Jharkhand Assembly Election 2019: संथाल परगना में गढ़ बचाने और गढ़ बनाने की जंग
Jharkhand Assembly Election 2019. भाजपा के सामने झामुमो से बढ़त बनाने की चुनौती। 2005 से भी बेहतर प्रदर्शन करना होगा। 2009 जैसे तेवर में झामुमो दिख रहा है।
दुमका से आशीष झा। Jharkhand Assembly Election 2019 - झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच चल रहे शह-मात के खेल में इस बार गढ़ बचाने और गढ़ बनाने की रस्साकशी है। चुनौतियां भी दोनों ओर हैं। अपना किला बचाने के लिए झामुमो को जहां 2009 जैसा प्रदर्शन करना होगा वहीं भाजपा की कोशिश है की 2005 से भी बेहतर प्रदर्शन करके ना सिर्फ इस प्रमंडल को अपना गढ़ बनाए बल्कि झामुमो से हमेशा के लिए बढ़त कायम कर ले।
2014 में झामुमो ने यहां भाजपा से एक सीट की बढ़त बनाई थी। हालांकि परिणाम आने के बाद एक विधायक को भाजपा ने मिला लिया था और इस प्रकार दोनों बराबरी पर हैं। हालांकि कांग्रेस को अपने पाले में मिलाकर विपक्षी गठबंधन इस बार खुद को ज्यादा मजबूत बता रहा है। चार चरणों का चुनाव पूर्ण हो जाने के बाद अंतिम चरण में सभी दलों का पूरा फोकस संथाल परगना प्रमंडल पर ही है।
चुनाव की फील्डिंग करने आए रणनीतिकारों की भीड़ का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उपराजधानी दुमका के होटलों में कमरे खाली नहीं हैं। भाजपा, झामुमो, आजसू और कांग्रेस नेताओं के अलावा चुनाव कराने पहुंचे बड़ी प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के कारण सभी होटल बुक हैं। 20 दिसंबर को मतदान होना है और इसके लिए कोई भी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता।
मुख्यमंत्री रघुवर दास, झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख बाबूलाल मरांडी, झामुमो के शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के साथ-साथ आजसू के सुदेश महतो क्षेत्र में कैंप कर लगातार सभाएं कर रहे हैं। चुनावी रणनीति को भी यह नेता अंतिम रूप देने में लगे हैं ताकि अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा किया जा सके। झारखंड मुक्ति मोर्चा लगातार उन सीटों पर फोकस कर रहा है जहां उसे संभावना नजर आ रही है और इस कवायद को लीड कर रहे हैं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन।
सत्ताधारी नेताओं के वादों के पूरा ना होने को आधार बनाकर पार्टी के दूसरे लाइन के नेता आम लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं और अपनी मजबूत उपस्थिति लगातार दर्ज करा रहे हैं। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान हुई गलतियों को सुधारने की भी कोशिश की है और आम लोगों के बीच नेता लगातार मूव कर रहे हैं। 20 दिसंबर को हो जाए चुनाव में कांग्रेस की मदद भी पार्टी के लिए फायदा देता दिख रहा है।
क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने में झामुमो और कांग्रेस के साथ-साथ आजसू की टीम भी सफल होती दिख रही है। दूसरी ओर भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम को दोहराने का संकल्प लेकर चल रही है तो पार्टी महिलाओं और युवाओं को अपनी और करने के लिए दिन रात एक किए हुए है। मुख्यमंत्री रघुवर दास इलाके में कैंप किए हुए हैं और उन्होंने राज्य व केंद्र की तमाम योजनाओं को आधार बनाकर महिलाओं और युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने की रणनीति तैयार की है।
जिन क्षेत्रों में चुनाव पूर्ण हो चुका है वहां के भाजपा विधायक भी संथाल परगना पहुंच चुके हैं और उन्हें छोटी-छोटी टुकडिय़ों में छोटे-छोटे इलाके आवंटित कर दिए गए हैं जहां पार्टी गतिविधियों पर सभी नजर बनाए हुए हैं। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी अपने कई नेताओं को इलाके में भेज रही है और कल तक झामुमो के साथ मिलकर काम करते हुए कांग्रेसी दिखने लगेंगे।
झामुमो के लिए भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता सरयू राय भी लाभदायक साबित हो सकते हैं लेकिन देखना होगा की परिणाम पर उनके प्रयास कितना असर डाल पाते हैं। जाति आधारित मतदाताओं के साथ-साथ सरयू राय बागी भाजपा नेताओं को भी साधने में जुटे हैं। कुछ दिनों पूर्व तक झामुमो बनाम भाजपा की लड़ाई संथाल परगना में हेमंत बनाम रघुवर दास के तौर पर परिवर्तित हो चुकी है।
झामुमो कार्यकर्ता सुजीत मरांडी दावा करते हैं कि लोग अभी से मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत को देखने लगे हैं लेकिन उनका दावा सीटों की गिनती के साथ कमजोर होता दिखता है। दुमका बाजार में ही भाजपा कार्यकर्ता अजय सोरेन इसके विपरीत दावा करते हैं कि लोग शिबू के आकर्षण से मुक्त हो चुके हैं और हेमंत को एक बार और दुमका में ही हार का सामना करना पड़ेगा।
ऐसा होते ही झामुमो कहीं का नहीं रहेगा। दुमका बाजार से निकलते ही भाजपा के दावे कमजोर होते दिखते हैं और ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच शिबू सोरेन की लोकप्रियता अभी भी दिख रही है। इधर शिबू सोरेन के आवास पर सुबह से ही पैर छूने वालों की भीड़ लग जाती है जो कहीं न कहीं उनके प्रति आस्था का प्रदर्शन है। इसके मुकाबले रघुवर दास हर आने जाने वाले से मिल रहे हैं और कार्यकर्ताओं को लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहने का निर्देश दे रहे हैं।
उनके कैंप ऑफिस में भाजपा के नेता भी कम देर ही टिक पाते हैं क्योंकि रिपोर्ट देने के बाद सभी को वापस क्षेत्र लौटना पड़ रहा है। संथाल परगना के जंग में कोई किसी से कमजोर नहीं पढऩा चाहता। ठीक सातवें दिन सबके सामने परिणाम होगा और यह भी तय हो जाएगा किस्सा परिश्रम कितना सफल हुआ है।
ऐसा था पिछले चुनावों में प्रदर्शन
पार्टी 2005 2009 2014
भाजपा 6 2 5
झामुमो 5 9 6
कांग्रेस 2 1 3
राजद 1 1 0
झाविमो 0 2 2
निर्दलीय 2 1 0