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बेहद दिलचस्‍प है राजकोट पश्चिम की चुनावी जंग, जानें आखिर क्‍यों

गुजरात विधानसभा चुनाव पहले इतना दिलचस्प नहीं हुआ करता था जितना इस बार है। इसकी कई वजह हैं। इसके अलावा इसकी राजकोट पश्चिम सीट पर सभी की निगाह लगी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 09 Dec 2017 10:36 AM (IST)Updated: Sat, 09 Dec 2017 10:40 AM (IST)
बेहद दिलचस्‍प है राजकोट पश्चिम की चुनावी जंग, जानें आखिर क्‍यों
बेहद दिलचस्‍प है राजकोट पश्चिम की चुनावी जंग, जानें आखिर क्‍यों

नई दिल्‍ली स्‍पेशल डेस्‍क। गुजरात में पहले चरण के लिए शनिवार को मतदान हो रहा है। गुजरात का चुनाव अपने-आप में बेहद खास है और केंद्र समेत राज्य की सत्‍ताधारी पार्टी के लिए यह चुनाव साख का विषय है। यही वजह है कि यहां पर भाजपा ने अपने नेताओं की पूरी फौज उतारी है तो वहीं कांग्रेस ने भी इस चुनाव को जीतने में पूरी ताकत झोंक दी है। एक तरफ जहां कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्‍य में उन्‍हें हराकर अपनी धाक जमाने की कोशिश में है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा फिर जीत दर्ज कर यह बताने की कोशिश कर रही है कि वह सही रास्‍ते पर है और उसके सामने कोई अन्‍य विकल्‍प जनता के पास नहीं है। लिहाजा माहौल बेहद दिलचस्‍प है।

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इतना अहम क्‍यों है गुजरात चुनाव

गुजरात चुनाव इस बार जितना अहम बन गया है उतना अहम पहले कभी नहीं रहा। इसकी कुछ खास वजह हैं। पहली और सबसे बड़ी वजहों में आते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनका वह गृह राज्‍य है। दूसरी वजह है उनके विकास का गुजरात मॉडल और तीसरी वजह है वहां पर दो दशकों से भाजपा का शासन है। कांग्रेस इन तीनों से ही अब पार पाना चाहती है। दरअसल, कांग्रेस गुजरात में जीत दर्ज कर यह बताने की कोशिश करेगी कि प्रधानमंत्री का विकास का मॉडल पूरी तरह से बेकार है और उन्‍हें उनके गृह राज्य में ही कोई नहीं पूछता है। वहीं भाजपा के सामने दो दशकों से जारी सत्‍ता को बचाने की लड़ाई है। यही वजह है कि इस बार यह चुनाव इतना अहम हो गया है।

राजकोट जिला है दिलचस्‍प

इन सभी के बीच आज होने वाले मतदान के दौरान कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर मुकाबला न सिर्फ बेहद कड़ा है बल्कि दिलचस्‍प भी है। राजकोट जिला इन्‍हीं में से एक है। दरअसल, यह सिर्फ कुछ विधानसभा सीटों का प्रश्‍न नहीं है बल्कि साख का विषय भी है। लोकसभा सीट की बात करें तो 1989 से ही इस पर भाजपा का कब्‍जा रहा है। हम आपको बता दें कि राजकोट जिले के अंदर टंकारा, वांकानेर, राजकोर्ट पूर्व, राजकोट पश्चिम, राजकोट दक्षिण, राजकोट ग्राम्‍य और जसदान विधानसभा क्षेत्र सीट आती है। राजकोट की कुल सात विधानसभा क्षेत्र में से फिलहाल चार भाजपा के पास तो तीन पर कांग्रेस काबिज है। इसमें भी राजकोट पश्चिम एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जिसका गुजरात की राजनीति में खासा महत्‍व है।

1985 के बाद नहीं हारी भाजपा

इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहली वजह तो यह है कि 1985 के बाद से ही यहां पर भाजपा ने हार का स्‍वाद नहीं चखा है। दूसरी वजह यह है कि गुजरात के मौजूदा मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी भी यहां से आते हैं। उन्‍होंने यहां पर 2014 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के जयंतीभाई कलारिया को 57 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इनसे पहले नरेंद्र मोदी भी यहां से ही चुने गए थे। गौरतलब है कि 1967 में इस सीट पर हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां से स्‍वतंत्र पार्टी के उम्‍मीद्वार ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1975 में यहां से भारतीय जनसंघ और फिर 1980 में कांग्रेस आई ने जीत हासिल की थी। इस बार इस सीट पर विजय रुपाणी को इंद्रनील राजगुरू चुनौती देने उतरे हैं। वह फिलहाल राजकोट पूर्व से कांग्रेस के विधायक हैं। इस सीट पर वह विजय को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

