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Survey में खुलासा; हर पांचवां वोटर फंसता है शराब, नकदी और उपहारों के लालच में

तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद हरियाणा में हर पांचवां वोटर शराब नकदी और उपहारों के लालच में फंसकर गलत प्रत्याशियों को वोट देता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 09:05 PM (IST)
Survey में खुलासा; हर पांचवां वोटर फंसता है शराब, नकदी और उपहारों के लालच में

जेएनएन, चंडीगढ़। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद हरियाणा में हर पांचवां वोटर शराब, नकदी और उपहारों के लालच में फंसकर गलत प्रत्याशियों को वोट देता है। हरियाणा में 86 फीसद लोग अपनी मर्जी से वोट देते हैं। सिर्फ दस फीसद मतदाता ही अपने जीवनसाथी और परिवार के दूसरे सदस्यों के कहने पर व्यक्ति विशेष को मतदान करते हैं।

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चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) के हरियाणा में पांच हजार लोगों पर किए सर्वे में यह बात निकलकर आई है। प्रत्याशियों को वोट डालते हुए मतदाताओं के जेहन में सबसे पहले मुख्यमंत्री का चेहरा, फिर पार्टी और सबसे अंत में प्रत्याशी का चेहरा होता है। खास बात यह कि 70 फीसद मतदाताओं को मालूम है कि शराब, नकदी और उपहार का वितरण अवैध है, इसके बावजूद 21 फीसद लोग इसी आधार पर मतदान करते हैं। 44 फीसद लोगों ने माना कि उन्हें ऐसे मामलों की जानकारी है जहां वोट के बदले प्रलोभन देने की पेशकश की गई। 98 फीसद का मानना था कि आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई व्यक्ति सांसद या विधायक नहीं चुना जाना चाहिए।

39 फीसद लोगों ने कहा कि गलत प्रत्याशियों को वोट इसलिए पड़ते हैं क्योंकि मतदाताओं को उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी नहीं होती। बाहुबलियों को वोट देने वालों में 38 फीसद डर तो 32 फीसद लोग उनसे बेहतर नतीजों की उम्मीद और 31 फीसद पैसे के लालच में वोट डालते हैं। जातिगत और धर्म आधारित सोच भी मतदाताओं के लिए आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले प्रत्याशियों को चुनने में अहम कारक है। एडीआर द्वारा किए सर्वे में 63 फीसद ग्रामीण और 37 फीसद शहरी मतदाता शामिल किए गए जिनमें 70 फीसद सामान्य, 21 फीसद अनुसूचित और 9 फीसद अन्य पिछड़ा वर्ग से थे।

गांवों में रोजगार, कृषि लोन और फसलों के दाम तो शहरों में परिवहन व प्रदूषण मुद्दा

हरियाणा में मतदान के समय रोजगार, कृषि लोन, परिवहन व्यवस्था और प्रदूषण मतदाताओं की शीर्ष प्राथमिकताओं में होता है। गांवों में 64 फीसद मतदाताओं ने कृषि ऋण की उपलब्धता, 49 फीसद ने सिंचाई पानी और 54 फीसद ने कृषि उत्पादों के लिए अधिक मूल्य को तरजीह दी। शहरी मतदाताओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर (56 फीसद), ट्रैफिक (55 फीसद) और जल एवं वायु प्रदूषण (50 फीसद) बड़ा मुद्दा है। 

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