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कारगर सियासी हथियार है डिप्‍टी CM पद, दुष्यंत चौटाला हरियाणा के छठे उपमुख्‍यमंत्री

हरियाणा में उपमुख्‍यमंत्री पद कारगर सियासी हथियार रहा है। राज्‍य में पहले पांच बार सत्‍ता संतुलन साधने के लिए उपमुख्‍यमंत्री बनाए गए। दुष्‍यंत राज्‍य के छठे डिप्‍टी सीएम हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 10:12 AM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 09:10 PM (IST)
कारगर सियासी हथियार है डिप्‍टी CM पद, दुष्यंत चौटाला हरियाणा के छठे उपमुख्‍यमंत्री
कारगर सियासी हथियार है डिप्‍टी CM पद, दुष्यंत चौटाला हरियाणा के छठे उपमुख्‍यमंत्री

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में राजनीतिक और सत्‍ता का संतुलन साधने के लिए उपमुख्‍यमंत्री का पद कारगर हथियार रहा है। हरियाणा में अब तक पांच डिप्टी सीएम रहे हैं। जननायक जनता पार्टी के संयोजक दुष्‍यंत चौटाला राज्‍य के छठे उपमुख्‍यमंत्री बने हैं। राज्‍य में चांदराम पहले उपमुख्‍यमंत्री बने।

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चांदराम, मंगलसेन, बनारसी दास, मा. हुकम और चंद्रमोहन रह चुके डिप्टी सीएम

डिप्‍टी सीएम कई बार राजनीतिक उलटफेर के कारण बनाए गए हैं। राज्य में अब तक चांदराम, डा. मंगलसेन, बनारसी दास गुप्ता, मा. हुकम सिंह और चंद्रमोहन बिश्नोई डिप्टी सीएम रह चुके हैं। जानिए अब तक के डिप्टी सीएम के बारे में। कब और कैसे डिप्टी सीएम बने और कैसे राजनीति में सक्रिय रहे।

1.  चांदराम: भगवत दयाल की सरकार गिराई, फिर बने डिप्टी सीएम

हरियाणा गठन के पांच माह बाद ही राज्य में पहला डिप्टी सीएम बन गया था। वह चांदराम थे, जिन्होंने पहले सरकार गिराई और फिर दूसरी सरकार में डिप्टी सीएम की कुर्सी पाई। 1966 में संयुक्त पंजाब से अलग हुए हरियाणा के हिस्से के विधायक ज्यादा कांग्रेस के थे, इसलिए कांग्रेसी नेता पंडित भगवत दयाल शर्मा को प्रदेश का पहला सीएम बना दिया।

उस समय देवीलाल, छोटूराम के भतीजे श्रीचंद और चांदराम भी कांग्रेस में थे। कैबिनेट मंत्री बनने का ख्वाब देख रहे चांदराम का नाम जब मंत्रिमंडल की सूची में नहीं आया तो वे नाराज हो गए। उसी वक्त चांदराम, मुख्यमंत्री शर्मा के पास गए और बोले 'यूं तो राम-लक्ष्मण की जोड़ी टूट जाएगी।' 12 दिन बाद जब स्पीकर के चुनाव का वक्त आया तो 17 कांग्रेसियों ने बगावत कर दी और कांग्रेस अपना स्पीकर नहीं चुन पाई। इस पर शर्मा को इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद हरियाणा विशाल पार्टी के राव बीरेंद्र सिंह (केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के पिता) ने कांग्रेस के 17 विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई और चांदराम प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम बने। बता दें कि चांदराम सबसे पहले 1952 में झज्जर से विधायक बने थे। 1967 और 1968 में लगातार विधायक चुने गए। राव बीरेंद्र सिंह की सरकार गिरने के बाद वह देवीलाल के लोकदल में शामिल हो गए।

