भाजपा के जिताऊ चेहरों में फिट बैठी कांग्रेस पृष्ठभूमि की यह तिकड़ी, तोड़ा था गढ़
Loksabha Election 2019 में हरियाणा में भाजपा द्वारा घोषित आठ प्रत्याशियाें में से तीन नेताओं की तिकड़ी ने अपनी खास जगह बनाई है।
चंडीगढ़, जेएनएन। Loksabha Election 2019 में लिए भाजपा ने घोषित सूची में भाजपा ने सिर्फ जिताऊ चेहरों पर ही दांव खेला है। आठ में से जिन पांच मौजूदा सांसदों को टिकट दिए गए हैं, उनमें तीन सांसद कांग्रेस की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। भाजपा में आने के बाद इन सांसदों को न केवल भरपूर मान-सम्मान मिला, बल्कि उनकी राजनीतिक अहमियत को भी समझा गया है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक और भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह की तिकड़ी इस चुनाव में भी अपना असर दिखाती नजर आ सकती है।
धर्मवीर हरा चुके किरण की बेटी श्रुति को
जनता दल से कांग्रेस और फिर भाजपा में शामिल हुए धर्मवीर ने पिछले चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर श्रुति चौधरी को शिकस्त दी थी। चार बार विधायक और देवीलाल की सरकार में मंत्री रहे धर्मवीर का टिकट भाजपा ने बरकरार रखा है। इलाके में अच्छा रसूख रखने वाले धर्मवीर मौजूदा समय में रक्षा संबंधी स्थायी समिति और केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य हैं।
सुनीता दुग्गल नायब सिंह सैनी
अहीरवाल में राव इंद्रजीत का जलवा
पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत संभाल रहे राव इंद्रजीत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री ली है। 1977 से 1996 के बीच इंद्रजीत चार बार विधानसभा के सदस्य रह चुके राव चार बार सांसद भी बने। 1998 में वे पहली बार सांसद बने और केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी समिति के सदस्य रहे। 2004 में वे दूसरी बार लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए और कांग्रेस सरकार में विदेशी मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री रहे।
2006 से 2009 तक रक्षा सामग्री निर्माण के केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। 2009 के लोकसभा चुनावों मे वे तीसरी बार चुने गए। 23 सितंबर 2013 को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए 2014 में भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ा और केंद्र में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री बने। राव के कद को देखते हुए भाजपा ने उन्हें पहले ही एक तरह से प्रत्याशी घोषित किया हुआ था जिस पर अब मुहर भी लग गई।
रमेश कौशिक की संसद में सौ फीसद हाजिरी
भाजपा का गढ़ माने जाते रहे सोनीपत संसदीय क्षेत्र में पिछले चुनाव में रमेश चंद्र कौशिक ने कांग्रेस से यह सीट छीनी। बीए और एलएलबी की पढ़ाई करने वाले कौशिक की संसद में सौ फीसद उपस्थिति रही है। रेलवे की स्थायी समिति, नियम समिति, उपभोक्ता मामलों, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य रमेश कौशिक दो बार विधायक भी रह चुके।
1996 में चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) की सरकार में वह राजस्व मंत्री बने तो 2005 में कांग्रेस की टिकट पर राई से विधायक बनकर हुड्डा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए। 2013 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का कमल थाम लिया और 2014 में पहली बार सांसद चुने गए।
गुर्जर ने बनाया था बड़ा रिकार्ड
पांच वर्ष पहले 2014 के चुनाव में कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद में कांग्रेस के अवतार भड़ाना को 4.67 लाख मतों के अंतर से हराया और मोदी सरकार में राज्य मंत्री बने। लॉ ग्रेजुएट गुर्जर ने फरीदाबाद के नेहरू कॉलेज छात्र संघ के महासचिव पद से राजनीति शुरू की थी। 1996 में हविपा-भाजपा की सरकार में पहली बार विधायक के साथ परिवहन मंत्री बने। वर्ष 2000 और 2009 में वह फिर विधायक बने। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष रह चुके गुर्जर को दोबारा टिकट दिए जाने के फैसले को राजनीतिक दृष्टि से उनकी मजबूती के रूप में देखा जा रहा है।
रतनलाल कटारिया संजय भाटिया
दो बार हारे तो दो बार सांसद बने कटारिया
अंबाला में वर्ष 1999 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लडऩे वाले रत्न लाल कटारिया दो बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं तो दो बार जीते। 2014 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत का बड़ा रिकार्ड कायम करते हुए उन्होंने 6 लाख 12 हजार 121 वोट लिए। अनुसूचित जाति के कटारिया की क्षेत्र में अच्छी छवि के चलते ही भाजपा ने उन पर फिर से भरोसा जताया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नजदीकियों में शुमार कटारिया ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक की है।
सुनीता दुग्गल ने राजनीति के लिए छोड़ी राजस्व सेवा
सुनीता दुग्गल भारतीय राजस्व सेवा की पूर्व अधिकारी हैं। वीआरएस लेकर 2014 का पहला विधानसभा चुनाव रतिया से लड़ा। इनेलो के रविंद्र बलियाला से 562 वोटों से पराजित हुईं। पति राजेश दुग्गल आइपीएस अधिकारी हैं। मनोहर सरकार में हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम की चेयरपर्सन हैं। दलित व महिला कल्याण के कार्यों में सक्रिय हैं। सिरसा क्षेत्र में उनके अच्छे रसूख के चलते ही भाजपा ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया।
संगठन के तजुर्बेकार संजय भाटिया
पानीपत के संजय भाटिया पहला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। संगठन के तजुर्बेकार पदाधिकारी हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और आरएसएस की पसंद हैं। संगठन में मोदी और शाह की रैलियों की जिम्मेदारी निभाते रहे। पंजाबियों में पकड़ है। करनाल से मैदान में उतरे भाटिया को यहां से टिकट के दावेदार चंद्रप्रकाश कथूरिया का भी मिलेगा समर्थन। इनके रिश्तेदार नीतिसेन भाटिया भाजपा के वरिष्ठ नेता हैैं।
नायब सिंह को मिलेगा सैनी वोटों का लाभ
नायब सिंह सैनी ने वर्ष 2014 में पहला विधानसभा चुनाव नारायणगढ़ से लड़ा। मोदी लहर में जीते और मनोहर कैबिनेट में राज्यमंत्री बने। अंबाला जिले का होने के कारण स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से टकराव रहा। अब उन्हें पार्टी ने कुरुक्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा है जहां उन्हें सैनी वोटों का लाभ मिलेगा। हालांकि बाहरी होने का आरोप लग सकता है।