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लंबी हो रही चुनाव के इंतजार की घड़ी, निर्वाचन विभाग तैयार, केंद्रीय चुनाव आयोग के इशारे का इंतजार

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए इंतजार की घड़ियां लंबी होती जा रही हैं। अब संभावना जताई जा रही कि केंद्रीय चुनाव आयोग 23 सितंबर को चुनाव की तारीख का एलान कर सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 11:08 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 05:34 PM (IST)
लंबी हो रही चुनाव के इंतजार की घड़ी, निर्वाचन विभाग तैयार, केंद्रीय चुनाव आयोग के इशारे का इंतजार
लंबी हो रही चुनाव के इंतजार की घड़ी, निर्वाचन विभाग तैयार, केंद्रीय चुनाव आयोग के इशारे का इंतजार

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए इंतजार की घड़ियां लंबी होती जा रही हैं। पिछले एक सप्ताह से कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव आज-कल किसी भी समय घोषित हो सकते हैं, लेकिन अभी तक चुनाव की तारीख का एलान नहीं हुआ। अब संभावना जताई जा रही कि केंद्रीय चुनाव आयोग 23 सितंबर को चुनाव की तारीख का एलान कर सकता है।

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राज्य निर्वाचन विभाग भी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार बैठा है। निर्वाचन विभाग के अधिकारियों को अभी तक केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से कोई इशारा नहीं मिला। राज्य में लिपिक के 4858 पदों के लिए 21, 22 व 23 सितंबर को परीक्षा होनी है। इस परीक्षा में तीन दिन तक करीब 16 लाख अभ्यर्थी बैठेंगे। इसके साथ ही दीपावली का त्योहार 27 अक्टूबर को है और 1 नवंबर को हरियाणा दिवस है।

हरियाणा में 2 नवंबर से पहले-पहले नई सरकार का गठन होना जरूरी है। ऐसे में संभावना जताई जा रही कि यदि चुनाव में यूं ही देरी होती रही तो हरियाणा की नई सरकार 1 नवंबर को कार्यभार ग्रहण कर सकती है। पिछली बार भाजपा सरकार के मुखिया के तौर पर मनोहर लाल ने 26 अक्टूबर 2014 को कार्यभार ग्रहण किया था।

किसी भी राज्य विधानसभा का एक चरण का चुनाव करवाने में न्यूनतम लगभग चार सप्ताह का समय लग जाता है। हरियाणा में 90 सीटो पर एक ही चरण में चुनाव होने की संभावना है। अब अगर 21 सितंबर के बाद चुनाव की तारीख का एलान होता है और 25 सितंबर तक अधिसूचना जारी कर दी जाती है तो समस्त चुनाव प्रक्रिया 25 अक्टूबर तक संपन्न कराई जा सकती है।

चुनाव अधिसूचना जारी होने के सात दिन के अंदर नामांकन भरे जाते हैं। उससे अगले दिन जांच होती है। इसके बाद दो दिन के तक नामांकन वापस लिए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में दस दिन लग जाते हैं। इसके बाद कम से कम 14 दिन के बाद ही मतदान की तारीख निश्चित की जाती है। मतदान के बाद कम से कम तीन या चार दिन के अंतराल में मतगणना का दिन निर्धारित किया जाता है, ताकि अगर किसी कारणवश किसी पोलिंग स्टेशन या बूथ पर पुनर्मतदान करवाना पड़ जाए तो वह करवाया जा सके।

10 वर्ष पूर्व 13 अक्टूबर 2009 को हरियाणा में मतदान हुआ था, जबकि मतगणना इसके नौ दिन बाद 22 अक्टूबर 2009 को कराई गई। उस वर्ष 17 अक्टूबर 2009 को दीपावली का त्यौहार था। पांच वर्ष पूर्व चुनाव 15 अक्टूबर 2014 को करवाया गया, जबकि मतगणना इसके चार दिन पश्चात 19 अक्टूबर 2014 को कराई गई। उस वर्ष दीपावली 23 अक्टूबर 2014 की थी। इस बार दीपावली 27 अक्टूबर की है।

चुनाव में कदम-कदम पर कर्मचारियों की अग्निपरीक्षा

राजनीतिक दलों से सांठगांठ की या किसी के प्रलोभन में आए तो समझिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट पर दाग लगना तय है। राज्य निर्वाचन विभाग चुनाव ड्यूटी में लगे हर कर्मचारी की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखेगा। प्रशिक्षण से लेकर वोटर स्लिप बांटने और मतदान केंद्र पर पहुंचनेे तक विभाग के सूक्ष्म पर्यवेक्षक (माइक्रो आब्जर्वर) चुनाव कर्मियों की कार्यप्रणाली को परखेंगे।

ड्यूटी का पाबंद न होना, राजनीतिक लोगों से अधिक मेल-मिलाप व किसी दल विशेष के प्रति अधिक रुचि भी कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ाएगी। सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर निर्वाचन विभाग संदेहास्पद कार्यप्रणाली वाले अधिकारियों की ड्यूटी निरस्त करने के साथ ही उसकी रिपोर्ट कर्मचारी के विभाग के हेड को भेज देगा।

केंद्रीय चुनाव आयोग को भी रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी। कर्मचारी चुनाव ड्यूटी के झंझट से तो छूट जाएगा, लेकिन उसकी मुसीबतें तब तक कम नहीं होंगी, जब तक केंद्रीय चुनाव आयोग व राज्य निर्वाचन विभाग की जांच पूरी नहीं हो जाती। जांच में कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलेगा और उसे आरोपों के विरुद्ध अपनी निष्पक्षता साबित करनी होगी। ऐसा न कर पाने की स्थिति में निर्वाचन विभाग कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की सिफारिश प्रदेश सरकार को करेगा।

राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार हर मतदान केंद्र पर सूक्ष्म पर्यवेक्षक तैनात करने की योजना है। पारदर्शी चुनाव के लिए कर्मचारियों की राजनीतिक दलों के साथ किसी तरह की मिलीभगत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव ड्यूटी शुरू होने से पहले कर्मचारियों को कार्य संहिता से भी अवगत कराया जाएगा।

कर्मचारी नहीं जान पाएंगे सूक्ष्म पर्यवेक्षक कौन

कर्मचारियों के आचरण पर इतनी बारीकी से नजर रखी जाएगी कि उन्हें यह तक पता नहीं होगा कि सूक्ष्म पर्यवेक्षक कौन है। पर्यवेक्षक की रिपोर्ट भी पूरी तरह से गोपनीय होगी। इसे विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजा जाएगा। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. इंद्रजीत सिंह के मुताबिक केंद्रीय चुनाव आयोग के निर्देशानुसार यह व्यवस्था की जा रही है। विभाग निष्पक्ष चुनाव के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

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