Move to Jagran APP

Jharkhand Assembly Election 2019: बिहार में गलबहियां, झारखंड में चुनौती; आखिर कैसे भाजपा से भिड़ेंगे नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने रांची दौरे पर झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को जीत के पांच मंत्र दिए और विकास के दम पर पूरी मजबूती से चुनाव लड़ने को कहा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 10:43 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बिहार में गलबहियां, झारखंड में चुनौती; आखिर कैसे भाजपा से भिड़ेंगे नीतीश
Jharkhand Assembly Election 2019: बिहार में गलबहियां, झारखंड में चुनौती; आखिर कैसे भाजपा से भिड़ेंगे नीतीश

रांची, जागरण स्‍पेशल। बिहार में भाजपा के सहयोग से सरकार चलाने वाले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार रांची आकर भाजपा को चुनौती दे गए। पार्टी भले ही झारखंड में जमीन तलाश रही हो, परंतु माद्दा विधानसभा की सभी 81 सीटों पर मुकाबले की है। बहरहाल, प्रदेश जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में शनिवार को शामिल होकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं में जोश भर गए। इस दौरान उन्होंने जहां विकास के बिहार मॉडल से कार्यकर्ताओं को अवगत कराया, वहीं झारखंड फतह के पांच टिप्स भी दिए।

loksabha election banner

नीतीश ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की खिलाफत कर जहां आदिवासियों को साधने की कोशिश की, वहीं झारखंड की भौगोलिक संरचना के अनुरूप क्षेत्रवार विकास (प्रमंडलवार) की बात कर सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की बात इशारों-इशारों में कह दी। उन्होंने इस बीच पूर्ण शराबबंदी की वकालत की, तो पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए 27 फीसद आरक्षण की आवश्यकता बताई। इसी तरह बुनकरों को सशक्त करने, वक्फ बोर्ड को क्रियाशील बनाने की बात कह अल्पसंख्यकों को भी अपना बनाने की कोशिश की।

नीतीश कुमार ने विकास के मामले में झारखंड की तुलना बिहार से करते हुए कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य के बंटवारे के बाद लोग कहा करते थे, बिहार में अब सिर्फ लालू, आलू और बालू बचा है। अविभाजित बिहार का 54 फीसद हिस्सा बिहार, जबकि 46 फीसद हिस्सा झारखंड के पाले में गया, जहां खनिज-संपदा की प्रचूरता है। प्रति वर्ग किलोमीटर आबादी का राष्ट्रीय औसत 300 था, जबकि बिहार का 11 सौ। झारखंड की तुलना में बिहार की परिस्थितियां विपरीत थीं। इसके बावजूद जब वहां का विकास हो सकता है, तो झारखंड का क्यों नहीं?

नीतीश कुमार ने कहा कि सबसे पहले उन्होंने वहां की मूल जरूरतों का अध्ययन कराया। फिर एक ठोस रणनीति के तहत आगे बढ़े। आज बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध है। पहले लोग सड़कों से बिहार और झारखंड की तुलना करते थे, आज गांव की बात कौन करें 40 फीसद टोले तक पक्की सड़कों से जुड़ गए हैं। शेष 2020 तक जुड़ जाएंगे। पाइप लाइन के सहारे बिहार ने घर-घर तक बिजली पहुंचाने की योजना तैयार की, जिसे देश ने अंगीकृत किया।

झारखंड विधानसभा चुनाव के ताजा अपडेट के लिए यहां क्लिक करें

आसन्न विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने प्रदेश जदयू को चुनावी रणनीति तैयार करने की नसीहत दी। कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व हर स्तर पर उन्हें सहयोग देगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति की जंग एक ही बार में जीत ली जाए, यह जरूरी नहीं है। बस बेहतर प्रयास होने चाहिए, परिणाम आएगा ही। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर, बिहार के समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह कुशवाहा, बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा, सांसद राजीव रंजन सिंह, श्रवण कुमार, भगवा सिंह, कृष्णानंद मिश्रा, संजय सहाय, रमेश सिंह आदि ने भी इस दौरान अपने विचार रखे। 

जतरा टाना भगत से लेकर रामदयाल मुंडा तक थे शराबबंदी के पक्षधर
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शराबबंदी से राजस्व मद में 5000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लेकिन, सवाल जहां जनहित का हो, राजस्व की बातें नजरअंदाज कर देनी चाहिए। झारखंड की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जतरा टाना भगत से लेकर आधुनिक झारखंड के निर्माण का सपना देखने वाले डॉ. रामदयाल मुंडा तक शराबबंदी के पक्षधर रहे हैं। फिर सरकार इसे क्यों ढोना चाहती है।

नीतीश ने कहा कि कभी झारखंड भी बिहार का हिस्सा था। आज बिहार में पूर्ण शराबबंदी है, तो झारखंड में अंधाधुंध दुकानें खुल रही हैं। उन्होंने इस दौरान डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की रिपोर्ट का भी हवाला दिया। कहा कि साल में 30 लाख मौतें होती हैं। इनमें 53 फीसद शराब के कारण होती है। इनमें 13.5 फीसद युवा होते हैं। शराब की वजह से आपसी लड़ाई में 18 फीसद आत्महत्या कर लेते हैं और 13 फीसद मिर्गी की चपेट में आ जाते हैं। कहा, 27 फीसद सड़क दुर्घटनाओं की मूल वजह शराब ही है, फिर शराबबंदी क्यों नहीं हो। 

सालखन मुर्मू ने पेश किया राजनीतिक प्रस्ताव
प्रदेश जदयू अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने इस दौरान राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए। मुर्मू ने कहा कि जदयू अनुसूचित जनजातियों को 32, अनुसूचित जातियों को 14, ओबीसी को 27 तथा अन्य को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने का पक्षधर है। झारखंड जदयू सक्षम विकल्प बनने के लिए विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लडऩे के लिए प्रयासरत है।

झारखंड में जमीन, रोजगार भाषा, संस्कृति, सरना धर्म, विस्थापन, पलायन, ग्रामसभा को संविधान प्रदत्त अधिकार दिलाने की दिशा में किसी भी सरकार ने सार्थक प्रयास नहीं किया। कहा कि भाजपा आरक्षण और आदिवासी-मूलवासी विरोधी है। उसने कई मौकों पर सीएनटी और एसपीटी एक्ट को तोड़ा है।

रांची की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.