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दिल्ली चुनाव में काफी देर से उतरे राहुल और प्रियंका, मुकाबले को त्रिकोणीय भी नहीं बना पा रही कांग्रेस

कांग्रेस शिखर नेतृत्व की चुनाव अभियान में उतरने में की गई इस देरी का ही नतीजा है कि चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की मुहिम से कांग्रेस काफी पीछे दिखाई दे रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 08:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 08:36 PM (IST)
दिल्ली चुनाव में काफी देर से उतरे राहुल और प्रियंका, मुकाबले को त्रिकोणीय भी नहीं बना पा रही कांग्रेस
दिल्ली चुनाव में काफी देर से उतरे राहुल और प्रियंका, मुकाबले को त्रिकोणीय भी नहीं बना पा रही कांग्रेस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस के शिखर चेहरों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भले दिल्ली के चुनाव प्रचार के दंगल में मंगलवार को उतरे मगर उनका यह सियासी अभियान प्रचार में सांकेतिक भागीदारी की औपचारिकता निभाने से ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा। तभी पार्टी के कार्यकर्ताओं में अंदरखाने यह चर्चा भी देखी गई कि 'हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी।'

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कांग्रेस शिखर नेतृत्व की चुनाव अभियान में उतरने में की गई इस देरी का ही नतीजा है कि चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की मुहिम से कांग्रेस काफी पीछे दिखाई दे रही है। जबकि चुनाव अभियान शुरू होने से पहले नये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की अगुआई में पार्टी ने चुनावों की तैयारी की गंभीर शुरूआत की थी। लेकिन उम्मीदवारों के ऐलान के बाद कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की गति ऐसी शिथिल हुई कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में इसको लेकर हैरानी है। पार्टी के नेता-कार्यकर्ता ही इस हैरानी में एक दूसरे से ही यह सवाल पूछ रहे कि राहुल और प्रियंका आखिर मैदान में मैदान में तब ही क्यों उतरे जब प्रचार के केवल तीन दिन बाकी रह गए हैं।

प्रशांत किशोर ने चुनाव अभियान आक्रामक नहीं होने का दिया निर्देश

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की इस हैरत की वजह भी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भाजपा भले सातों सीटें जीत गई मगर वोट प्रतिशत में आम आदमी पार्टी को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। इसीलिए पार्टी नेता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सम्माजनक प्रदर्शन की उम्मीद में थे। मगर कांगेस के शिखर नेतृत्व ने प्रचार अभियान को लेकर जैसी उदासीनता दिखाई उसके मद्देनजर सूबे के नेताओं और कार्यकर्ताओं का हौसला कमजोर पड़ना अस्वाभाविक नहीं माना जा रहा है। कांग्रेस के अंदरखाने चर्चा यहां तक है कि दिल्ली चुनाव के त्रिकोणीय होने की स्थिति में भाजपा को फायदा होने की आशंका को देखते हुए प्रशांत किशोर ने पार्टी नेतृत्व को कांग्रेस का चुनाव अभियान आक्रामक नहीं होने देने के लिए मना लिया। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की टीम आम आदमी पार्टी के चुनावी अभियान प्रबंधन संभाल रही है।

पिछले चार राज्यों के चुनाव में में भी राहुल गांधी का प्रचार रहा धीमा

वैसे दिलचस्प यह भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी पराजय के बाद दिल्ली समेत चार राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के शिखर नेतृत्व की प्रचार अभियान को लेकर उदासीनता साफ तौर पर देखी गई है। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में भी कुछ चंद रैलियों के अलावा वैसा प्रचार नहीं किया जैसा अमित शाह या नरेंद्र मोदी करते हैं।

महाराष्ट्र में कांग्रेस का चुनाव अभियान तो इतना लचर था कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को करीब अस्सी की उम्र में सियासी जंग के मैदान पर एनसीपी के साथ कांग्रेस के प्रचार को भी संभालना पड़ा। हरियाणा में कांग्रेस बेहतर कर पायी तो इसका पूरा श्रेय भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ और मेहनत का रहा। झारखंड में भी राहुल की कुछ एक रैली को छोड़ दिया जाए तो फिर कांग्रेस का चुनाव अभियान सूबे के नेताओं या फिर मुख्यमंत्री झामुमो नेता हेमंत सोरेन के कंधे पर रहा।


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