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लोकसभा चुनाव के रंग: हर सीट का मिजाज जुदा, कहीं साइलेंट तो कहीं मुखर वोटर

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान अलग ही रंग नजर आ रहे हैं। राज्‍य में हर सीट पर वोटर का मिजाज जुदा है। कहींं वोटर चुप्‍पी साधे हुए है तो कहींं लोग मुखर हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:04 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 10:09 AM (IST)
लोकसभा चुनाव के रंग:  हर सीट का मिजाज जुदा, कहीं साइलेंट तो कहीं मुखर वोटर
लोकसभा चुनाव के रंग: हर सीट का मिजाज जुदा, कहीं साइलेंट तो कहीं मुखर वोटर

हरियाणा, [ अनुराग अग्रवाल]। लोकसभा चुनाव 2019 मेें हरियाणा का मिजाज और राजनीतिक रंग जुदा नजर आ रहा है। तीन हिस्सों में बंटे राज्य के राजनीतिक रंग कहीं चटख हैं तो कहीं हलके और कहीं गहरे। खेत-खलिहानों से निकलकर राजनीति अब चौपालों पर पहुंच गई है। उत्तर हरियाणा के खेत खाली हो चुके। कमोबेश यही स्थिति मध्य और दक्षिण हरियाणा की है। घर में रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए गेहूं बचाकर लोग बाकी मंडियों में पहुंचा चुके। अब खेतों में आदमी नजर नहीं आते। महिलाएं घरों में काम कर रही हैं और पुरुष चौपालों पर राजनीति।

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खेत खलिहान खाली कर चौपालों पर सजने लगी राजनीति की महफिल

दक्षिण, मध्य और उत्तर हरियाणा, तीनों का राजनीतिक मिजाज अलग-अलग है, मुद्दे अलग हैं और पार्टियों व उम्मीदवारों को परखने का पैमाना अलग है। हर जगह उम्मीदवारों से अधिक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को अहमियत दी जा रही। पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने जैसे मुद्दे युवाओं में खासे उछल रहे। कहीं क्षेत्रीय तो कहीं जातिगत माहौल भी हावी है, लेकिन आवाज यही है, ऊपर मोदी नीचे का अभी सोचा नहीं। मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग हैं और विधानसभा के अलग होंगे।

मोदी के नाम की हवा, युवाओं में मसूद अजहर और पुलवामा की चर्चा

हम सबसे पहले आपको उत्तर हरियाणा की अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा सीटों पर ले चलते हैं। यहां का मतदाता मुखर नहीं है। दिल में कुछ दबाकर बैठा है। उसे मोदी खूब पसंद हैं, लेकिन उम्मीदवारों को लेकर असमंजस में है। नारायणगढ़ में दो थ्री-व्हीलर चालक सिर्फ इसी बात पर भिडऩे को तैयार हो गए कि मोदी की सरकार अच्छी है या कांग्रेस ठीक थी।

अंबाला संसदीय क्षेत्र के गांव ऊंचा चंदाना, नबीपुर, गजलाना और भोगपुर में मतदाता कांग्रेस की सैलजा के पिछले कामों को याद करते हैं मगर वोट मोदी को देने की बात कह रहे हैं। सरस्वती नगर में करीब 750 करोड़ रुपये के नए प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। लोग इसे भाजपा के हक में मानते हैं। लोगों से बात करते हुए मैं जैसे ही कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र के लाडवा, बणी और बाबैन इलाकों में प्रवेश करता हूं तो यहां मतदाता जातीय समीकरणों में उलझा नजर आया।

भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी से यहां के मतदाता को खासी तकलीफ है। लाडवा में सिर पर गठरी उठाए जा रही बंतो और उसका घरवाला फत्तू कहते हैं कि उन्होंने सारा समय अपनी खुद की राजनीति में निकाल दिया। अब उन्हें नायब सैनी से आस बंधी है। जाट और जट सिख मतदाता निर्मल सिंह को भी पसंद कर रहा, लेकिन ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी के अर्जुन चौटाला को भी दिल से चाहता है।

