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23.43 से 1.90 फीसद पर खिसका INLD का जनाधार, अरोड़ा ने जिम्मेदारी लेते हुए दिया इस्तीफा

INLD की करारी हार को स्वीकार करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 03:22 PM (IST)
23.43 से 1.90 फीसद पर खिसका INLD का जनाधार, अरोड़ा ने जिम्मेदारी लेते हुए दिया इस्तीफा
23.43 से 1.90 फीसद पर खिसका INLD का जनाधार, अरोड़ा ने जिम्मेदारी लेते हुए दिया इस्तीफा

जेएनएन, कुरुक्षेत्र। लोकसभा चुनाव में इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन और पिछली बार के सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी सहित कोई भी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया। इस करारी हार को स्वीकार करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यालय को E mail से भेज दिया है।

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अपने इस्तीफे में अरोड़ा ने लिखा कि वह चौटाला के आशीर्वाद से पिछले 15 वर्षों से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहेे। इस दौरान चौटाला परिवार ने जो मान सम्मान दिया। उसके लिए वह हृदय से आभारी हैं। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते वह पार्टी के सभी वरिष्ठ साथियों एवम् कार्यकर्ताओं के सहयोग एवं समर्थन का धन्यवाद करतेे हैं। इस चुनाव में पार्टी के लचर प्रदर्शन की वह नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रहेे हैं। 

अशोक अरोड़ा द्वारा चौटाला को लिखा गया पत्र।

बता दें,  पिछले लोकसभा चुनाव में इनेलो ने 2 सीटें जीती थी। पार्टी को 24.43 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि भाजपा ने 7 सीटें जीतकर 34.84 प्रतिशत मत हासिल किए थे। वहीं, कांग्रेस ने एक सीट जीतकर 22.99 प्रतिशत मत हासिल किए थे। इस बार केे लोकसभा चुनाव में पार्टी का मत प्रतिशत 23.43 प्रतिशत से घटकर 1.90  फीसद रह गया है। इस बार भाजपा ने 10 सीटें जीतने के साथ ही 58 फीसद मत हासिल किए हैैं। पिछले चुनाव में कांंग्रेेेस ने एकमात्र रोहतक की सीट जीतते हुए 22 फीसद वोट हासिल किए थे, लेकिन इस बार एक भी सीट नहीं जीती, मगर मत प्रतिशत 28 हो गया है।

इनेलो का मत प्रतिशत खिसकने का मुख्य कारण पार्टी की टूट है। पिछले साल दिसंबर में अभय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक राहें जुदा होने के बाद इनेलो ने न केवल नगर निगम और जींद विधानसभा के उपचुनाव हारे, बल्कि विधानसभा में उनका मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी छिन गया। मौजूदा लोकसभा चुनाव में इनेलो ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन चौटाला के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई थी, लेकिन वह पांचवें स्थान पर खिसक गए।

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