दिग्गजों को वर्करों पर भरोसा कम, डेढ़ दर्जन नेताओं ने पत्नी को बनाया कवरिंग प्रत्याशी
भाजपा-कांग्रेस हो या इनेलो या फिर आप-जजपा गठबंधन लकीर के फकीर की तर्ज पर चलते हुए सभी ने पत्नी या निकटतम रिश्तेदारों को कवरिंग प्रत्याशी बनाया।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। वर्षों से इस कहावत को गांठ बांधकर चल रहे हरियाणा के दिग्गजों ने लोकसभा चुनाव में भी इस दस्तूर को जारी रखा है। भाजपा-कांग्रेस हो या इनेलो या फिर आप-जजपा गठबंधन, लकीर के फकीर की तर्ज पर चलते हुए सभी ने निकटतम रिश्तेदारों को कवरिंग प्रत्याशी बनाया। इसमें भी अधिकतर नेताओं ने पत्नियों को तरजीह दी, ताकि अपना नामांकन खारिज होने की सूरत में अर्धांगिनी को चुनाव लड़ाया जा सके।
कार्यकर्ता भले ही अपने आकाओं के लिए सब-कुछ दांव पर लगा दे रहे हैं, लेकिन नेताओं को उन पर ज्यादा भरोसा नहीं है। सभी दस संसदीय क्षेत्रों में किए गए नामांकन इसकी पूरी गवाही देते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा, कैप्टन अजय यादव, रमेश चंद्र कौशिक, अरविंद शर्मा, धर्मबीर सिंह, चरणजीत सिंह रोड़ी सहित करीब डेढ़ दर्जन बड़े नाम हैं जिन्होंने अपनी पत्नियों को कवरिंग प्रत्याशी बनाया। हालांकि रतन लाल कटारिया, दिग्विजय सिंह चौटाला और बृजेंद्र सिंह सहित कुछ उम्मीदवारों ने अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर जरूर विश्वास किया और उन्हें अपना कवरिंग प्रत्याशी बनाया।
दरअसल, अधिकतर दिग्गज प्रत्याशी जोखिम नहीं उठाना चाहते। नामांकन पत्रों में किसी भी प्रकार की त्रुटि रहने पर प्रत्याशियों के नामांकन रद होने का खतरा रहता है। भाई-भतीजे, बेटे और पत्नियों सहित अन्य सगे संबंधी तो आसानी से नाम वापस ले लेते हैं, लेकिन कार्यकर्ता अगर कवरिंग प्रत्याशी हैं और उनकी निष्ठा डिग गई तो चुनाव में वे अपने ही दल के प्रत्याशी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। यही वजह है कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रत्याशियों ने कवरिंग प्रत्याशियों के मामले में कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी।
इसलिए पड़ती कवरिंग उम्मीदवार की जरूरत
आमतौर पर उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रिजेक्ट नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी उम्मीदवार कोई जोखिम नहीं उठाते। आवेदन फार्म रिजेक्ट होने की सूरत में कवरिंग उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है। इसीलिए उम्मीदवार अपने परिवार के ही सदस्यों को कवरिंग उम्मीदवार बनाते हैं। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में सोनीपत से भाजपा उम्मीदवार राजीव जैन की पत्नी कविता जैन कवरिंग उम्मीदवार ही थीं, लेकिन बाद में उन्हें चुनाव लडऩा पड़ा। हुआ कुछ यूं कि राजीव जैन का नामांकन रिजेक्ट हो गया था। कविता जैन ने चुनाव लड़ा और चुनाव जीता। बाद में राजीव जैन के केस का भी निपटारा हो गया।
दिग्गजों के कवरिंग प्रत्याशी
प्रत्याशी कवरिंग प्रत्याशी
1. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सोनीपत (कांग्रेस) -आशा हुड्डा (पत्नी)
2. रमेश चंद्र कौशिक, सोनीपत(भाजपा) -लक्ष्मी देवी (पत्नी)
3. सुरेंद्र छिकारा, सोनीपत(इनेलो) -बबीता छिकारा (पत्नी)
4. दीपेंद्र हुड्डा, रोहतक(कांग्रेस) -हेम श्वेता हुड्डा (पत्नी)
5. अरविंद शर्मा, रोहतक(भाजपा) -रीटा शर्मा (पत्नी)
6. कैप्टन अजय सिंह यादव, गुरुग्राम (कांग्रेस) -शकुंतला यादव (पत्नी )
7. धर्मबीर सिंह, भिवानी-महेंद्रगढ़ (भाजपा) -मोहित चौधरी (बेटा)
8. स्वाति यादव, भिवानी-महेंद्रगढ़ (जजपा) -सत्यवीर यादव (पिता)
9. संजय भाटिया, पानीपत(भाजपा) -अंजू भाटिया (पत्नी)
10. चरणजीत सिंह रोड़ी, सिरसा(इनेलो) -चरणजीत कौर (पत्नी)
11. सुरेश कौथ, हिसार (इनेलो) -कमलेश (पत्नी)
12. बृजेंद्र सिंह, हिसार (भाजपा) -दारा सिंह (कट्टर समर्थक)
13. रत्नलाल कटारिया, अंबाला(भाजपा) -निधि सिंधू (कट्टर समर्थक)
14. दिग्विजय सिंह चौटाला, सोनीपत (जेजेपी) -राज सिंह दहिया (कट्टर समर्थक)
कई दिग्गजों ने भरे दो से चार नामांकन
लोकसभा चुनाव के रण में उतरे कई दिग्गज ऐसे भी हैं जिन्होंने किसी कवरिंग प्रत्याशी का पर्चा तो नहीं भराया, लेकिन खुद ही तीन से चार नामांकन पत्र दाखिल कर दिए। सबसे आगे रहे भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा जिन्होंने रोहतक में न केवल खुद के चार नामांकन पत्र दाखिल किए, बल्कि अपने कवरिंग प्रत्याशी के रूप पत्नी रीटा शर्मा के भी चार पर्चे भरवा दिए।
हरियाणा कांग्रेस के प्रधान डॉ. अशोक तंवर, कुमारी सैलजा, भव्य बिश्नोई ने चार-चार नामांकन दाखिल किए हैं, जबकि राव इंद्रजीत सिंह, दीपेंद्र हुड्डा, रत्न लाल कटारिया, नरेश कुमार और बृजेंद्र सिंह ने तीन-तीन नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। धर्मबीर सिंह, सुनीता दुग्गल, चरणजीत सिंह रोड़ी, दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला, रमेश चंद्र कौशिक और कैप्टन अजय यादव ने दो-दो पर्चे भरे।