2. चार दलों का जनता पार्टी में विलय, मंगल सेन बने उपमुख्यमंत्री

देश में इमरजेंसी के बाद कई पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हुईं। भारतीय जनसंघ, भारतीय क्रांति दल, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी और कांग्रेस-ओ को मिलाकर जनता पार्टी का गठन हुआ। चुनाव से पहले ही भारतीय क्रांति दल के नेता रहे चौधरी देवीलाल को सीएम कंडीडेट घोषित कर दिया गया था। प्रदेश की 90 सीटों में 75 सीटें जनता पार्टी के खाते में गई। डॉ मंगल सेन पांचवीं बार रोहतक से विधायक बने, वह जनसंघ के बड़े नेता भी थे। देवीलाल ने सीएम की शपथ ली तो मंगल सेन को डिप्टी सीएम बनाया गया। वह प्रदेश के दूसरे डिप्टी सीएम बने। इसके बाद 1979 में चौधरी भजन लाल ने सरकार गिराई और खुद सीएम बन गए। मंगल सेन उनके साथ नहीं गए।

3. बनारसी दास गुप्ता पहले सीएम बने, फिर डिप्टी सीएम

1987 में प्रदेश में भाजपा, लोकदल ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। पूर्ण बहुमत आने पर चौधरी देवीलाल सीएम बने और बनारसीदास गुप्ता को डिप्टी सीएम बनाया गया। चूंकि चुनाव से कुछ समय पहले ही गुप्ता कांग्रेस छोड़कर देवीलाल से जुड़ गए थे, इसलिए उन्हें डिप्टी सीएम का पद इनाम में दिया गया। इसके अलावा गुप्ता प्रदेश के बड़े नेता भी थे। वे 1975 में बंसीलाल के केंद्र में जाने के बाद 1977 तक कांग्रेस में रहते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे थे।

4. पहले सीएम बने, फिर डिप्टी सीएम बने मा. हुकम सिंह

1989 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में गठबंधन की सरकार बनने पर चौधरी देवीलाल देश के उपप्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को सीएम बनाया, जो उस वक्त विधायक भी नहीं थे। महम से चौटाला को चुनाव लड़वाया गया, लेकिन वहां विवाद हो गया। गोलियां तक चली थी, इस पर चुनाव स्थगित हो गए। यह मामला पूरे देश में चर्चा में रहा।

केंद्र सरकार पर दबाव बनने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह सहित गठबंधन के नेताओं ने तत्कालीन उपप्रधानमंत्री देवीलाल से कहा कि चौटाला को पद से हटाएं। चौटाला से इस्तीफा लेने के बाद देवीलाल ने 1991 में विश्वासपात्र तत्कालीन पंचायती राज मंत्री मास्टर हुकम सिंह को सीएम बना दिया। कुछ समय बाद फिर चौटाला सीएम बन गए तो हुकम सिंह को डिप्टी सीएम के पद पर रखा गया। वह दो बार डिप्टी सीएम रहे थे। वह हरियाणा के चौथे डिप्टी सीएम बने।

5. भजनलाल को शांत करना था तो चंद्रमोहन को उपमुख्‍यमंत्री पद मिला

हरियाणा में पांचवें डिप्टी सीएम 2005 में कांग्रेस शासन में चंद्रमोहन बने थे। इस दौरान कांग्रेस ने चौधरी भजन लाल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्ण बहुमत भी हासिल किया लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम पद के लिए तत्कालीन सांसद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम की घोषणा कर दी। इस पर चौधरी भजन लाल ने न केवल विरोध किया बल्कि उनके समर्थकों ने कई जगह आगजनी की, रोड जाम किए।

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ऐसे में कांग्रेस ने भजन लाल को शांत करने के लिए उनके बड़े बेटे चंद्रमोहन को डिप्टी सीएम बनाया गया। इसके बावजूद नाराज भजन नहीं माने और उन्होंने अपनी अलग पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना ली। छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई तो उनके साथ चले गए लेकिन चंद्रमोहन कांग्रेस में ही रहे। बाद में चंद्रमोहन के अनुराधा बाली से प्रेम प्रसंग, धर्म बदलकर विवाह करने आदि की वजह से उनकी डिप्टी सीएम की कुर्सी चली गई।

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