गुजरात की बाजी: सोशल मीडिया पर कांग्रेस सवार, बेहतर प्रदर्शन की जताई उम्मीद
कांग्रेस को पता है कि गुजरात में अगर उसे वापसी करनी है तो सोशल मीडिया की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
नई दिल्ली [शाहिद ए चौधरी] । चुनावी दंगल जितना मतदाताओं के बीच लड़ा जाता है, उससे कहीं अधिक बड़ी ‘जंग’ ऑनलाइन लड़ी जा रही है। खासकर व्हाट्सएप, फेसबुक आदि सोशल मीडिया मंचों पर, जिनमें अपनी बात तो कही जाती ही है, लेकिन अपने विरोधियों पर कटाक्ष भी किए जाते हैं। गुजरात विधानसभा को लेकरचुनाव प्रचार में सोशल मीडिया पर किए जा रहे नए प्रयोग में केवल लतीफे ही नहीं हैं बल्कि मेमे, वीडियो, कार्टून, तस्वीर कैप्शन, प्रतिक्रिया, नारों आदि का भी बहुत प्रयोग किया जा रहा है। इसमें केवल कांग्रेस व भाजपा भर शामिल नहीं हैं बल्कि स्वतंत्र रूप से पटेल, ठाकोर आदि भी कूदे हुए हैं। इन दिलचस्प चुनावों का एक उदाहरण देखिए।
प्रश्न-वह एक चीज क्या है जिसके बारे में सुनाई तो बहुत देता है, लेकिन दिखाई कुछ नहीं देता?
उत्तर-विकास।
गुजराती में वायरल हो चुका यह व्हाट्सएप मैसेज सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ कांग्रेसी केंद्र से नहीं निकला है बल्कि अहमदाबाद के निकट बापूनगर के एक छोटे से दफ्तर में बैठने वाले पाटीदार समुदाय के युवा समूह की देन है, जिसके नेता हैं 20 वर्षीय सागर सवालिया। उन्होंने सफल सोशल मीडिया अभियान ‘विकास गांडो थायो छे’ (विकास पागल हो गया है) शुरू किया था। इस अभियान का जिक्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी निरंतर अपने भाषणों में कर रहे हैं। इंजीनियरिंग के छात्र सवालिया दो वर्ष पहले उस समय राजनीति में उतरे जब उनके दोस्त व पड़ोसी स्वेतांग की पुलिस हिंसा में मौत हो गई थी।
कांग्रेस, भाजपा और सोशल मीडिया
सवालिया बताते हैं, हमने स्वेतांग को खो दिया। ओबीसी आरक्षण की मांग कर रही पाटीदार रैली के बाद मेरे घर में जबरदस्त तोड़-फोड़ की गई। तब से मैं भाजपा का विरोध करने का कोई अवसर नहीं छोड़ता हूं। सवालिया पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल के करीबी हैं और उनका सोशल मीडिया अभियान व्हाट्सएप व फेसबुक पर जंगल में आग की तरह फैल रहा है। उनके ‘विकास’ संबंधी अन्य वायरल मेमे में शामिल हैं- दिल के आकार का गड्ढा जिसका कैप्शन है ‘विकास को प्रेम हो गया है’ और उबड़ खाबड़ सड़क के निकट लगा पोस्टर जिसपर लिखा है ‘सावधान! आगे बहुत अधिक विकास है’। दरअसल, सोशल मीडिया अकेले काम नहीं करता। वह अनेक चीजों को प्रकट करता है। किसी भी अभियान के वायरल होने या आकर्षित करने के लिए आवश्यक है कि वह लोगों की भावनाओं के अनुरूप हो और उन्हें व्यक्त कर रहा हो। सवालिया की टीम ने लोगों की नब्ज को पकड़ा है और यही उनकी सफलता का राज है। सवालिया की टीम ने लोगों के बीच में जाकर पहले इस बात का अनुमान लगाया कि सोशल मीडिया कम्युनिकेशन किस चीज पर, कितना और कब होना चाहिए। इसके बाद ही उन्होंने अपना अभियान आरंभ किया।
‘विकास गांडो थायो छे'
सवालिया की सफलता से कांग्रेस ने भी जल्द ही अंदाजा लगा लिया कि गुजरात में अगर 22 वर्ष बाद वापसी करनी है तो सोशल मीडिया के महत्व व प्रभाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता। ‘विकास गांडो थायो छे’ की कामयाबी ने यह भी स्पष्ट किया कि हास्य व स्थानीय भाषा में संदेश ही काम आएंगे। इसलिए अहमदाबाद से अपना सोशल मीडिया अभियान चला रही कांग्रेस ने अपने ऑनलाइन चुनावी प्रयास में पहली बार हास्य का प्रयोग किया है। कांग्रेस की 40 लोगों की टीम का नेतृत्व 38 वर्षीय रोहन गुप्ता कर रहे हैं। नेताओं की तरफ से भी महत्वपूर्ण इन-पुट्स आते रहते हैं। मसलन, एक स्थानीय नेता ने बस में राहुल गांधी के साथ यात्र करते हुए शिकायत की कि जीएसटी ने व्यापारियों के हाथ काट दिए हैं, फिल्म ‘शोले’ (1975) के डाकू गब्बर सिंह की तरह। इस प्रकार जीएसटी ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बना और कांग्रेस सोशल मीडिया टीम का सफल अभियान। कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियान के तीन हिस्से हैं-भाजपा का विरोध, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों व वायदाखिलाफी का विरोध और कांग्रेस की हिमायत।
(लेखक इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर में विशेष संपादक हैं)
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