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जानिए चुनाव के पहले राज्य में क्यों लगा दी जाती है आचार संहिता, क्या होता है इसका मतलब

दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी गई है। इसी के साथ राज्य में आचार संहिता लागू हो गई है। नई सरकार का गठन 22 फरवरी से पहले होना है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 06:25 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 07:01 AM (IST)
जानिए चुनाव के पहले राज्य में क्यों लगा दी जाती है आचार संहिता, क्या होता है इसका मतलब
जानिए चुनाव के पहले राज्य में क्यों लगा दी जाती है आचार संहिता, क्या होता है इसका मतलब

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चुनाव आयोग की ओर से दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित कर दी गई है। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले माह 22 फरवरी को समाप्त हो रहा है। सोमवार को आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव का पूरा शेडयूल जारी कर दिया है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही दिल्ली में आचार सहिंता लागू हो गई है। इसका मतलब ये है कि अब दिल्ली में विकास का कोई भी कार्य नहीं किया जाएगा।

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दिल्ली में 8 फरवरी को मतदान होगा, रिजल्ट 11 फरवरी को आएगा। 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रचा था, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ तीन सीटें हासिल की थीं। इससे पहले 15 सालों तक दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। चुनाव आयोग के दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान करने के साथ ही राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। चुनाव आयोग द्वारा चुनावो का ऐलान होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। 

चुनाव से पहले क्यों लागू की जाती है आचार संहिता? 

देश में होने वाले सभी चुनावों से पहले चुनाव आयोग (Election Commission of India) आचार संहिता (Model Code of Conduct) लगाता है। इस दौरान राजनीतिक दलों, उनके उम्मीदवारों और आम जनता को सख्त नियमों का पालन करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है।

आचार संहिता लागू हो जाने का मतलब है कि इसमें मतदाताओं के बीच अपनी नीतियों तथा कार्यक्रमों को रखने के लिए सभी उम्मीदवारों तथा सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर और बराबरी का अवसर प्रदान किया जाता है। इस संदर्भ में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का स्तर उपलब्ध कराना, अभियान को निष्पक्ष तथा स्वस्थ्य रखना, दलों के बीच झगड़ों तथा विवादों को टालना है।

चुनाव आचार संहिता का इतिहास 

बताया जाता है कि 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता तैयार की गई थी। में यह बताया गया। यह दस्तावेज राजनीतिक दलों की सहमति से अस्तित्व में आया और विकसित हुआ। इसमें ये तय किया गया कि क्या करें और क्या न करें?

पहली बार 1962 में हुआ आचार संहिता का पालन 

1962 के लोकसभा आम चुनावों में आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया तथा राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया कि वे राजनीतिक दलों द्वारा इस संहिता की स्वीकार कराएं और वो उसका पालन करें। 1962 के आम चुनाव के बाद प्राप्त रिपोर्ट यह दर्शाता है कि कमोबेश आचार संहिता का पालन किया गया। 1967 में लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में आचार संहिता का पालन हुआ। 


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