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Delhi Assembly Election 2020: केजरीवाल लहर में हारा था BJP का यह दिग्गज नेता, नहीं थी किसी को उम्मीद

Delhi Assembly Election 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी राजेश ऋषि ने प्रो. जगदीश मुखी को 25 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 12:07 PM (IST)
Delhi Assembly Election 2020: केजरीवाल लहर में हारा था BJP का यह दिग्गज नेता, नहीं थी किसी को उम्मीद
Delhi Assembly Election 2020: केजरीवाल लहर में हारा था BJP का यह दिग्गज नेता, नहीं थी किसी को उम्मीद

नई दिल्ली [भगवान झा]। Delhi Assembly Election 2020: लोकसभा सीट हो या विधानसभा सीट, वहां के लोगों के दिलों में जगह बनाकर लगातार जीत दर्ज करना बड़ी बात है। इस क्रम में जनकपुरी विस सीट ने मिसाल कायम रखी थी। यह सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती थी। वर्ष 1993 से लेकर 2013 तक इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी रहे प्रोफेसर जगदीश मुखी ने एकतरफा जीत हासिल की थी।

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हालत यह थी कि सभी लोग पहले से यही मानकर चलते थे कि इस सीट पर भाजपा को हराना नामुमकिन है। लेकिन राजनीति में बदलाव आया और वोटरों का मिजाज भी बदलने लगा। इसका प्रारंभिक असर पहली बार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला, जब प्रो. जगदीश मुखी ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी राजेश ऋषि को मात्र 2644 वोटों के अंतर से हराया था। यह बदलाव वर्ष 2015 आते-आते पूरी तरह देखने को मिला और इस बार आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी राजेश ऋषि ने प्रो. जगदीश मुखी को 25 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी।

वहीं वर्ष 1993 की बात करें तो इस चुनाव में प्रो. जगदीश मुखी ने कांग्रेस प्रत्याशी शैलेंद्र को हराया था। इसके बाद वर्ष 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस के साथ भाजपा का करीबी मुकाबला रहा। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रो. जगदीश मुखी ने कांग्रेस प्रत्याशी शिव कुमार सोढ़ी को 7700 वोट के अंतर से हराया था। हालांकि, तक हुए विधानसभा चुनाव में अन्य जगहों पर कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन इस सीट पर उसे हार मिली थी।

इसी तरह वर्ष 2003 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा शिव कुमार सोढ़ी को मैदान में उतारा, लेकिन इस बार भी हार मिली। इसी तरह वर्ष 2008 में भी कांग्रेस को सफलता नहीं मिली। इसके बाद वर्ष 2013 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर थी, जबकि कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंच गई।

इसके बाद वर्ष 2015 में यह सीट भाजपा से छिटककर आम आदमी पार्टी की झोली में चली गई। अब इस विधानसभा चुनाव में देखने वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी इस सीट पर अपना दबदबा बरकरार रख पाती है या भाजपा फिर से इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल होती है।

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