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Haryana Assembly Election 2019: दलबदल के पुराने खिलाड़ी हैं करतार भड़ाना, कई दलों से होकर BJP में पहुंचे

पूर्व मंत्री करतार भड़ाना दलबदल के पुराने खिलाड़ी रहे हैं। वह कभी भाजपा में ही थे और फिर कांग्रेस बसपा और रालोद में भी रहे। अब बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 08:52 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 10:39 AM (IST)
Haryana Assembly Election 2019: दलबदल के पुराने खिलाड़ी हैं करतार भड़ाना, कई दलों से होकर BJP में पहुंचे
Haryana Assembly Election 2019: दलबदल के पुराने खिलाड़ी हैं करतार भड़ाना, कई दलों से होकर BJP में पहुंचे

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा के पूर्व मंत्री करतार भड़ाना अब तक कई बार दल बदले हैं। अब वह एक बार फिर भाजपा में शामिल हुए हैं। वह पहले भी भाजपा में रहे और इसके बाद कांग्रेस, राष्‍ट्रीय लोकदल व बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए। इन दलों से चुनाव लड़ा और अधिकतर मौकों पर हार मिली।

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2019 लोकसभा चुनाव में वह मुरैना लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय कृषि मंत्री और पार्टी के हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इसमें हार गए। इसके बाद कोई मजबूत राजनीति ठिकाना नहीं मिलने पर करतार भड़ाना ने भाजपा का रुख किया। करतार भड़ाना को भाजपा  मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी में शामिल कराया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में रूठे नेताओं को मनाने का मिला जिम्मा

इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता की स्लिप दी। करतार ने नड्डा से मुलाकात के बाद फरीदाबाद में तोमर से भी मुलाकात की। सूत्र बताते हैं कि तोमर ने भड़ाना को फरीदाबाद, पलवल, नूंह जिला सहित समालखा विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के रूठे नेताओं को मनाने का जिम्मा दिया है।

2004 से 2009 तक भाजपा में रह चुके हैं करतार

करतार भड़ाना भाजपा में पहली बार नहीं आए हैं, इससे पहले, भड़ाना 2004 में हरियाणा मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए थे। तब उन्होंने राजस्थान के दौसा लोकसभा क्षेत्र में सचिन पायलट के खिलाफ चुनाव लड़ा था। दौसा में हारने के बाद करतार ने 2005 में हरियाणा में सोहना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा मगर दोनों ही जगह उन्हें असफलता हाथ लगी।

2009 में करतार ने बसपा से फरीदाबाद के बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, यहां भी हार गए। सन 2012 में चौधरी अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गए और उत्तर प्रदेश के खतौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक बन गए। 2014 में करतार ने  रालोद के ही टिकट पर कैराना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा मगर जीत नहीं सके। इस हार के बाद करतार 2019 में पहले कांग्रेस में सक्रिय हुए, मगर जब उनके छोटे भाई अवतार भड़ाना भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए तो उन्होंने बसपा में जाना बेहतर समझा।

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हर बड़े गुर्जर नेता के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं भड़ाना बंधु

करतार और उनके छोटे भाई अवतार भड़ाना हरियाणा,उत्तर प्रदेश और राजस्थान के हर बड़े नेता के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। गुरुग्राम के सोहना विधानसभा क्षेत्र से करतार ने जब भाजपा के राजस्थान से मौजूदा सांसद सुखबीर जौनापुरिया के सामने चुनाव लड़ा तो महज 6733 मत ही ले पाए। इस चुनाव में जौनापुरिया ने 50967 मत लिए। सचिन पायलट के अलावा अवतार भड़ाना केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और खुद करतार भड़ाना हरियाणा के पूर्व मंत्री व बड़े गुर्जर नेता महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ 2009 में विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं।

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1994 में तत्‍कालीन सीएम भजनलाल के खिलाफ की थी बड़ी रैली

करतार 1994 से पहले केवल अपनी पत्थर खदान का बिजनेस ही देखते थे। 1991 में जब करतार के छोटे भाई अवतार भड़ाना पहली बार फरीदाबाद से सांसद बने तो उनकी 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल से बिगड़ गई और भजन लाल ने भड़ाना बंधुओं की पत्थर खदान बंद करा दी।

अपना राजनीतिक वर्चस्व दिखाते हुए तब करतार भड़ाना ने राजनीति में कदम रखा और सूरजकुंड फरीदाबाद में एक बड़ी रैली की। इसमें तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री ने हिस्सा लिया था। इसके बाद 1996 में करतार हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर भाजपा के गठबंधन में पानीपत के समालखा से विधायक बने। 2000 में वे एक बार फिर इंडियन नेशनल लोकदल के टिकट पर समालखा से विधायक बने और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

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अवतार गए तो करतार आए

फरवरी 2019 में उत्तर प्रदेश के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक अवतार भड़ाना ने फरीदाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। अवतार अब भाजपा में नहीं है मगर चूंकि उन्होंने अपना त्यागपत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा था इसलिए वह अभी विधायक बने हुए हैं। जबकि हैं कांग्रस मेंं। छोटे भाई के भाजपा छोड़ते ही करतार ने भाजपा की ओर रुख कर लिया।


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