क्या है खट्टर की तीन बड़ी चुनौतियां, विरोधियों को साधने व कांग्रेस के मैनिफैस्टो की काट पर होगी नजर
Haryana Election 2019 भाजपा यहां बहुमत से कम रहे ऐसे में निर्दलीय विधायकों को साधना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसी तरह से कांग्रेस के मैनिफैस्टो की काट देनी होगी।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी BJP के शीर्ष नेतृत्व मनोहर लाल खट्टर Manohar Lal Khattar पर आस्था व्यक्त करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री का दोबारा से उम्मीदवार बनाया है। इसलिए अगर हरियाणा में भाजपा की जीत होती है तो खट्टर का मुख्यमंत्री बनना तय है। वर्ष 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत हुई थी। इसके बाद मनोहर लाल खट्टर को पार्टी ने राज्य की कमान संभाली थी। पांच वर्ष वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन इस बार क्या भाजपा दोबारा हरियाणा में सत्ता वापसी करेगी। अगर भाजपा की वापसी हुई तो मनोहर लाल खट्टर के समक्ष क्या बड़ी चुनौतियां होगी। यह भी हो सकता है कि भाजपा यहां बहुमत से कम रहे, ऐसे में सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों को साधना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसी तरह से भाजपा को कांग्रेस के मैनिफैस्टो की काट देनी होगी। पार्टी में विरोधी स्वर को भी साधने की चुनौती होगी।
1- निर्दलीय विधायकों को पक्ष में करने की चुनौती
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है। ऐसे में अगर भाजपा यहां पूर्ण बहुमत से दूर रहती है तो सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों को साधने की बड़ी चुनौती होगी। कांटे की टक्कर दे रही कांग्रेसियों की भी नजर निर्दलीय विधायकों पर होगी। क्योंकि नतीजे बराबर पर रहे तो निर्दलीयी सरकार बनाने की प्रमुख भूमिका में होंगे। ऐसे में सरकार बनाने में खट्टर के समक्ष निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में रखने की चुनौती होगी।
2- पार्टी के अंदर विरोधियों को साधने की चुनौती
निर्दलीय के साथ खट्टर के समक्ष अपनी ही पार्टी के विरोधियों को भी झेलना पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी के अंदर उठ रहे विरोध के स्वर को संतुलित रखना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। यहां एक खेमा खट्टर की नीतियों का विरोध करता रहा है। अगर सरकार यहां बहुमत के करीब रहती है तो उन विरोधियों को साधने की चुनोती होगी।
3- किसानों की समस्याओं को निपटना
खट्टर के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के मैनिफेस्टो की काट खोजनी होगी। कांग्रेस ने इस बार वृद्धा पेंसन स्कीम पर और किसानों की कर्ज माफी को चुनावी नारा बनाया है। कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो वृद्धा पेंसन को बढ़ाकर 5600 रुपये कर देंगे। इसके साथ किसानों की कर्ज माफी का भी वचन दिया है। ऐसे में खट्टर को इसकी काट खोजनी होगी।