Pundri Assembly Result 2019: 23 साल पुरानी निर्दलीय को जिताने की परंपरा बरकरार
Haryana Pundri Assembly Election Result 2019 देश की इस सबसे अनोखी विधानसभा सीट पर 23 साल से केवल निर्दलीय उम्मीदवार ही जीत रहा है। इस बार भी ये परंपरा बरकरार रही है।
कैथल, जेएनएन। हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम 2019 (Haryana Assembly Election Result 2019) के नतीजे सामने आ चुके हैं। इनमें सबसे दिलचस्प है हरियाणा की पुंडरी विधानसभा सीट। इस सीट पर एक बार फिर से निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। इस बार रणधीर सिंह गोलन यहां से विधायक बने हैं। पिछली बार भाजपा के टिकट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। इस सीट का इतिहास रहा है कि 23 वर्षों से यहां से किसी पार्टी का उम्मीदवार नहीं जीता है।
पुंडरी विधानसभा सीट, कैथल जिले के अंतर्गत आती है, जो राजनीतिक तौर पर हरियाणा में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पहले पुंडरी विधानसभा, कुरुक्षेत्र का हिस्सा हुआ करती थी। इस सीट पर 1967 में पहली बार कांग्रेस के आरपी सिंह विधायक चुने गए थे।
वर्ष 2014 में इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कौशिक ने 4832 वोटों से जीत दर्ज की थी। उन्हें 38,312 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर भाजपा के रणधीर सिंह गोलन रहे थे, जिन्हें कुल 33,480 वोट मिले थे। इस बार गोलन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के सतबीर भाना को 12824 वोटों से करारी शिकस्त दी है।
भाजपा ने टिकट काटा तो पक्की हुई सीट
इस बार (2019 विधानसभा चुनाव में) भाजपा ने रणधीर सिंह गोलन का टिकट काटकर वेदपाल एडवोकेट पर भरोसा जताया था। लिहाजा रणधीर सिंह गोलन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे थे। बतौर निर्दलीय प्रत्याशी क्षेत्र की जनता का उन्हें खूब समर्थन मिला। सुबह 10 बजे तक के रुझानों में वह भाजपा उम्मीदवार से लगभग दोगुने मतों के अंतर से आगे चल रहे हैं।
वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव की फाइल फोटो, जब रणधीर सिंह गोलन भाजपा में थे।
EC की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़े
हरियाणा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दोपहर सवा एक बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक, गोलन को 37431 मत प्राप्त हुए थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी सतबीर भाना थे, जिन्हें तब तक 19819 वोट प्राप्त हुए थे। 18563 मतों के साथ भाजपा उम्मीदवार वेदपाल एडवोकेट तीसरे और 14769 मतों के साथ मौजूदा निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक चौथे नंबर पर थे। इस बार भी दिनेश कौशिक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। इस सीट पर 12 उम्मीदवार ने चुनावी ताल ठोंकी थी।
पुंडरी के लोगों को राजनीतिक दलों पर भरोसा नहीं
पुंडरी विधानसभा सीट पर 23 साल से निर्दलीय उम्मीदवार का कब्जा रहा है। 1967 में पहली बार इसे विधानसभा सीट घोषित किया गया था। पहली बार के चुनाव में कांग्रेस के आरपी सिंह ने जीत दर्ज की थी। देश में संभवतः ये एकमात्र विधानसभा सीट है, जहां से इतनी ज्यादा बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। बताया जाता है कि मतदान से एक दिन पहले क्षेत्र के लोग एक छोटे समूह में बैठक कर फैसला लेते हैं कि किसी पार्टी की जगह किस निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं मतदाता
यहां के मतदाताओं का मानना है कि राजनीतिक पार्टियां कई तरह के दबाव और संतुलन को ध्यान में रखते हुए टिकट का बंटवारा करती है। उनकी प्राथमिकता विधानसभा क्षेत्र की भलाई से कहीं ज्यादा टिकट के बंटवारे और सरकार बनाने की होती है। मतदान से पूर्व स्थानीय लोग ये तय करते हैं कि कौन-सा निर्दलीय उम्मीदवार पांच साल तक उनके साथ रहेगा।
12 चुनावों में से 6 बार निर्दलीय जीते
पुंडरी विधानसभा सीट पर 1967 से लेकर वर्ष 2014 तक 12 बार चुनाव हो चुके हैं। इन 12 विधानसभा चुनावों में से 6 बार निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा चार बार कांग्रेस उम्मीदवार ने इस सीट से जीत दर्ज की है। इसके अलावा एक बार एलकेडी और एक बार जेएनपी उम्मीदवार यहां से विधानसभा पहुंचा है। खास बात ये है कि भाजपा ने इस सीट पर आजतक खाता नहीं खोला है। इस बार भी वह खाता नहीं खोल सकी है।
पुंडरी विधानसभा सीट का इतिहास
वर्ष नाम दल
2014 दिनेश कौशिक निर्दलीय
2009 सुल्तान निर्दलीय
2005 दिनेश कौशिक निर्दलीय
2000 तेजवीर निर्दलीय
1996 नरेंद्र शर्मा निर्दलीय
1991 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1987 माखन सिंह एलकेडी
1982 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1977 अग्निवेश जेएनपी
1972 ईश्वर सिंह कांग्रेस
1968 ईश्वर सिंह निर्दलीय
1967 आरपी सिंह कांग्रेस