दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हालत के बाद सामने आई पार्टी की फूट
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम जैसी शख्सियतों द्वारा आप की जीत पर खुश होना पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा है।
नई दिल्ली, एजेंसी। लगातार तीसरी बार दिल्ली की सीएम की कुर्सी पर बैठने जा रहे आप नेता अरविंद केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत ने कांग्रेस के अंदर की दरारों को चौड़ा करने का काम किया है। लगातार दूसरी बार खाता खोलने में नाकाम रही देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ नेता इस करारी हार पर मंथन करने के बजाय आप को बधाई देने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं। वह भी सिर्फ इसलिए कि आप ने भाजपा को हराने का काम किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आप को जीत पर बधाई देते हुए ट्वीट किया कि देश के हर कोने से आकर यहां बसे दिल्ली के लोगों ने भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे को परास्त कर शानदार काम किया है। इसके लिए उन्हें सलाम पेश करता हूं। चिदंबरम की यह तारीफ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और पार्टी की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी और उन्होंने अपनी नाराजगी को ट्वीट में इस तरह जाहिर किया, `सर, मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहती हूं कि क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों के हवाले कर दिया है। अगर ऐसा नहीं है तो हम अपनी हार पर मंथन करने के बजाय आप की जीत पर खुशी क्यों जाहिर कर रहे हैं। अगर ऐसा ही है तो फिर हमें अपनी राज्य इकाइयों के कार्यलयों पर ताला जड़ देना चाहिए।`
शर्मिष्ठा ने अपने ट्वीट में आगे कहा है, `हम एक बार फिर दिल्ली में बुरी तरह हारे हैं। बहुत मंथन हो चुका है। अब तो एक्शन का समय है। शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर निर्णय प्रक्रिया में अवांछित देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकता की कमी, हतोत्साहित कार्यकर्ता और जमीनी स्तर पर संपर्क खत्म होने जैसी समस्याएं हैं। कांग्रेस सिस्टम का हिस्सा होने के नाते इस हालत के लिए मैं भी जिम्मेदार हूं।`
आप की जीत और भाजपा की हार से खुश हो रहे कांग्रेसियों के खिलाफ नाराजगी और अफसोस का इजहार करने वालों में शर्मिष्ठा मुखर्जी अकेली नहीं हैं। संजय झा और खुशबू सुंदर जैसे नेताओं ने भी भाजपा की हार से खुश हो रहे पार्टी नेताओं को आड़े हाथ लिया है। बता दें कि कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में साढ़े चार फीसद वोट मिले हैं, जो अब तक का न्यूनतम आंकड़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को नौ फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर 22.5 फीसद था। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को आठ सीटें मिली थीं।