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Jharkhand Assembly Election 2019: छोटे ने बड़े भाई को दिया जोर का झटका, गेंद अब भाजपा के पाले में

Jharkhand Assembly Election 2019 भाजपा-आजसू के रिश्ते हुए तल्ख नहीं दिख रही सुलह की गुंजाइश। प्रदेश अध्यक्ष गिलुवा की सीट से प्रत्याशी उतार आजसू ने दी शीर्ष नेतृत्व को चुनौती।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 08:03 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 05:17 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: छोटे ने बड़े भाई को दिया जोर का झटका, गेंद अब भाजपा के पाले में
Jharkhand Assembly Election 2019: छोटे ने बड़े भाई को दिया जोर का झटका, गेंद अब भाजपा के पाले में

रांची, [आनंद मिश्र]। Jharkhand Assembly Election 2019 कल तक एक दूसरे को बड़ा भाई और छोटा भाई कहने वाले भाजपा और आजसू के रिश्तों में खटास आ गई है। छोटे भाई ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर बड़े भाई को जोर का झटका दिया है। स्पष्ट है विधानसभा चुनाव से पूर्व एनडीए गठबंधन तकरीबन बिखर गया है, औपचारिक घोषणा शेष है। महाराष्ट्र में सहयोगी रहे शिवसेना के रुख के बाद झारखंड में आजसू के फैसले ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी परेशान कर दिया है। आजसू की रांची की प्रेस कांफ्रेंस की चर्चा दिल्ली तक रही।

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गठबंधन को ले भाजपा की जिद लोहरदगा और चंदनक्यारी विधानसभा सीट पर अटकी थी। पार्टी ने इसका खामियाजा इससे कहीं अधिक भुगता। आजसू ने इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार देने के साथ-साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के विधानसभा क्षेत्र चक्रधरपुर से प्रत्याशी दे सीधे-सीधे भाजपा नेतृत्व को चुनौती दी है। सिमरिया और सिंदरी जहां से भाजपा ने रविवार को प्रत्याशी उतारे थे वहां भी प्रत्याशी उतार दिए हैं। आजसू ने कल मिलन समारोह करने की बात भी कही है, जिसमें कई पार्टियों के नाराज नेता शामिल हो सकते हैं। इनमें कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू और झामुमो के पूर्व विधायक अकील अख्तर का नाम भी लिया जा रहा है।

गिलुवा ने आजसू को दी थी हद में रहने की नसीहत, हुआ पलटवार

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पिछले दिनों आजसू को हद में रहने की नसीहत दी थी। स्पष्ट कहा था कि आजसू को जितनी सीटें पिछले चुनाव में दी गई थी, उससे एक सीट अधिक नहीं दी जाएगी। आजसू के चक्रधपुर से प्रत्याशी उतारने को गिलुवा पर पलटवार के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि पिछले चुनाव में भाजपा ने आजसू को महज आठ सीटें दी थीं।

आगे बढ़ चुकी आजसू के लिए अब पीछे लौटना मुश्किल

राजनीति में कदम सोच-समझ कर बढ़ाए जाते हैं, एक बार बढ़ जाएं तो वापस लौटने की गुंजाइश कम ही होती है। आजसू ऐसे ही दोराहे पर आ खड़ा हुआ है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर से एक बार फिर भिजवाए जाने वाले सुलह के पैगाम के बाद भी उसके लिए पीछे लौटना अब मुश्किल दिख रहा हैं।

आजसू को सुलह का एक मौका और देगी भाजपा, सुदेश नहीं झुके तो गठबंधन टूटना तय

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने एक दर्जन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर गेंद भाजपा के पाले में डाल दी है। अब निर्णय भाजपा को लेना है कि वह आजसू के साथ चलेगी या उसे विदा करेगी। एनडीए गठबंधन की तल्खी के शीर्ष स्तर तक पहुंच जाने के बावजूद दोनों ही दलों की ओर से अब तक गठबंधन टूटने को लेकर कोई घोषणा न किए जाने से सस्पेंस जस का तस बना हुआ है।

इधर, आजसू की प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह झारखंड के विधानसभा चुनाव प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से झारखंड के इस संदर्भ में चर्चा की। प्रदेश के नेताओं से भी फोन पर फीड बैक लिया गया। पार्टी के सूत्रों की मानें तो भाजपा, आजसू को सुलह का एक मौका और देगी। आजसू प्रमुख सुदेश महतो से बात कर उनसे उन सीटों पर प्रत्याशी वापस लेने को कहा जाएगा, जिन पर भाजपा ने रविवार को अपने प्रत्याशी उतारे थे।

प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की चक्रधरपुर सीट भी इसमें शामिल है। यदि आजसू ऐसा करती है तो भाजपा उनकी मांगों पर विचार कर सकती है। लेकिन यदि सुदेश नहीं झुके तो गठबंधन टूटना तय है। यह भी कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र की घटना से सबक ले चुकी भाजपा झारखंड में आजसू जैसे दल के आगे नहीं झुकेगी।


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