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Delhi Assembly Election 2020: चर्चित 'जय-वीरू' के निशाने पर क्यों हैं अरविंद केजरीवाल

Delhi Assembly Election 2020 पार्टी में सांसद के बयान पर मंथन हुआ और आखिरकार उनकी घोषणा पर सेंसर की कैंची चला दी गई। पार्टी की विज्ञप्ति में उनकी इस घोषणा को जगह नहीं मिली।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 04:10 PM (IST)
Delhi Assembly Election 2020: चर्चित 'जय-वीरू' के निशाने पर क्यों हैं अरविंद केजरीवाल
Delhi Assembly Election 2020: चर्चित 'जय-वीरू' के निशाने पर क्यों हैं अरविंद केजरीवाल

नई दिल्‍ली, संतोष कुमार सिंह। Delhi Assembly Election 2020: भाजपा अध्यक्ष ने जब से प्रवेश वर्मा का चुनाव मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बहस करने के लिए किया है तब से उनका अंदाज बदला हुआ है। वह हर मंच से केजरीवाल को ललकारते हैं। इस कवायद में कई बार वह विरोधी को पलटवार करने का मौका दे देते हैं। पिछले दिनों प्रेसवार्ता में भी उन्होंने भाजपा की सरकार बनने पर पांच रुपये की टोकन मनी लेकर गरीबों को मुफ्त बिजली-पानी उपलब्ध कराने और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिदों को तोड़ने का एलान कर दिया। इसके कुछ देर बाद उन्होंने टोकन मनी को पांच रुपये से कम करके एक रुपये कर दिया। एक ही विषय पर उनके दो-दो बयान से पत्रकार से लेकर पार्टी के नेता भ्रमित हो गए। पार्टी में सांसद के बयान पर मंथन हुआ और आखिरकार उनकी घोषणा पर सेंसर की कैंची चला दी। पार्टी की विज्ञप्ति में उनकी इस घोषणा को जगह नहीं मिली।

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जय-वीरू की जोड़ी है

दिल्ली भाजपा में अध्यक्ष मनोज तिवारी और राज्यसभा सदस्य विजय गोयल के बीच वर्चस्व की लड़ाई कोई नई बात नहीं है। दोनों के बीच सियासी शीत युद्ध चलता रहता है। कई बार लड़ाई सार्वजनिक भी हो जाती है। इसे बैलेंस करने को दोनों कभी भाई तो कभी मित्र बनकर सबके सामने आ जाते हैं। लोकसभा चुनाव के समय भी तिवारी के लिए गोयल बड़े भइया बन गए थे। उन्हें मंच पर गदा भेंटकर एकता का संदेश दिया था। विधानसभा चुनाव के पहले भी दोनों का कथित याराना चर्चा में है। गत दिनों आयोजित युवा मोटरसाइकिल रैली में अध्यक्ष की मोटरसाइकिल पर गोयल भी सवार हुए और बैठने के बजाय खड़े होकर फोटो खिंचवाते रहे। अध्यक्ष ने इसे ट्वीट करते हुए कहा कि लोग इसे जय-वीरू की जोड़ी बता रहे हैं। कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि कौन जय है और कौन वीरू।

फोटो दिखाकर जता रहे वफादारी

सियासत में कौन किसका दोस्त और कौन दुश्मन है यह पता लगाना आसान नहीं। सुविधा के अनुसार, सियासतदानों में पाला बदलने का खेल चलता रहता है। कोई पार्टी बदलता है, कोई पार्टी में रहते हुए अपना नेता बदल लेता है। चुनावी सीजन में यह खेल ज्यादा चलता है, जिससे नेता अपने खास को भी शक की नजर से देखने लगता है। भाजपा का सियासी मिजाज भी इससे अलग नहीं है। पिछले दिनों प्रत्याशियों के चयन के लिए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की रायशुमारी कराई गई थी। कार्यकर्ताओं ने अपने पसंद के उम्मीदवारों को लेकर लिखित राय दी थी। कई कार्यकर्ता पर्ची पर नेताओं का नाम लिखने के बाद स्मार्ट फोन से उसकी फोटो लेकर अपने पास रख ली है, जिसे दिखाकर वह अपनी वफादारी का सुबूत दे रहे हैं। कह रहे हैं कि उन्होंने अपना काम कर दिया है। अब टिकट मिलना या न मिलना नेताजी की किस्मत पर निर्भर करता है।

कार्यकर्ताओं या छात्रों की भीड़?

चुनाव सीजन में पार्टी हाईकमान के आगे अपना नंबर बनाने की कोशिश सामान्य बात है, परंतु कई बार इस चक्कर में नेता अपने व पार्टी दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर देते हैं। बुधवार को अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़े आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने का दावा किया गया। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाजिया इल्मी इस दल-बदल कार्यक्रम की आयोजक या कहें मैनेजर थीं। सदस्यता लेने वालों की मंच पर भीड़ लगी हुई थी। केसरिया पटका ओढ़ने वालों में कई उम्रदराज तो कई युवा इसमें शामिल थे, लेकिन 17-18 वर्ष के लड़के-लड़कियों की भीड़ सभी को चौंका रहा था। पूछताछ करने पर ये लोग अपने को किसी कौशल विकास केंद्र का छात्र बता रहे थे। उनका कहना था कि वे तो घूमने आए थे, यहां भाजपा का कार्यकर्ता बना दिया गया। अब पार्टी के कई नेता इस इवेंट पर सवाल खड़े कर रहे है।

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