Jharkhand Assembly Election 2019: आजसू गठबंधन में पंद्रह से कम सीटों पर समझौते के मूड में नहीं
Jharkhand Assembly Election 2019 अब तक की जानकारी के मुताबिक चार सीटों को लेकर भी भाजपा और आजसू गठबंधन में पेंच फंस रहा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के साथ गठबंधन में आजसू पंद्रह से कम सीटों पर समझौते के मूड में फिलहाल नहीं दिख रही है। पार्टी लगातार इस चुनाव में जीत का दहाई आंकड़ा पार करने का दावा कर रही है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ऐसा तभी संभव होगा जब पार्टी को कम से कम पंद्रह सीटें मिलेंगी। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि पिछले चुनाव का फार्मूला उन्हें स्वीकार नहीं होगा, जिसमें पार्टी को महज आठ सीट ही मिल पाई थी। फिलहाल पार्टी गठबंधन को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं के बुलावे के इंतजार मेें है। इससे पहले पार्टी ने 19 सीटों का दावा किया है, जिसमें एक हुसैनाबाद सीट भी बढ़ गई है।
आजसू के समक्ष सबसे बड़ा खतरा गठबंधन में पार्टी की मजबूत सीटें नहीं मिलने पर सीट और पार्टी नेता दोनों के खोने का है। सूत्रों की मानें तो पार्टी को इसका भय सता रहा है। गठबंधन के पेच में चार वैसी सीटें फंस रही हैं जिनमें आजसू मजबूत है और अपना प्रबल दावा करती है। इनमें लोहरदगा, चंदनक्यारी, मांडू तथा सिमरिया शामिल हैं। इन चारों सीटों पर भाजपा और आजसू दोनों की नजरें हैं।
पिछले चुनाव में गठबंधन के कारण ही आजसू को न केवल तीन सीटें बल्कि वहां के पार्टी नेता को भी खोना पड़ा था। गठबंधन में सीटें भाजपा में चले जाने के कारण इन तीन नेताओं ने दूसरे दलों में जाकर जीत भी हासिल की थी। इनमें हटिया (नवीन जायसवाल), गोमिया (योगेंद्र महतो) तथा चक्रधरपुर (शशिभूषण सामड) शामिल हैं। हजारीबाग सीट भी भाजपा के पास चले जाने से आजसू के मजबूत नेता प्रदीप प्रसाद ने पार्टी छोड़ दी थी।
इस बार पार्टी के समक्ष लोहरदगा, चंदनक्यारी, सिमरिया तथा मांडू में इसी तरह का खतरा है। इन चारों सीटों पर भाजपा की नजर है। लोहरदगा में विधायक सुखदेव भगत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने, चंदनक्यारी में मंत्री अमर बाउरी की दावेदारी, सिमरिया भाजपा की सीटिंग सीट होने तथा मांडू में विधायक जेपी पटेल के झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होने से गठबंधन में पेंच फंसा है तथा गठबंधन होने से आजसू के समक्ष इन सीटों पर पार्टी के मजबूत नेताओं के खोने का खतरा बढ़ा है। बता दें कि मांडू में आजसू के प्रबल दावेदार तिवारी महतो तथा उनके कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनाव में भी यह सीट भाजपा में चले जाने पर काफी नाराजगी प्रकट की थी।