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आया राम गया राम में समालखा की भूमिका, BJP को छोड़कर हर दल को मौका Panipat News

पानीपत जिले का समालखा विधानसभा क्षेत्र ने भाजपा को छोड़कर हर दल और निर्दलीय प्रत्‍याशियों को मौका दिया है। 2014 के चुनाव में रविंद्र मच्छरौली ने रिकॉर्ड बनाया था।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:07 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 02:07 PM (IST)
आया राम गया राम में समालखा की भूमिका, BJP को छोड़कर हर दल को मौका Panipat News
आया राम गया राम में समालखा की भूमिका, BJP को छोड़कर हर दल को मौका Panipat News

पानीपत, [महावीर गोयल]। समालखा विधानसभा क्षेत्र में गुर्जरों का दबदबा रहा। 1968 के बाद से 2014 तक गुर्जर समुदाय से ही समालखा का विधायक बनता रहा। पहली बार 2014 के चुनाव में रविंद्र मच्छरौली ने यह रिकार्ड तोड़ा। रविंद्र मच्छरौली जाट समुदाय से हैं। उन्होंने दूसरा रिकार्ड यह बनाया कि वे पहली बार समालखा से निर्दलयी प्रत्याशी बने। 

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 समालखा विधानसभा से बनने वाले विधायक को मंत्री पद मिलता था। जिले में सबसे ज्यादा मंत्री समालखा से ही बने हैं। 2005 में भरत सिंह छौक्कर के विधायक बनने के बाद से समालखा ने मंत्री पद गवां दिया। उसके बाद से समालखा को मंत्री पद नहीं मिला। 

विधायकों की सूची 

1966 में प्रदेश के गठन के बाद 1967 में पहले विधायक रणधीर सिंह बने। इसी वर्ष से प्रदेश में आया राम गया राम की राजनीति शुरू हुई। एक वर्ष बाद ही 1968 में चुनाव हुआ जिसमें करतार सिंह को विधायक चुनाव गया। 1972 में हरिसिंह विधायक बने। 1977 में मूल चंद समालखा के विधायक बने। 1982 में कटार सिंह विधायक बने। 1987 में सचदेव त्यागी विधायक चुने गए। 1991 में हरिसिंह नलवा को विधायक चुना गया। 1996 में करतार सिंह भड़ाना विधायक चुने गए। हविपा सरकार टूटने के बाद 2000 में हुए चुनाव में करतार सिंह को दोबारा विधायक चुन लिया गया। इस बार वे हविपा के स्थान पर इनेलो के विधायक चुने गए। 2005 में भरत सिंह छौक्कर समालखा के विधायक बने। 2009 में धर्मसिंह छौक्कर विधायक चुने गए। 2014 में निर्दलयी प्रत्याशी रविंद्र मच्छरौली विधायक चुने गए। 

समालखा भी पीछे नहीं रहा  

अवसरवादी राजनीति के चलते पूरे देश में हरियाणा आयाराम गया राम राजनीति का केंद्र रहा। इसमें समालखा भी पीछे नहीं रहा। समालखा के विधायक मंत्री करतार सिंह भड़ाना ने हविपा छोड़कर इनेलो का दामन थामा। उनके इनेलों में जाने से हविपा की सरकार गिर गई। विधायक धर्मसिंह छौक्कर ने हजकां छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा। प्रदेश में 1980 में भजन लाल जनता पार्टी को छोड़कर 37 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे और बाद में राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1990 में उस समय भजन लाल की ही हरियाणा में सरकार थी। बीजेपी के के.एल.शर्मा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उसके बाद हरियाणा विकास पार्टी के चार विधायक धर्मपाल सांगवान, लेहरी सिंह, पीर चंद और अमर सिंह धानक भी कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 में हरियाणा विकास पार्टी और बीजेपी गठबंधन ने सरकार बनाई। बाद में हरियाणा विकास पार्टी के 22 विधायकों के पार्टी छोडऩे की वजह से बंसी लाल को इस्तीफा देना पड़ा। हरियाणा विकास पार्टी के 22 विधायक आईएनएलडी में शामिल हो गए थे। उसके बाद बीजेपी की मदद से ओम प्रकाश चौटाला ने राज्य में सरकार बनाई थी। 2009 के चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस और इंडियन नैशनल लोक दल (आईएनएलडी) दोनों सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी। उस समय हरियाणा जनहित कांग्रेस के पांच विधायक सतपाल सांगवान, विनोद भयाना, राव नरेंद्र सिंह, जिले राम शर्मा और धर्म सिंह (समालखा विधायक) कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 

भाजपा को छोड़कर हर पार्टी को मौका दिया

अब तक के चुनाव में समालखा ने भाजपा के छोड़कर सभी पार्टियों का मौका दिया। 1968-1972-1982-2005 में समालखा से कांग्रेस के विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी का प्रत्याशी विधायक बना। 1987 में लोकदल के सचदेव त्यागी विधायक बने। 1991 में जनतादल प्रत्याशी विधायक बने। 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के विधायक बने। 2000 में इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी विधायक बने। 2009 में हजका प्रत्याशी विधायक बने। 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी विधायक चुने गए। जो बाद में भाजपा में शामिल हुए। 


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