Loksabha Election : सोशल मीडिया पर वायरल अफवाहें, चुनाव आयोग हुआ अलर्ट
Loksabha Election में सोशल मीडिया पर अफवाहें भी खूब वायरल हो रही हैं। इससे चुनाव आयोग भी अलर्ट हो गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। लोकसभा चुनाव को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारियां वायरल होने लगी हैं। झूठे दावों को पुख्ता करने के लिए बाकायदा ऐसे नियमों का हवाला दिया जा रहा जो कानून की किताब में हैं ही नहीं। इस पर संज्ञान ले चुनाव आयोग ने गलत अफवाह फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर ली है।
14 फीसद से ज्यादा टेंडर वोट पर दोबारा से मतदान का नहीं कोई नियम
ट्विटर, फेसबुक और वाट्स-एप पर इन दिनों एक मैसेज खूब चल रहा है कि अगर किसी पोलिंग बूथ पर 14 फीसद से ज्यादा टेंडर वोट रिकॉर्ड हुए तो उस बूथ पर दोबारा से मतदान कराया जाएगा। इसके लिए 'दि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1950' और 'द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951' की धारा 49ए का हवाला दिया जा रहा है। हकीकत में दोनों ही अधिनियमों में धारा 49ए है ही नहीं। निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 में नियम 49ए है जो कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के डिजाइन को दर्शाता है।
झूठे नियमों की आड़ में मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास
दरअसल अगर किसी मतदाता का वोट कोई दूसरा व्यक्ति डाल जाए तो प्रिजाइडिंग ऑफिसर उसे मतदान के लिए टेंडर बैलेट पेपर देते हैं। ऐसी स्थिति में मतदाता ईवीएम पर तो वोट नहीं डाला सकता, लेकिन बैलेट पेपर से मतदान कर सकता है। सोशल मीडिया पर इसी नियम का हवाला देते हुए गलत अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।
राज्य के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. इंद्रजीत ने कहा कि वायरल मैसेज में टेंडर वोट के संदर्भ में जो बात कही गई है, वह पूरी तरह से झूठी है। कुछ शरारती तत्वों द्वारा हर दिन लोगों को बहकाने के लिए ऐसे झूठे और गलत संदेशों को वायरल किया जा रहा है। ऐसे किसी मैसेज पर इतनी जल्दी भरोसा न करें बल्कि पूरी जांच-पड़ताल करें। कोई संदेह या भ्रम होने की स्थिति में नागरिक हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर-1950 पर संपर्क किया जा सकता है।