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इन लोकसभा क्षेत्रों में बन रहे रोचक समीकरण, कहीं कांटे की टक्कर तो कहीं तिकोना मुकाबला

हरियाणा की बांगर-जाट बेल्ट में रोचक राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। कहीं मुकाबला कांटे की टक्कर का है तो कहीं तिकोना मुकाबला।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 01:59 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 09:01 PM (IST)
इन लोकसभा क्षेत्रों में बन रहे रोचक समीकरण, कहीं कांटे की टक्कर तो कहीं तिकोना मुकाबला
इन लोकसभा क्षेत्रों में बन रहे रोचक समीकरण, कहीं कांटे की टक्कर तो कहीं तिकोना मुकाबला

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा की बांगर-जाट बेल्ट... कुछ हिस्सा राजस्थान की सीमा से सटा तो कुछ पंजाब और एनसीआर का इलाका। हिसार, रोहतक, भिवानी-महेंद्रगढ़ और सिरसा लोकसभा सीटें इसी बांगर-जाट बेल्ट का पार्ट हैं। राजनीतिक मिजाज के लिहाज से इस बेल्ट को हरियाणा की नब्ज के तौर पर देखा-समझा जाता है। इस बेल्ट में अधिकतर वही सीटें आती हैं, जिन पर पिछले चुनाव में मोदी लहर का भी कोई खास असर नहीं हुआ था। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट इसमें अपवाद है। बाकी तीन सीटों हिसार, सिरसा और रोहतक में इनेलो-जजपा और कांग्रेस का कब्जा है।

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यूं कहिए कि भाजपा पिछले पांच सालों से बांगर-जाट बेल्ट में कमल खिलाने की जिद्दोजहद में है। चुनाव में इस बेल्ट का राजनीतिक मिजाज बहुत कुछ कह रहा है...यहां हर सीट पर उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है...कहीं आमने-सामने तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबलों में चुनाव पूरी तरह से फंसा नजर आ रहा है।

भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) के साथ मिलकर लड़ा था। आठ सीटों पर भाजपा ने ताल ठोंकी और दो सीट हिसार व सिरसा हजकां के खाते में गई थी। हिसार में खुद पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई चुनाव लड़े, जबकि सिरसा के रण में पूर्व सांसद डा. सुशील इंदौरा को उतारा गया। भाजपा ने रोहतक छोड़कर अपने हिस्से की सात लोकसभा सीटें जीती, जबकि कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हजकां अपनी दोनों सीटें हार गई। अब हजकां का कांग्रेस में विलय हो चुका है, जबकि भाजपा को शिरोमणि अकाली दल (बादल) का साथ मिल गया है। दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा में एकमात्र ऐसे कांग्रेस सांसद थे, जो मोदी लहर के बावजूद जीत दर्ज कराने में कामयाब रहे।

यह संयोग ही है कि भाजपा जिन तीन लोकसभा सीटों रोहतक, हिसार और सिरसा में कमल नहीं खिला पाई, वे सभी जाट-बांगर बेल्ट का ही पार्ट हैं। अब भाजपा ने इस बेल्ट पर कब्जा जमाने के लिए जी-जान एक किया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तक की निगाह इन तीनों सीटों पर टिकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पूरा फोकस जाट-बांगर बेल्ट पर है।

जातीय समीकरण रहेंगे हावी, अहम होंगे उम्मीदवार

इस बेल्ट में कोई बड़ा राजनीतिक मुद्दा हावी नहीं है। न ही किसी खास पार्टी की कोई लहर है, लेकिन यहां प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि बेहद काम आ रही है। उम्मीदवारों का जातीय समीकरण किसी को भी जीत-हार दिला सकता है। भिवानी में कांग्रेस ने पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है तो भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद धर्मबीर पर दाव खेला है। श्रुति तथा धर्मबीर के बीच पुराना राजनीतिक टकराव है। इनेलो से अलग हुई जननायक जनता पार्टी और आप के गठबंधन ने यहां नए चेहरे के रूप में स्वाति यादव को टिकट दिया है। स्वाति का गणित खराब करने के लिए इनेलो ने बलवान फौजी को जंग में उतार दिया। श्रुति और धर्मबीर दोनों जाट हैं, जबकि स्वाति अहीर हैं।

रोहतक में कांग्रेस ने अपने पुराने घुड़सवार दीपेंद्र हुड्डा पर भरोसा जताया है। उनके पिता पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा खुद सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने तीन बार सांसद रहे डा. अरविंद शर्मा को दीपेंद्र के सामने उतारा तो जजपा-आप गठबंधन ने प्रदीप देसवाल तो इनेलो ने धर्मवीर फौजी को टिकट दिए हैं। दीपेंद्र की पैठ जाटों के साथ-साथ गैर जाट मतों में पूरी है, जबकि भाजपा ने अरविंद शर्मा के रूप में गैर जाट उम्मीदवार से उन्हें चुनौती दी है।
हिसार में मुकाबला कांटे का है। जजपा सांसद दुष्यंत चौटाला, कांग्रेस के गैर जाट नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के बीच यहां कांटे की टक्कर है।

