जानिए- बादशाहपुर में अपनी बादशाहत कायम करने वाले राकेश दौलताबाद के बारे में
राकेश दौलताबाद ने भाजपा प्रत्याशी के सामने एक लाख से अधिक मत प्राप्त कर हासिल कर साबित कर दिया कि यदि बेहतर पहचान हो तो किसी पार्टी के सिंबल की आवश्यकता नहीं।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। यदि सही दिशा में ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो देर से ही सही लेकिन सफलता मिलती ही है। इस बात को परिवर्तन संघ के अध्यक्ष राकेश दाैलताबाद की जीत से एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है। बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार लगातार असफल रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। तीसरी बार में उन्हें विजय हासिल हो गई।
सामाजिक संगठन परिवर्तन संघ के माध्यम से वह पिछले कई वर्षों से सेवा कार्यों में जुटे हुए हैं। संघ की ओर से समय-समय पर रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान सहित कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं। गरीब कन्याओं की शादी के लिए उनके परिजनों को सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा भी कई तरह के कार्य हैं जो संघ के माध्यम से किए जाते हैं। स्वच्छता अभियान का भी समय-समय पर आयोजन किया जाता है। इन सभी वजहों से उन्होंने कम से कम समय में इलाके के बड़े सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ही एक सशक्त नेता के रूप में पहचान बना ली। इसका परिणाम यह रहा कि बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2009 के दौरान अपने पहले चुनाव में ही उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व मंत्री राव धर्मपाल को जबर्दस्त टक्कर दी थी। दूसरी बार माेदी लहर के दौरान भी भाजपा प्रत्याशी राव नरबीर सिंह को भी जबर्दस्त टक्कर दी थी।
राकेश दौलताबाद के पास है व्यक्तिगत वोट बैंक
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश के कुछ नेताओं के पास व्यक्तिगत वोट बैंक है, उनमें से एक परिवर्तन संघ के अध्यक्ष राकेश दौलताबाद हैं। यही नहीं उनके वोट बैंक में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस बार भाजपा प्रत्याशी के सामने एक लाख से अधिक मत प्राप्त कर हासिल कर साबित कर दिया कि यदि बेहतर पहचान हो तो किसी पार्टी के सिंबल की आवश्यकता नहीं। एक लाख से अधिक मत मिलना इस बात को भी दर्शाता है कि सभी जाति व धर्म के लोगों का समर्थन हासिल हुआ। यही नहीं न केवल ग्रामीण इलाकों में बल्कि शहरी इलाकों में मत मिले।
मतगणना केंद्रों पर हर तरफ रही नाम की चर्चा
मतगणना केंद्रों पर सबसे अधिक बादशाहपुर से निर्दलीय प्रत्याशी राकेश दौलताबाद के बारे में ही चर्चा चलती रही। हर किसी के मुंह से निकल रहा था कि इस बार जीत तय है। लोग यह कहते दिखे कि वर्षों से सेवा कार्यों में जुटा है। इस बार उन्हें मौका मिलना ही चाहिए। मौका मिलने पर सेवा कार्यों में लगे अन्य लोग भी प्राेत्साहित होंगे।
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