अमीर राजनेताओं में शामिल हैं इंद्रनील

इंद्रनील राजगुरू ने अपने चुनावी हलफनामे में कुल 141 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा किया है, जबकि सीएम रुपाणी ने 7.4 करोड़ रुपये की संपत्ति का विवरण सौंपा है। इंद्रनील राजगुरु राजकोट कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं। राज्य के अमीर विधायकों में उनका नाम शामिल किया है। नॉमिनेशन फाइल करते वक्त दिए गए ऐफिडेविट में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 141 करोड़ घोषित की है। वहीं, सीएम विजय रुपाणी ने 9 करोड़ संपत्ति का जिक्र किया है। पिछले चुनावी ब्यौरे के मुताबिक, इंद्रनील राजगुरू के पास करीब 122 करोड़ की संपत्ति थी और वह कांग्रेस के दूसरे सबसे अमीर विधायक थे।

भाजपा के गढ़ रहे हैं ये क्षेत्र

टंकारा विधानसभा क्षेत्र का भी कुछ ऐसा ही हाल है। यह भी भाजपा का गढ़ रहा है। 1990 के बाद यहां पर भाजपा एक बार भी नहीं हारी है। 1990 में केशुभाई पटेल यहां से जीते थे बाद में उन्‍होंने राज्य की बागडोर भी संभाली थी। मौजूदा समय में यहां पर बवानजीभाई मटालिया भाजपा के विधायक हैं। राजकोट दक्षिण पर भी मौजूदा समय में भाजपा का कब्‍जा है। फिलहाल यहां पर भाजपा के गोविंद पटेल विधायक हैं। राजकोट ग्राम्‍य पर भी भाजपा का बीते दो दशक से कब्‍जा बरकरार रहा है। 2007 और फिर 2012 में यहां से भानुबेन बाबरिया ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस का गढ़ है वांकानेर

इसके उलट वांकानेर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां पर 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। मौजूदा समय में यहां से कांग्रेस के मोहमदजाविद पीरजादा विधायक हैं। राजकोट पूर्व में बीते वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां पर मौजूदा समय में इंद्रानिल राजगुरू कांग्रेस के विधायक हैं। इसके अलावा जसदान एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां पर 2002 से 2012 तक तीन बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा के विधायक रहे हैं1 2002 और 2007 में यहां से कांग्रेस के कुंवरजी बवालिया ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2009 में भाजपा के डॉक्‍टर भारत बोघारा ने चुनाव जीता। 2012 में भोलाभाई गोहेज ने यहां से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी।

19 जिलों की 89 सीट पर मतदान

आपको बता दें कि पहले चरण में 19 जिलों की 89 सीट के लिए मतदान हो रहा है। इसके तहत सौराष्ट्र, कच्छ व दक्षिण गुजरात के करीब 2 करोड़ 12 लाख मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर अपने प्रतिनिधी का चयन करेंगे। इसके अलावा दूसरे चरण के लिए 14 दिसंबर को मतदान होगा। चुनाव परिणाम 18 दिसंबर को आएंगे। राज्य में पहली बार ईवीएम के साथ वोट वेरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन (वीवीपीएट) का उपयोग किया जा रहा है। मतदान के लिए 24,689 बूथ बनाए गए हैं।

सबसे छोटा और बड़ा विधानसभा क्षेत्र

शनिवार को हो रहे पहले चरण के मतदान में सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र 'करंज' है, जो कि सिर्फ 4 स्क्वायर किमी. के दायरे में फैला है। वहीं सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र अबडासा है, जिसका दायरा 6278 स्क्वायर किमी. का है। सबसे कम मतदाताओं वाला विधानसभा क्षेत्र उत्तर सूरत है, जिसमें 157250 मतदाता हैं। जबकि सबसे ज्यादा मतदाताओं वाला विधानसभा क्षेत्र कामरेज है, जहां 4,28,695 मतदाता हैं।

इन पार्टियों के इतने उम्‍मीद्वार

पहले चरण के मतदान में भाजपा की ओर से सभी 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारे गए हैं। जबकि कांग्रेस ने 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। बहुजन समाज पार्टी ने 64 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। ऑल इंडिया हिंदुस्तान पार्टी ने 48 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने 30, शिवसेना ने 25 और आम आदमी पार्टी के 21 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। आपको यह भी बता दें कि सबसे अधिक 27 उम्मीदवार सौराष्ट्र की जामनगर ग्रामीण सीट पर है जबकि भरूच जिले के झगड़िया और नवसारी जिले के गांडवी में केवल 3 उम्मीदवार मैदान में हैं।


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