इनेलो ने दुष्यंत का गणित बिगाडऩे के लिए सुरेश कोथ को रण में उतारा है। दुष्यंत ताऊ देवीलाल के प्रपौत्र, भव्य स्वं. भजनलाल को पोते और बृजेंद्र सिंह सर छोटू राम के वंशज हैं। तीनों ही विदेश में पढ़ लिखे हैं और तीनों के बीच यहां कांटे की टक्कर है। सिरसा में हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डा. अशोक तंवर की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। भाजपा ने यहां रतिया हलके से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी सुनीता दुग्गल को टिकट दिया है। इनेलो ने अपने निवर्तमान सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी पर फिर से दाव खेला, जबकि जजपा-आप गठबंधन ने निर्मल सिंह मलड़ी को टिकट दिया है।

रोहतक में आमने-सामने की टक्कर, भिवानी-सिरसा और हिसार में रोचक मुकाबले

भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर हाल फिलहाल भाजपा का कब्जा है। भाजपा यहां अपनी जीत को बरकरार रखने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी, जबकि कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी की जितवाकर हाईकमान के पास अपनी सीएम पद की दावेदारी मजबूत करेंगी। भिवानी में श्रुति और धर्मबीर के बीच कांटे की टक्कर है, जबकि स्वाति यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही हैं।

रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा और भाजपा के डा. अरविंद शर्मा के बीच आमने-सामने की टक्कर है। यहां कोई मुद्दा अथवा कोई नारा हावी नहीं है। सिर्फ उम्मीदवारों की छवि काम करेगी। सिरसा में त्रिकोणीय मुकाबला डा. अशोक तंवर, सुनीता दुग्गल और चरणजीत सिंह रोड़ी के बीच है। जजपा-आप के निर्मल सिंह मलड़ी खुद को मुकाबले में मान सकते हैं। हिसार का चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। यहां दिग्गज राजनीतिज्ञों के वारिसों के बीच कांटे की टक्कर होगी। हिसार में दुष्यंत चौटाला, भव्य बिश्नोई और बृजेंद्र सिंह के बीच कड़ी टक्कर होगी। नतीजा कुछ भी हो सकता है।

रोहतक में जाट और दलित वोटर खिलाएंगे गुल

रोहतक लोकसभा क्षेत्र को हुड्डा का गढ़ माना जाता है। यहां फिर से जीतने के लिए हुड्डा परिवार ने पूरा जोर लगा रखा है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को सामने रखकर वोट मांग रही है। सबसे ज्यादा करीब सवा छह लाख जाट वोटर, 2 लाख 98 हजार अनुसूचित जाति के वोटर, 1 लाख 70 हजार यादव वोटर, 1 लाख 24 हजार ब्राह्मण वोटर और 1 लाख 8 हजार पंजाबी वोटर यहां कोई भी गुल खिला सकते हैं। जातिगत समीकरणों को देखते हुए ही कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी-आप गठबंधन ने जाट प्रत्याशियों को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। बीएसपी-एलएसपी गठबंधन की ओर से विश्वकर्मा जाति के किशन सिंह पांचाल मैदान में हैं।

हिसार के रण में तीनों योद्धाओं के पिता रह चुके सांसद

जिस चुनावी मैदान में कभी पिता विजयी रहे थे, अब वहां से बेटे ताल ठोक रहे हैं। जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला के पिता अजय सिंह चौटाला, भाजपा के बृजेंद्र सिंह के पिता चौ. बीरेंद्र सिंह और कांग्रेस के भव्य बिश्नोई के पिता कुलदीप बिश्नोई भी हिसार से सांसद रह चुके हैैं। तीनों ही प्रत्याशी राजनीतिक घरानों से हैं। अजय चौटाला 2009 में हिसार से सांसद रहे।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के इस्तीफे के बाद उपचुनाव लड़ा था। कुलदीप बिश्नोई और बीरेंद्र सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं। बीरेंद्र सिंह 1984 में ओमप्रकाश चौटाला को हराकर सांसद बने थे। कुलदीप बिश्नोई हिसार से 2011 में सांसद रहे। उन्होंने अजय सिंह चौटाला को हराया था। इस चुनाव में तीनों प्रत्याशियों के पिता भी पसीना बहा रहे हैं।

सिरसा आरक्षित सीट पर सबसे अधिक जाट मतदाता

सिरसा हरियाणा की ऐसी इकलौती लोकसभा सीट है, जिसके नौ में से तीन विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। जातीय समीकरणों के हिसाब से सिरसा में सबसे ज्यादा जाट वोटर्स करीब 3 लाख 30 हजार हैं। उसके बाद 1 लाख 78 हजार सिख मतदाता हैं। तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं। भाजपा यहां से अभी तक खाता नहीं खोल पाई, लेकिन इस बार सुनीता दुगगल के रूप में मजबूत प्रत्याशी मैदान में उतारा है।

राजनीति का गढ़ माना जाता है भिवानी

भिवानी हमेशा ही राजनीति का गढ़ रहा है। इस जिले ने प्रदेश को जहां तीन सीएम दिए, वहीं पूर्व सीएम चौ. बंसीलाल रक्षा मंत्री व परिवहन जैसे मुख्य पदों तक पहुंचे। इसके साथ एक अजब संयोग भी है कि जब-जब इस सीट से जिस पार्टी का सांसद बना, वही पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई। पिछली बार की तरह इस बार भी यहां भाजपा ने सांसद धर्मबीर और कांग्रेस ने श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है। इस सीट का बहुत सा इलाका अहीरवाल में आता है, जहां अहीर मतदाता निर्णायक की भूमिका में होते

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