Loksabha Election हरियाणा कांग्रेस की छह दिन की यात्रा, बस दिखावे की एकजुटता
Loksabha Election 2019 के मद्देनजर एकजुटता दिखाने के लिए हरियाणा कांग्रेस ने छह दिन तक परिवर्तन यात्रा निकाली। तमाम कोशिशों के बावजूद इसमें बस दिखावे की एकता दिखाई दी।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बावजूद छह गुटों में बंटे प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को एकजुट करने के लिए निकली परिवर्तन यात्रा रविवार को पूरी हो गई। छह दिन की इस यात्रा को कांग्रेस नेता सफल बता रहे हैैं, लेकिन हकीकत यह है कि सारी एकजुटता दिखावे की रही।
26 मार्च को गुरुग्राम से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा का फरीदाबाद में समापन, गुलाम नबी आजाद ने को कहा सफल
रविवार को औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में समापन अवसर पर पार्टी के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद मौजूद रहे। आजाद की पहल पर 26 मार्च को दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर से यह यात्रा पार्टी के लिए कितनी अहम थी, इसी से पता चलता है कि चौथे दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।
राहुल गांधी ने यमुनानगर के जगाधरी, कुरुक्षेत्र के लाडवा और करनाल के इंद्री हल्के में जनसभाएं संबोधित की। यात्रा शुरू करने से पहले गुलाम नबी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, विधायक कुलदीप बिश्नोई को एकजुट करने के लिए 15 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया।
हुड्डा को इसका अध्यक्ष बनाया तो इस यात्रा से पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पुत्र एवं विधायक कुलदीप बिश्नोई किनारा कर गए। राहुल गांधी के हरियाणा आगमन पर यात्रा में वह पहुंचे, लेकिन साफ कह दिया कि उनके नेता राहुल गांधी हैं। इसके बाद वे यात्रा में शामिल नहीं हुए। समन्वय समिति के सदस्यों को यात्रा के दौरान पूरे प्रदेश में एक बस में साथ चलना था मगर रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा, पूर्व सांसद नवीन जिंदल व कुछ अन्य नेता कहीं कहीं ही एक साथ दिखाई दिए।
बावजूद इसके गुलाम नबी आजाद का दावा है कि इस यात्रा के दो उद्देश्य थे। पहला तो सभी नेता एकजुट हों और कार्यकर्ताओं तक यह संदेश जाए ताकि जिला व ब्लॉक स्तर पर भी कार्यकर्ता एकजुट हो जाएं। आजाद बताते हैं कि सभी नेता एक मंच से एक सुर में बोलें, एक जगह एक टेबल पर बैठकर खाना खाएं और स्थानीय नेता इसका अनुसरण करें, इसमें पार्टी आलाकमान काफी हद तक कामयाब हुआ है।
आजाद कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि सिरसा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अशोक तंवर के लिए और तंवर ने रोहतक में हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के लिए वोट मांगे। इसी तरह भिवानी-महेंद्रगढ़ जिलों में हुड्डा और तंवर ने मिलकर किरण चौधरी की पुत्री श्रुति चौधरी के लिए वोट मांगे। किरण ने अंबाला में जाकर सैलजा के लिए वोट मांगे।
आजाद व्यंगात्मक लहजे में भाजपा पर वार करते हुए कहते हैं कि असल में पिछले पांच साल कांग्रेस नेताओं में यह लड़ाई तो भाजपा की आंखों में धूल झोंकने के लिए एक रणनीति के तहत थी। अब जब चुनाव आ गए हैं तो इन नेताओं का हाथ एक मुट्ठी बनकर काम करेगा।
इस यात्रा का दूसरा मकसद आजाद बताते हैं कि जनता को देश में सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार करना था। कांग्रेस ने अपनी नई न्याय योजना का इस दौरान प्रचार किया। इस दौरान पार्टी के सरकार विरोधी राष्ट्रीय मुद्दों को भी जनता के बीच उठाया गया। खैर, 21 जिलों की यात्रा कर रविवार को फरीदाबाद में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा का समापन हो गया। पांच साल से प्रदेश और जिला व ब्लॉक स्तर कांग्रेस नेताओं के बीच चले आ रहे मन-मुटाव दूर करना पार्टी के लिए काफी चुनौतीभरा कार्य रहेगा।