Haryana Narnaund election result 2019: चुनावी चक्रव्यूह नहीं तोड़ पाए अभिमन्यु, 12029 मतों से हारे
Haryana Narnaund election result 2019 Captain Abhumanyu (BJP) Baljeet Sihag (Congress) vote share leads and winners यहां वोटरों ने लगभग हर बार अलग पार्टी का विधायक चुना है।
नारनौंद, जेएनएन। हरियाणा की 90 सीटों में से नारनौंद विधानसभा सीट सबसे महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है। नारनौंद क्षेत्र हिसार जिले का हिस्सा है। हिसाल लोकसभा क्षेत्र के इस क्षेत्र में नगरपालिका समिति कार्यालय सहित कई बड़े सरकारी कार्यालय हैं। इसलिए यह जिले की राजनीति का प्रमुख केंद्र रहा है। भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु कई बार हार का सामना करने के बाद 2014 में भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक चुने गए थे। खट्टर सरकार में वह मंत्री भी हैं। इस बार भी पार्टी ने चुनावी चक्रव्यूह भेदने के लिए उन्हीं पर भरोसा जताया मगर वो कामयाब नहीं हो सके। यहां उनका मुकाबला जेजेपी के रामकुमार गौतम से था। अभिमन्यु रामकुमार गौतम से 12029 वोटों से हार गए हैं। कैप्टन अभिमन्यु को 60406 वोट मिले तो वहीं रामकुमार गौतम को 73435 वोट मिले। दुष्यंत चौटाला की पार्टी प्रत्याशी रामकुमार गौतम ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसा दिया।
बता दें कि नारनौंद विधानसभा सीट पहली बार 1967 में घोषित हुई थी। पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। हालांकि, जीत कांग्रेस के रामेश्वर दत्त को हासिल हुई थी। यहां के मतदाताओं ने कभी भी किसी एक दल पर भरोसा नहीं जताया और लगभग हर बार अलग-अलग दलों के उम्मीदवार को विधायक चुना। क्षेत्र के कद्दावर नेता बीरेंद्र सिंह यहां से लगातार चार बार अलग-अलग पार्टियों से विधायक बने हैं। विरेंद्र सिंह ने इस सीट पर सबसे ज्यादा जीत दर्ज की है।
2014 में भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु यहां से विधायक चुने गए थे। व्यापार छोड़ राजनीति में आने वाले अभिमन्यु, कुछ समय के लिए सेना में कमीशन ऑफिसर भी रह चुके हैं। 2014 में कैप्टन अभिमन्यु को 53,770 वोट प्राप्त हुए थे। इनेलो पार्टी के राज सिंह मोर उनके निकटतम प्रतिद्वंदी थे। उन्हें 48009 वोट प्राप्त हुए थे। 5761 वोटों से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। 2014 में इस सीट पर कुल 83.18 फीसद वोट पड़े थे।
वर्ष 2009 में नारनौंद विधानसभा सीट से इनेलो पार्टी की सरोज ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। उन्हें 48322 वोट प्राप्त हुए थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के राम कुमार थे, जिन्हें 38,225 वोट प्राप्त हुए थे। राम कुमार को 10097 मतों के अंदर से हार का मुंह देखना पड़ा था। 2005 में राम कुमार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे, उन्हें 31132 वोट प्राप्त हुए थे। इनेलो की सरोज 29733 वोट मिले थे। सरोज को राम कुमार के मुकाबले मात्र 1399 मतों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था।
वर्ष 2000 में निर्दलीय राम भगत ने इस सीट पर 31786 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह को 29013 वोट मिले थे और उन्हें 2773 मतों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। इससे पहले 1996 में एचवीपी के जसवंत सिंह ने 31439 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के वीरेंद्र सिंह को 20666 वोट मिले थे और उन्हें 10773 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
1991 में जेडी के टिकट पर वीरेंद्र सिंह ने जीत का स्वाद चखा था, उनका मुकाबला कांग्रेस के जसवंत सिंह से था। 1987 में एलकेडी के टिकट पर वीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस के सरुप सिंह को पटखनी थी। 1982 में भी वीरेंद्र सिंह ने एलकेडी के टिकट पर चुनाव जीता था। 1977 में वीरेंद्र सिंह ने जेएनपी के टिकट पर चुनाव जीता था। 1972 में कांग्रेस के जोगिन्दर सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। 1968 में एसडब्ल्यूए के टिकट से जोगिन्दर सिंह ने जीत दर्ज की थी। 1967 में कांग्रेस के आर दत्त इस सीट से विधायक बने थे।