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Haryana Results 2019: भाजपा ने काटा था कुछ विधायकों का टिकट, रिजल्ट में दिखा असर

Haryana assembly election results 2019 भाजपा हाईकमान द्वारा टिकट वितरण का असर चुनाव के परिणामों में साफ देखने को मिला।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 03:08 PM (IST)
Haryana Results 2019: भाजपा ने काटा था कुछ विधायकों का टिकट, रिजल्ट में दिखा असर
Haryana Results 2019: भाजपा ने काटा था कुछ विधायकों का टिकट, रिजल्ट में दिखा असर

गुरुग्राम [सतेंद्र सिंह]। Haryana assembly election results 2019: भाजपा हाईकमान द्वारा टिकट वितरण का असर चुनाव के परिणामों में साफ देखने को मिला। बादशाहपुर विधानसभा सीट से राव नरबीर सिंह का टिकट काट पार्टी ने मनीष यादव को मैदान में उतारा। मनीष चुनाव हार चुके हैं। उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलताबाद ने हराया। हालांकि उनके लिए यहां पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक ने रैली की थी। उक्त रैली अपेक्षानुरुप सफल नहीं हुई।

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मनीष यादव की हार की एक वजह नरबीर समर्थकों का मन से चुनावी मैदान में नहीं उतरना भी बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि शहरी मतदाता भाजपा के लिए रीढ़ की हड्डी जैसे होते हैं लेकिन इन्हीं शहरी क्षेत्रों में बेहद कम मतदान हुआ। उधर, राकेश ने पिछले चुनाव की अपेक्षा विशेष रणनीति के तहत सोसायटियों में जाकर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। इसका उन्हें फायदा भी मिला।

गुड़गांव विधानसभा सीट से जीते मगर जीत का अंतर घटा

गुड़गांव विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार सुधीर सिंगला ने भले ने 33 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर ली हो, मगर जीत का अंतर पिछले चुनाव परिणाम के मुकाबले आधा भी नहीं है। वर्ष 2014 के चुनाव में उमेश अग्रवाल ने 84 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को कुल इतने मत भी नहीं मिल पाए हैं। उन्हें 81,926 मत ही हासिल हुए है। जीत का अंतर कम होने की वजह कम मतदान प्रतिशत होने के साथ-साथ विधायक से जुड़े रहे कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी रही। उमेश अग्रवाल ने भले ही पार्टी उम्मीदवार का साथ दिया हो मगर कई भाजपाई निर्दलीय उम्मीदवार के साथ सजातीय प्रेम के कारण खड़े मिले। यही वजह रहा कि मोहित को दूसरा स्थान हासिल मिला।

मोहित ग्रोवर ने छोड़ी अपनी छाप

निर्दलीय उम्मीदवार मोहित ग्रोवर 48000 से अधिक मत ला पाएंगे, यह उम्मीद कम ही की जा रही थी। उनकी बढ़त को रोकने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनके गढ़ में ही जाकर रैली की थी। कांग्रेस के कई ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल कराया गया था जो मोहित के सजातीय हैं। यह कदम मोहित के रथ को रोकने के लिए उठाया गया था। मगर मोहित को उन इलाकों में बेहतर तरीके से रोका नहीं जा सका जिन्हें पार्टी में शामिल हुए नेता अपना गढ़ मानते थे। 12वें राउंड तक मोहित काफी पीछे चल रहे थे मगर वह नंबर दो पर कायम रहे। जब उनके सजातीय बेल्ट की मशीनें खोली गईं तो उन्होंने अपने मतों की संख्या दोगुनी कर ली।

भाजपा उम्मीदवार के लिए यह अच्छी बात रही कि उन्हें बढ़त पहले ही ठीक-ठाक मिल चुकी थी। यहां तक कि मोहित के गढ़ में भी उन्हें बीस फीसद मत मिले। ऐसे लोगों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया जो किसी के झांसे में नहीं आए। हालांकि भाजपा में गए नेता यही दावा कर रहे हैं कि उनकी बदौलत ही मोहित अपने गढ़ में क्लीन स्विप नहीं कर पाए।

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