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Lok Sabha Election 2019: हाई कोर्ट में IPS अनुराग गुप्ता मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

Lok Sabha Election 2019. एडीजी ने कहा चुनाव आयोग के आदेश से मौलिक अधिकारों का हुआ हनन-सरकार ने कहा प्राथमिकी दर्ज कर हो रही जांच शुक्रवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 09:43 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 01:49 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: हाई कोर्ट में IPS अनुराग गुप्ता मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
Lok Sabha Election 2019: हाई कोर्ट में IPS अनुराग गुप्ता मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में एडीजी अनुराग गुप्ता को चुनाव तक राज्य से बाहर रहने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। उच्‍च न्‍यायालय में इस मामले में बहस पूरी हो गई है। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के क्रम में चुनाव आयोग ने अपनी कार्यवाही का बचाव करते हुए कहा कि एडीजी अनुराग गुप्‍ता के कारण चुनाव प्रभावित होने की आशंका देखते हुए उनकी झारखंड में एंट्री बैन की गई है। उनके मताधिकार के बारे में अगर अनुरोध किया जाता है, तो इस मांग पर हम विचार करेंगे। आयोग ने कहा कि किसी मतदाता को प्रभावित करने की आशंका से इनको राज्य से बाहर किया गया है। यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है। इससे पहले बीते दिन सुनवाई के बाद अदालत ने चुनाव आयोग से इस बारे में जवाब मांगा था। अदालत ने आयोग से पूछा था कि किस प्रावधान और अधिकार के तहत एडीजी अनुराग गुप्ता को राज्य में आने पर रोक लगाई गई है। क्या आयोग किसी अधिकारी को राज्य के बाहर पदस्थापित करने का निर्देश राज्य सरकार को दे सकता है?

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कोर्ट ने पूछा था कि चुनाव कार्य में अपने कर्तव्य का पालन नहीं करने वाले अब तक कितने अधिकारियों को राज्य से बाहर पदस्थापित किया गया है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार की तिथि निर्धारित की है। दरअसल एडीजी अनुराग गुप्ता ने चुनाव आयोग के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें उनका तबादला राज्य से बाहर कर दिया गया है और चुनाव तक राज्य में आने पर रोक लगा दी गई है।

सुनवाई के दौरान अनुराग गुप्ता के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने अदालत को बताया कि उनके तबादले का सरकार को निर्देश देना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। चुनाव आयोग के आदेश पर ही राज्य सरकार ने उनका तबादला दिल्ली स्थित झारखंड के स्थानीय आयुक्त कार्यालय में कर दिया। सरकार की अधिसूचना में उन्हें किस पद पर योगदान देना है इसका जिक्र नहीं किया गया है। वह पुलिस के उच्च अधिकारी हैं। इस अवधि में उनके सेवा इतिहास में क्या विवरण होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है। 

मौलिक अधिकारों का हनन
अनुराग गुप्ता की ओर से बताया गया कि चुनाव आयोग की ओर से झारखंड में आने पर रोक लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन जैसा है। उन्हें अपने परिवार से मिलने व मतदान देने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है। इससे पहले राज्य में कई उपचुनाव सहित राज्यसभा चुनाव हुए हैं लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया था। अब आयोग ने लोकसभा चुनाव तक उन्हें झारखंड में आने पर रोक लगा दी है। इस आदेश को निरस्त किया जाए। 

प्राथमिकी दर्ज कर जांच जारी
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि राज्यसभा चुनाव में एडीजी पर भ्रष्ट आचरण अपनाने की शिकायत पर आयोग के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। आरोप है कि कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने का दबाव बनाया। इस मामले की शिकायत करने वाले पूर्व मंत्री निर्मला के पति योगेंद्र साव जांच एजेंसी को साक्ष्य उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।

उनकी ओर से बार-बार समय लिया जा रहा है। इस संबंध में बातचीत की सीडी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जिसकी वजह से अनुसंधान पूरा नहीं हो पा रहा है। जिसपर अदालत ने पूछा कि क्या प्रार्थी को किसी मामले में दोषी पाया गया है। जिसपर महाधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में अभी चार्जशीट भी दाखिल नहीं की गई है। मामले की जांच जारी है। इस दौरान प्रार्थी और सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई। शुक्रवार को चुनाव आयोग की ओर से जवाब दिया जाएगा। 


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