाम यह हुआ कि यहां पर गठबंधन के बहाने आजसू को अपना प्रत्याशी उतारने का मौका मिला। आजसू ने गठबंधन की बदौलत दो बार लोहरदगा सीट से विधानसभा का चुनाव मामूली अंतर से जीती।

तीसरी बार वर्ष 2015 के विधानसभा उप-चुनाव में आजसू को बड़े अंतर से करारी हार का सामना सुखदेव भगत से करना पड़ा। अब सुखदेव भगत भाजपा में है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सुखदेव भगत को भाजपा से टिकट मिलना भी तय है। ऐसे हालात में भाजपा को सुखदेव भगत के रूप में एक दिशा मिल गई है। एक बड़ा चेहरा भाजपा को सुखदेव भगत के रूप में मिला है। जिनकी पकड़ आदिवासी, अल्पसंख्यक के साथ हर वर्ग समुदाय में है।

हालांकि भाजपा के ग्राउंड लेवल कार्यकर्ताओं को समेटना सुखदेव भगत के लिए चुनौती होगी। विगत 14 साल की राजनीति में लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के लिए सुखदेव भगत कांग्रेस का एक चेहरा थे। अचानक से उनके भाजपा में शामिल होने से कार्यकर्ता और मतदाता दोनों परेशान हैं। ऐसे में भाजपा के कैडर वोटर के लिए भी सुखदेव भगत के चेहरे को स्वीकार करने में कुछ समय लग सकता है। सुखदेव भगत की मेहनत और क्षेत्र के लगातार दौरे से इस समस्या को कम किया जा सकता है।

कुल मिलाकर स्थिति यह है कि विधानसभा चुनाव में सुखदेव भगत के लिए मेहनत थोड़ी बढ़ गई है। वहीं दूसरी बात यह भी है कि सुखदेव भगत के समर्थकों काे भाजपा का साथ होने का ज्यादा फायदा मिल सकता है। एक अच्छी खासी संख्या सुखदेव भगत के प्रशंसकों की भी है। इन लोगों का वोट भाजपा को मिलेगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कई सालों तक भाजपा में टिकट की उम्मीद लगाए नेताओं के लिए सुखदेव भगत का भाजपा में शामिल होना किसी झटके से कम नहीं है।

ऐसे में परेशानी थोड़ी बढ़ेगी, पर सुखदेव भगत के लिए राह मुश्किल भरा नहीं होगा। इधर, सुखदेव भगत की लोकप्रियता कांग्रेस की तिलमिलाहट बढ़ाने का काम कर रही है। कांग्रेस के लिए सुखदेव भगत का विकल्प तलाशना काफी मुश्किल हो रहा है। अभी कोई नाम कांग्रेस तत्काल तलाश नहीं पाई है। इस वजह से भी कांग्रेस के भीतर एक बेचैनी देखी जा रही है।


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