वजीदा जाटान के सरदार सुखवंत सिंह दलगत राजनीति का जिक्र होते ही तैश में आ जाते हैं। उनका कहना है कि भले ही मोदी अच्छा कर रहे, लेकिन कांग्रेस ने भी देश के लिए कुछ कम नहीं किया। इंद्री और सुबरी को होते हुए मैं जैसे ही करनाल में एंट्री करता हूं तो यहां सिर्फ और सिर्फ मोदी और मनोहर की हवा है। कांग्रेस के कुलदीप शर्मा भाजपा के संजय भाटिया की परेशानी बढ़ा रहे हैं, लेकिन मोदी लहर का असर भाटिया की मजबूत ढाल बन रहा है। 

हिसार और सिरसा दो संसदीय क्षेत्र ऐसे हैं, जिस पर पूरे प्रदेश की निगाह है। खेत खाली कर चुके किसान चौपालों पर जम गए। सुबह से लेकर शाम तक ताश के दौर चल रहे हैं। एक-एक उम्मीदवार को कई-कई गांवों का दौरा करना पड़ रहा है तो मतदाता भी उन्हें बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे। सिरसा और हिसार दोनों राजस्थान व पंजाब की सीमा से सटे बड़े संसदीय क्षेत्र हैं। यहां राजस्थान और पंजाब के कई लोग अपनी रिश्तेदारियों में आकर जम गए। बरवाला के राजेंद्र सिंह ने माना कि मतदान के दौरान गांव-गुहांड और रिश्तेदारों की माननी ही पड़ती है। जब नेता पड़ोसी प्रदेश में रह रहे रिश्तेदारों को साथ ले आते हैं तो फिर हमारे पास कोई चारा नहीं होता।

हुड्डा को बड़े चेहरे का लाभ, कौशिक भी निश्चिंत

 सोनीपत संसदीय क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। गन्नौर, राई व गोहाना में हुड्डा को उनकी अपनी छवि, सरकार के दस साल के काम और पार्टी का बड़ा चेहरा होने का लाभ मिल रहा है। भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक भी निश्चिंत नजर आ रहे हैं। जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला ने मुकाबले को कड़ा बना दिया है। सोनीपत के सेक्टर-15 के लवकेश बतरा को यह कहने में हर्ज नहीं कि मोदी और मनोहर की जोड़ी रमेश कौशिक की मजबूत ढाल बनेगी, लेकिन वे यहां मुकाबला कड़ा मानते हैं।

चौटाला के गढ़ में मतदाता खामोश

सिरसा के डबवाली, ऐलनाबाद व रानियां को चौटाला का गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां भी मतदाता कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। भाजपा की सुनीता दुग्गल को तोलकर देख रहा है तो उस पर मोदी और मनोहर की जोड़ी का असर भी नजर आ रहा है। कांग्रेस के अशोक तंवर यहां बड़ा चेहरा हैं। इनेलो ने अपने पुराने सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी पर दाव खेला है। लोगों को रोड़ी का उनके बीच रहना पसंद आ रहा है।

हॉट सीट हिसार में टक्कर कांटे की

हिसार में मुकाबला कांटे का है। यहां आदमपुर से भजनलाल परिवार की राजनीति चलती है। ताऊ देवीलाल के पड़पोते दुष्यंत चौटाला अपने कामों के बूते आश्वस्त हैं तो भजनलाल के पोते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को अपने पिता व दादा की राजनीतिक विरासत का आसरा है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और दीनबंधु छोटूराम के वंशज बृजेंद्र सिंह की शांत छवि, मोदी का जादू और पूरी भाजपा की इस सीट पर एकजुटता उनके हक में कोई भी गुल खिला सकती है।

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