रांची, राज्य ब्यूरो। भ्रष्टाचार को झाड़ू से साफ करने निकली आम आदमी पार्टी (आप) का झाड़ू सिर्फ दिल्ली में ही मजबूती से चल पाया। इस करिश्माई झाड़ू का करिश्मा झारखंड में नहीं दिखा। यही कारण है कि अब तक आम आदमी पार्टी के अगुवा दिल्ली के बाहर खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं।
अलबत्ता शुरुआत में उन्होंने दिल्ली में कब्जा करने के बाद अन्य राज्यों समेत झारखंड में भी पांव जमाने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने दिल्ली से कुछ प्रतिनिधियों को भी यहां पांव जमाने को भेजा था, लेकिन वे भी कुछ खास हासिल नहीं कर पाए। आम आदमी पार्टी राज्य में विस्तार नहीं कर पाई और केजरीवाल का करिश्मा यहां चल नहीं पाया।
सीटों पर गंवा बैठे जमानत
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2014 में प्रत्याशी दिए थे, लेकिन उनके प्रत्याशी जमानत भी गंवा बैठे थे। इसके बाद लोकसभा चुनाव-2019 में पार्टी ने सिर्फ एक सीट पूर्वी सिंहभूम पर प्रत्याशी उतारा। हालांकि, वहां आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी पैसे की लेनदेन को लेकर विवादों में आ गया, जिसके चलते पार्टी ने उसे निलंबित कर दिया था। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव लडऩे से ही मना कर दिया था।
यह पहली बार है, जब राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी अपना प्रत्याशी उतार रही है। अब तक 22 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा की है। इसबार पार्टी का लक्ष्य 30 से 40 सीटों पर अपना किस्मत आजमाने का है। कोशिश इस स्तर पर है कि बेहतर वोट प्रतिशत हासिल किया जाए, ताकि भविष्य में इसका लाभ मिल सके। आम आदमी पार्टी का लक्ष्य 2024 का झारखंड विधानसभा चुनाव है, जहां पूरे दमखम से सरकार बनाने के उद्देश्य से पार्टी चुनाव लड़ेगी।
डॉ. अजय कुमार के जुडऩे से विस्तार की उम्मीद
कांग्रेस से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता बने पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ. अजय कुमार के पार्टी में आने के बाद ही आप के झारखंड सेक्टर में नई जान आई है। आप से पहले वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी को उम्मीद है कि डॉ. कुमार के अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा। डॉ. अजय कुमार आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद यहां दौरे पर भी आए थे। वे फिर राज्य का रुख करने वाले हैैं। वे प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार अभियान भी चलाएंगे।
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